15 दिसंबर, 2018

भक्तों की भक्ति

किसी ने कहा "और भक्तों कैसा लग रहा है" सच है, बुरा तो लग रहा है.. बुरा लगता है जब पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले जीत जाते है और भारत माता की जय कहने वालों से उनकी राष्ट्रभक्ति का प्रमाण मांगा जाता है, बुरा तो लगता है प्रभु श्री राम को काल्पनिक कहने वाले हमे जय श्री राम कहने पर साम्प्रदायिक कहते है और खुद राम राम करते चुनाव जीत जाते है, चलो माना भक्त हार गए.. लेकिन हार को स्वीकार तो किया, उसकी विवेचना तो की, अपने ही नेतृत्व से लड़े और उनसे सवाल तो किया, EVM का रोना तो नही रोया, बहानेबाजी तो नही की, इस जीत से ये मत समझना कि हम टूट गए, हम और मजबूत हुए, फिर खड़े हो गए अगली रणनीति के लिए, अपनी गलतियों से सीख कर उसमे सुधार करके फिर सामना करेंगे.. कांग्रेस कोई प्रचंड बहुमत से नही जीती के हम मुह बना कर बैठ जाएं, प्रिय कांग्रेस समर्थको हम बस घुटनो के बल गिरे हैं, मृत्यु नही हुई है हमारी, हम फिर से लड़ेंगे और इस बार अपनी सारी शक्तियों को एक जगह पर समेटकर फिर नकली शिवभक्तों को भक्त की असली ताकत दिखाएंगे.. "अब देखना चमचों"...

दिल्ली की मजबूरी

एक मित्र को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, आज कुछ किन्नर आये वहां नाचने, यूँ ही बात चल निकली तो मैंने पूछा क्यों करते हो ये सब, इमोशनल हो गए और कहा, ईश्वर की मार है हम खुद तो बच्चे पैदा कर नही सकते इसीलिए दूसरों की खुशी में खुश हो लेते है और चंदा भी मिल जाता है, मैंने कहा "चंदा" ? तो बोले अब साहब उगाही भी तो नही कह सकते, कोई मंथली थोड़ी है जो मन बेमन देनी ही पड़ेगी.. दूसरों की खुशियों में नाचते गाते है और चंदा मांग कर अपनी मंडली चलाते हैं.. मैंने कहा लेकिन तुम लोगों का तो एरिया होता है तो बोले नही साहब हम तो एरिया चला कर शो करते हैं और फिर बेच देते है, लेकिन दिल्ली में अपना फिक्स एरिया है, और फिर खर्चे भी तो बहुत सारे है, ये गहने, सजना संवरना, घूमना फिरना, बीमारी का इलाज करवाने बाहर भी जाना पड़ता है, वैसे तो हमारे पास अपना भी डॉक्टर है लेकिन हम कुछ खास गुप्त रोग के इलाज के लिए बाहर भी जाते है.. तो साहब इस सबके लिए चंदा तो ज़रूरी है ना... फिर पूछा लेकिन लोग तुम्हे पैसा क्यों दें तो बोले साहब बदले में हम कितने सपने, कितनी दुआएं और कुछ मुफ्त की सलाह भी तो देते है बस लोग उसी में खुश हो जाते हैं , मैंने कहा लेकिन अगर कोई ना दे तो ? वो बोले साहब फिर हम तो नंगे हैं ही, उसे ऐसा बदनाम कर देते हैं कि वो याद रखे और फिर वो दे दे तो माफी मांग लेते है ... मैंने उस बारे में गौर से सोचा फिर ध्यान आया कि ऐसा ही तो है हमारी राजनीति में.. लेकिन अब कृपया इसको केजरीवाल से मत जोड़ना, वो बेचारा तो बीवी वच्चों वाला "मर्द" है...

सरकार क्या है?

आम जनता के लिए सरकार क्या है? सरकार का मतलब है स्कूलों में अच्छा शिक्षा का स्तर, ठीक ठाक सड़क, हस्पताल में अच्छा एवं सस्ता इलाज, पीने का साफ पानी, तहसील-थाना में सुनवाई, ट्रैन में बैठने के लिए सीट व अन्य सुविधायें, पंचायत-न्यायालय में सस्ता न्याय, किसानों की तरक्की अच्छी सिंचाई व्यस्था और सबसे खास रोजगार समाचार में निकली भर्तियाँ और उनकी समय से भरपाई.. चमक धमक वाला फील गुड हिंदुस्तानी अवाम को समझ मे तब भी नहीं आया, अब भी नहीं आएगा.. मोबाइल पे सरकार लाने से ज्यादा जरूरी जमीन पर सरकार ले आना है.. एक तरफा रेडियो संवाद से ज्यादा जरूरी संवाद है.. वरना ये हिंदुस्तान है.. यहाँ पोखरण में भारत को परमाणु शक्ति बनाने वाले और कारगिल जिताने वालों को भी प्याज के दाम ने हराया है...