23 दिसंबर, 2012

देश का बलात्कार

बलात्कार करना एक अपने आप में ही घिनोना कृत्य  है और उसको झेलना एक बहुत बड़ी त्रासदी, क्यूंकि जो बर्बरता और क्रूरता इंसान करता है वो तो शायद जानवर भी न करे। और इन सब के बाद एक जिंदगी ख़तम हो जाती है, जीने की आरज़ू ख़तम हो जाती है, इंसान अन्दर से मर जाता है।

कुछ ऐसे भी हादसे होते हैं जिंदगी में ..
इंसान बच  तो जाता है लेकिन जिंदा नहीं रहता ..
आज इस हादसे ने पूरे देश मैं ये आवाज़ उठाई है की बलात्कार के खिलाफ सख्त क़ानून बने, मगर सिर्फ क़ानून बनाने से कुछ नहीं होगा बल्कि उसको सख्ती से लागू किया जाए और उसके लिए किसी की जवाबदेही भी हो। अगर सरकार और पुलिस चाहे तो ये सब पर रोक लगे जा सकती है। सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों को समझ कर उन पर सख्ती से पालन करना होगा। मुख्यमंत्री कहती हैं की वो नज़रें मिलने के लायक नहीं हैं क्यूंकि वो इस राज्य की सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार हैं, और गृहमंत्री कहते हैं की उनकी भी 3 बेटियाँ हैं और वो ये दर्द समझते हैं, लेकिन उनसे कोई ये पूछे की क्या आप मैं ये हिम्मत हैं की आप अपनी 3 मैं से 1 भी बेटी को आधी रात बिना सुरक्षा के सड़क पर भेज सकते हैं? है क्या आपमे इतनी हिम्मत ? सुरक्षा मैं रहने वाले नहीं समझते डर क्या होता है और डर कर जीना किसे  कहते हैं ...
आज देश का युवा एक बार फिर से एकजुट होकर खड़ा है, वही युवा जो इस त्रासदी का हिस्सा है और जो रोज़ डर  कर जीता है, हम अपने देश में अपने आप को सुरक्षित नहीं महसूस करते, जबकि ये हमारा बुनियादी अधिकार है, लेकिन ये सब मैं क्या बकवास लिख रहा हूँ , यहाँ अधिकारों की बात करने वालों की सुनता कोन  है, ये देश गणतंत्र की और से दूर होता हुआ तानाशाही और तालिबानी होता जा रहा है जहाँ के शाशक अपनी मर्ज़ी से क़ानून को तोड़ मरोड़ देते हैं, हम सब यहाँ बेचारों सी जिंदगी जी रहे हैं। छोडो यार सब बकवास है ये लिखना लिखना और क़ानून या देश की बात करना, अब कुछ ही देर मैं ये आन्दोलन भी किसी राजनातिक पार्टी का हिस्सा बन जाएगा और हम आम आदमी , नहीं अब तो आम आदमी भी नहीं रहे हम ये हक भी एक पार्टी को मिल गया बल्कि हम इस देश की मजबूर और लाचार जनता कुछ देर चिल्ला कर चुप बैठ जाएगी और फिर किसी बलात्कार का इंतज़ार करेगी ...

19 दिसंबर, 2012

Delhi, The RAPE Capital of India

Delhi the capital city of India, is not a safer place to live specially for women and children of young age, we are not at all safe here, hundreds of small children are kidnapped, women are raped, senior citizens are murdered, and after all this delhi is going to be a city of international standards. no security at all, only some quick reactions by political parties whose every single NETA is using a bunch of commandos for himself. they themselves live in fear then how can they ensure safety of the citizens.
A medical student was waiting for a bus with her friend at a bus stop and a bus stopped near her. The bus driver ram singh went out with his 6 friends ( 2 rkp sabzee wale + all bihari ) the girl and the guy was called by the driver and were given proper tickets ( the bus was a school bus with black curtains .. Not permitted for transport use ) the girl was 23 a very good student and wanted to reach dwarka mor.
After they got in , the guys hit a rod on the guys's head and threw him out , then raped the girl one by one which was moving continuously in the posh areas of delhi and ncr.
After raping her badly , one of them inserted a very long rod in her vagina which almost killed her and threw her out and ran away.

