कभी सोचा है की एक नेता जी कभी भी और क्यूँ रेटायर नहीं होते, हर सरकारी महकमे में काम करने वाले के लिए दुनिया भर की पाबंदियां है और सिर्फ सरकारी ही नहीं बल्कि आम आदमी की जिंदगी भी ऐसा लगता है की जैसे वो सरकार के पास गिरवी रखी हुई है, और इस सरकार को चलाने वाले नेता हैं जो हमें मनमाने ढंग से चलाते हैं, जब चाहें वो क़ानून और सविधान की धज्जियां उड़ा सकते हैं...
कितने घोटाले होते हैं लेकिन या तो उनका कुछ होता नहीं है और अगर कोई इक्का दुक्का पकड़ा भी जाता है तो राजनीति की उठा पटक के बाद वो ऐसे छोड़ दिए जाते हैं जैसे की कोई योद्धा किसी युद्ध में जीत कर बहार निकला हो.. नेता लोग अपने ही लोगों के सामने इतने बोने हो जाते हैं की साठ गांठ करके राज्य का मुख्यमंत्री तक रातों रात बदल देते हैं. कई बार तो लगता है की ये कैसा गणतंत्र है और किस सविंधान पैर चल रहा है, एक आम आदमी तो जानता ही नहीं है की एक मुख्यमंत्री का या मंत्री का चुनाव कैसे होता है, यहाँ तो राष्ट्रपति के लिए भी पूरे जोड़ तोड़ किये जाते हैं, और हम सिर्फ चुनाव के समय अपना वोट डाल कर खुश हो जाते हैं, हम केवल पार्षद या एम.ऐल.ए को चुन कर ही खुश हैं...
कई बार सोचा की क्यूँ ना एक नेता को भी एक उम्र के बाद रिटायर कर दिया जाना चाहिए और उस नेता की बनायीं हुई विरासत उसके परिवार के किसी सदस्य को न देकर किसी और को उसकी जिम्मेदारी देनी चाहिए, वर्ना ये तो एक व्यापार की तरह ही हो गया है की एक नेता का बेटा नेता बनेगा और अभिनेता का अभिनेता ..ये पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारवाद तो हर नेता के यहाँ है. एक नेता जो अपना एक नेता के तोर पे व्यवसाय शुरू करता है तो अगर वो 2-4 लाख की कीमत का होता है तो कुछ हे समय मैं उसकी कीमत 20-30 करोड़ हो जाती है और उसका कोई हिसाब किताब भी नहीं होता और न ही कोई उससे हिसाब माँगा जाता है, बल्कि राजनेतिक जोड़ तोड़ करके उसको और फायदा भी दिया जाता है और ये सब करने वाले हम लोग नहीं हैं बल्कि वो राजनेता हैं जिनको हमने चुना नहीं है लेकिन वो पता नहीं कहाँ से आ जाते हैं और हमारे सर्वे सर्वा बन जाते हैं...
आज आप कोई भी नेता गरीब दिखा दो, किसी नेता के बेटे को फौज मैं दिखा दो या किसी नेता के बच्चे को कोई अपने बल बूते पर नोकरी करते दिखा दो, कोई नहीं मिलेगा, काला धन या भ्रष्टाचार पैर ये क्या लगाम लगा केर अपने या अपने परिवारजनों के पैरों पैर कुल्हाड़ी मारेंगे ? कभी नहीं
ये देश दरअसल भगवान् भरोसे चल रहा है और भगवान् भी अपने आप मैं लाचार ही है क्यूंकि वो भी तो बिक ही जाता है इन्ही नेताओं के हाथ ....