16 मार्च, 2013

सरकार की प्रतिक्रिया

कितने कमाल की बात है की भारत सरकार ने एक बार फिर पाकिस्तान की कडे शब्दों मैं निंदा की है संसद में भी सर्वदलीय पाकिस्तान को कडे शब्दों में जवाब दिया गया है  और लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने तो ये भी कहा है की कश्मीर पूरा हमारा है पाक अधिकृत कश्मीर भी, कमाल की बात है न की हम बातें तो करते हैं, दावे भी करते हैं लेकिन अन्तराष्ट्रीय नक्शों में कश्मीर आज भी पाकिस्तान के पास है और इसका कोई विरोध नहीं करता, यहाँ तक की अरुणाचल भी चीन के अधीन दिखाया जाता है लेकिन हम सिर्फ कागजों में ही विरोध कर सकते हैं क्यूंकि हम असल में कागज़ी शेर ही हैं। पाकिस्तानी हम पर बार बार हमला करते हैं, हमारे सैनिकों के सर काट कर ले जाते हैं, हमारे घर मैं बैठे हुए उनके चमचे उनका खुल कर साथ देते हैं लेकिन हमारे नेता उन सैनिकों की शहादतों की चाँद रुपियों में कीमत लगा कर बात को दबा देते हैं और येही इस देश की विडम्बना है की एक चूहा सा देश जिसका अपना कोई अस्तित्व नहीं है वो भी हमारे कंधे पैर हाथ रख कर हमारे कान मैं मूत जाता है और हम न्यूज़ चैनलों पर बैठ कर बड़ी बड़ी बातें कर लेते हैं और बयां दे देते हैं और घर बैठ कर अपने कश्मीर को अपने नक्शों मैं देख कर खुश हो लेते हैं घर बैठ कर और खुद नक्शा बना कर तो मैं पूरी दिल्ली का मालिक हूँ पर दरअसल मैं कश्मीर वो त्रिशंकु बन गया है जो कहीं का भी नहीं रहा है ...

15 मार्च, 2013

16 की उम्र मैं सेक्स

ये भी बदनसीबी है इस देश मैं की आपको वोट डालने का अधिकार, ड्राइविंग करने का अधिकार, शादी करने का अधिकार ,शराब पीने का अधिकार और यहाँ तक की एक वयस्क फिल्म देखने का अधिकार भी 18 साल की उम्र के बाद मिलता है लेकिन सरकार ये समझती है की इन सभी से ज़याद जल्दी और ज़रूरी सेक्स करना है जिसके लिए आप सिर्फ 16 साल के होने चाहियें ... यानी एक 16 साल के बच्चे को सेक्स की समझ और ज़रूरत बाकी सभी चीज़ों से पहले है, सरकार के पास ये रोज़ रोज़ के बलात्कारों का ये जवाब है। अब ये समझ नहीं आता की हम लोग किस भारत मैं रहते हैं और इसकी सभ्यता और संस्कृति का बेडा गर्क क्यूँ होता जा रहा है ..

10 मार्च, 2013

बॉक्सर विजेन्द्र की वाह वाही

नाम और शोहरत होना अच्छी बात है लेकिन उसे कायम रखना एक काबिलियत और समझदारी है। कुछ लोग ये समझते हैं की उस शोहरत की आड़ में वो कुछ भी ऐसा कर सकते हैं जो समाज या क़ानून की नज़र में अपराध हो लेकिन वो उसकी परवाह नहीं करते। ऐसे लोग जो समाज के और भविष्य के लिए एक आदर्श हो सकते हैं वो अगर किसी अपराधिक साज़िश का हिस्सा हो सकते हैं उन्हे सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। देश के एक नामी खिलाड़ी का नाम मादक पदार्थों की स्मगलिंग मैं आना एक साज़िश भी हो सकता है लेकिन सिर्फ ये सोच कर इस बात को छोड़ा नहीं जा सकता की इसके पीछे एक बड़ा नाम है। पहले भी हुआ है की अर्जुन पुरूस्कार विजेता खिलाडी इस तंत्र का हिस्सा पाया गया था। और इस मामले मैं भी जो सबूत मिले हैं वो अपने आप मैं किसी दिशा की तरफ हे इंगित करते हैं लेकिन शायद ये भ्रष्ट तंत्र हे है की किसी भी रसूकदार और बडे नेता, अभिनेता, या खिलाडी का इतनी जल्दी कुछ नहीं होता, वर्ना आम आदमी तो चोरी बाद मैं होती है पकड़ा पहले जाता है।