She was lying in the middle of the rod hurt and nude.. Not even single person helped her or covered her for an hour.
When police came in no one helped them pick her up. They were just not interested at all.

The girl's vagina + small and large intestine is totally damaged and she cannot live a married or normal life. Doctor said " main bayan nahi kar sakta ki ussne kya kya zheela hai ... Bolte hue muzhe dard hota hai ". She has gone in coma 5 times from 16th dec. She is unconscious , critical and is not stop crying. The ribs are damaged as well.

That's the whole story
And that's what delhi people are.
And her only fault was that she took a wrong bus

You have sisters , mothers , daughters and soo many females at home.
Please don't sit and relax
Its not that small deal ... Its bout your families safety..

These bloody creeps should be hanged at once with the help of fast track courts...




16 दिसंबर, 2012

कैसे बनवाएं वोटर आई-कार्ड


कैसे बनवाएं वोटर आई-कार्ड
हमारे मुल्क में 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोग वोट डालने के हकदार हैं। लेकिन कई लोग इस वजह से इस हक से वंचित रह जाते हैं कि उन्हें वोटर आई-कार्ड बनवाने का काम झंझट भरा लगता है।

क्यों जरूरी है वोटर आई-कार्ड
वोटर आई-कार्ड एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जिसका इस्तेमाल न सिर्फ वोट डालने के लिए, बल्कि दूसरे कामों में भी पहचान बताने के लिए भी किया जाता है, मिसाल के लिए बैंक में अकाउंट खुलवाना, मोबाइल का प्रीपेड या पोस्टपेड कनेक्शन लेना, कार फाइनैंस कराना आदि।

वोटर आई-कार्ड बनाने के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है।

कौन बनवा सकता है

जो भारत का नागरिक हो।
जिसकी उम्र 01 जनवरी 2013 को 18 साल या ज्यादा हो जाए।
जो दिवालिया या पागल घोषित न हो।

किस काम के लिए कौन-सा फॉर्म

फॉर्म-6: वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने और वोटर आई-कार्ड बनवाने के लिए।
फॉर्म-7: वोटर लिस्ट से नाम कटवाने या किसी शिकायत के लिए।
फॉर्म-8: बने हुए वोटर कार्ड में संशोधन के लिए।
फॉर्म-8ए: एक विधानसभा क्षेत्र के अंदर मकान बदलने पर नए पते पर वोटर कार्ड बनवाने के लिए।
फॉर्म-6ए: एनआरआई के लिए।
नोट: अगर आप एक विधानसभा क्षेत्र से दूसरे में मकान बदलते हैं तो आपको एड्रेस बदलवाने के लिए फॉर्म 6 भरना होता है।

ये भी जरूरी

फॉर्म-6 का कॉलम नंबर-4 भरना जरूरी है। इसमें अप्लाई करने वाले को अपना पिछला अड्रेस बताना होगा।
अप्लाई करनेवाले को यह भी बताना होगा कि पहले से उसका कोई वोटर कार्ड बना हुआ है या नहीं।
18 से 21 साल तक के वोटर को फॉर्म भरते वक्त अपनी उम्र का भी प्रूफ देना होगा।
21 साल से ज्यादा उम्र वालों को एज प्रूफ देने की जरूरत नहीं।

कौन-से कागजात जरूरी

हाल में खींची गई दो कलर फोटो
एज प्रूफ
अड्रेस प्रूफ

अड्रेस प्रूफ में क्या

नैशनलाइज्ड बैंक या पोस्ट ऑफिस की करंट पास बुक।
राशन कार्ड/पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंस/इनकम टैक्स असेसमेंट ऑर्डर/पानी/बिजली/टेलिफोन/ गैस कनेक्शन का बिल, जिसमें आपके घर का अड्रेस हो। यह बिल या तो ऐप्लिकेंट के नाम से या फिर उसके पैरंट्स के नाम से होना चाहिए।
नोट: अगर अड्रेस प्रूफ के तौर पर राशन कार्ड पेश किया जाए, तो उसके अलावा ऊपर दिए गए दूसरे दस्तावेजों में से एक और प्रूफ भी जमा करना होगा।
दिल्ली के अलावा एनसीआर के बाकी जिलों में समरी रिविजन का काम चलने की वजह से फिलहाल फॉर्म-6 जमा नहीं किए जा रहे हैं। यह काम 15 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद इलेक्शन कमिशन के आदेश के मुताबिक वोटर आई-कार्ड बनवाने के लिए नई तारीखों की घोषणा होगी।

एज प्रूफ में क्या

म्युनिसिपल ऑफिस या रजिस्ट्रार ऑफ बर्थ्स ऐंड डेथ्स के जिला ऑफिस से जारी बर्थ सर्टिफिकेट या 10वीं का सर्टिफिकेट, जिस पर उम्र दर्ज हो।
अगर इनमें से कोई दस्तावेज न हो तो पहले से वोटर लिस्ट में शामिल माता या पिता में से कोई एक अपने साइन के साथ उम्र का डिक्लेरेशन दे सकते हैं। यह डिक्लेरेशन एक निश्चित फॉर्मेट में होता है, जिसे फॉर्म के साथ हासिल किया जा सकता है।

25 साल से ज्यादा हैं तो

इलेक्शन कमिशन का मानना है कि 25 साल से ज्यादा उम्र के लोग आमतौर पर वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करा लेते हैं, इसलिए अगर आप पहली बार वोटर लिस्ट में नाम शामिल करा रहे हैं और आपकी उम्र 25 साल या उससे ज्यादा है तो आपको अलग-से एक एफिडेविट जमा करना होगा, जिसमें लिखा होगा कि पूरे देश में आपका नाम कहीं भी वोटर लिस्ट में शामिल नहीं है।

साथ रखें ऑरिजिनल डॉक्यूमेंट

जरूरी किसी भी डॉक्यूमेंट को अटेस्ट कराने की जरूरत नहीं, अलबत्ता फॉर्म जमा करते समय उनकी ऑरिजिनल कॉपी साथ रखें।
फॉर्म में दिए गए पते पर अगर आपसे मुलाकात न हो तो बीएलओ तीन बार तक आते हैं।
डिक्लेरेशन में अपने साइन के नीचे मोबाइल नंबर भी दे देना ठीक रहता है ताकि जरूरत पड़ने पर बीएलओ आपसे संपर्क कर सकें।

गलती सुधारने के लिए

कई बार वोटर लिस्ट या वोटर आई-कार्ड में नाम, पिता का नाम, एज, या अड्रेस गलत प्रिंट हो जाता है।
ज्यादातर केस में अगर वोटर लिस्ट में कुछ गड़बड़ी है तो स्वभाविक रूप से वोटर आई कार्ड में भी गड़बड़ी हो जाती है। इसे चेंज कराने के लिए फॉर्म-8 भरना होता है।
इसमें फोटो लगाने की जरूरत नहीं होती।
फॉर्म-8ए भरते वक्त अड्रेस प्रूफ के तौर पर किराए का मकान हो तो रेंट अग्रीमेंट जमा करना होगा और अगर आपने मकान खरीदा है तो सेल डीड की कॉपी लगानी होगी।

कब भरा जाएगा फॉर्म-6
इलेक्शन ऑफिस वक्त-वक्त पर इलेक्टोरल रोल में नाम डलवाने के लिए रिवीजन प्रोग्राम का ऐलान करता रहता है।इस रिवीजन प्रोग्राम के दौरान इलेक्टोरल रोल के ड्राफ्ट पब्लिकेशन के बाद ही ऐप्लिकेशन फॉर्म भरा जाएगा।इलेक्टोरल रोल के रिवीजन का प्रोग्राम क्षेत्र के अखबारों और दूसरे जरियों से प्रचारित किया जाता है।
वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए फॉर्म-6 साल में किसी भी वक्त भरा जा सकता है। लेकिन रिवीजन प्रोग्राम के अलावा नाम शामिल करने के लिए ड्यूप्लिकेट फॉर्म ही भरा जाएगा।रिवीजन प्रोग्राम के दौरान फॉर्म भरने के लिए अस्थाई तौर पर कई सेंटर बनाए जाते हैं, जो आम तौर पर पोलिंग स्टेशनों पर होते हैं।
रिवीजन प्रोग्राम के अलावा फॉर्म केवल इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिस में ही भरे जाएंगे।

फॉर्म-6 भरने में होने वाली गलतियां
लोग अक्सर डिक्लेरेशन वाला कॉलम भरना छोड़ देते हैं। ऐसा होने पर फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है।
फॉर्म भरने वाले के लिए अपना साइन करना जरूरी है, नहीं तो फॉर्म नामंजूर कर दिया जाता है।

दिल्ली

कैसे करें ऑनलाइन अप्लाई

दिल्ली इलेक्शन ऑफिस की वेबसाइट
 ceodelhi.gov.in पर राइट साइड में Enrol Online पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरा जा सकता है।
यहां अप्लाई करने से आपको वोटर आई-कार्ड 25 जनवरी के बाद मिल जाएगा।
यहां क्लिक करने के बाद आपको न्यू यूजर के तौर पर साइन अप करना होगा। इसके लिए राइट में नीचे
 New User! Sign Up! पर क्लिक करें।
फॉर्म के साथ आपको अपनी लेटेस्ट फोटो स्कैन करके अटैच करनी होगी।
इसके बाद अड्रेस प्रूफ और एज प्रूफ स्कैन कर लगाएं। अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो ये दोनों दस्तावेज लेने बीएलओ (बूथ लेवल अफसर) आपके घर आ जाएंगे।
यहीं वह आपसे फॉर्म पर साइन पर कराकर ले जाएंगे। इससे यह साबित होगा कि फलां वोटर यहां रहता है।
आप
 ceodelhi.gov.in राइट साइड में Enrol Online के नीचे Know your Booth Level Officer (BLO) पर क्लिक कर अपने इलाके के बीएलओ को जान सकते हैं।

कैसे करें ऑफलाइन अप्लाई
- 15 जनवरी के बाद अलग-अलग इलाकों में फॉर्म मिलने शुरू होंगे, जहां ऐप्लिकेशन दिया जा सकता है।
- इनके बारे में अखबारों में विज्ञापन दिए जाएंगे, जिनमें फॉर्म मिलने के सेंटरों की भी जानकारी दी जाएगी।
- फॉर्म पर अपनी हाल में खींची गई एक कलर फोटो लगानी होगी।
- साथ ही ऊपर बताए बाकी जरूरी दस्तावेज भी जमा कराने होंगे।
नोट: अड्रेस प्रूफ में अगर पहले दिए गए दस्तावेजों में से कोई नहीं हो, तो 50 पैसे का पोस्ट-कार्ड अपने पते पर खुद ही पोस्ट कर लीजिए। आपको मिलने के बाद वह अड्रेस प्रूफ का काम करेगा।

हेल्पलाइन
वोटर आई-कार्ड से जुड़ी किसी भी जानकारी या शिकायत दर्ज कराने के लिए कॉल करें: 1800110600 (टोल फ्री) या 011-29949365 पर। यह नंबर हफ्ते के सातों दिन सुबह 9 से शाम 6 बजे तक काम करता है।

कब और कहां से मिलेगा

- करीब एक महीने में आपका वोटर कार्ड बनकर तैयार हो जाएगा।
- वोटर कार्ड लेने के लिए आपको अपने इलाके के वोटर सेंटर में जाना होगा। अपने इलाके के असिस्टेंट इलेक्शन रजिस्ट्रेशन अफसर (वोटर सेंटर का इंचार्ज) का नाम, फोन नंबर और वोटर सेंटर का पूरा पता आप
ceodelhi.gov.in में Know your Voters' Centre पर क्लिक कर जान सकते हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा

कहां करें अप्लाई

वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने के लिए आपको अपने इलाके की तहसीलों (पते के लिए नीचे 'शिकायत कहां करें?' देखें) में जाना होगा।
नोएडा के लोग दादरी तहसील के अलावा नोएडा सेक्टर 19 स्थित सिटी मैजिस्ट्रेट के ऑफिस भी जा सकते हैं।
तहसील/सिटी मैजिस्ट्रेट ऑफिस में बूथ लेवल अफसर आपको फॉर्म फॉर्म-6 देगा।
वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए और वोटर आई कार्ड बनाने के लिए सिर्फ फार्म-6 भरने की जरूरत है।
इसमें सिर्फ एक कलर फोटो की जरूरत है।
इसे अड्रेस प्रूफ और एज प्रूफ लगाकर बीएलओ के पास जमा कराना होगा। अड्रेस प्रूफ के तौर पर दूसरे दस्तावेजों के अलावा किराए के मकान में रहने वाले लोग रेंट अग्रीमेंट की कॉपी भी लगा सकते हैं।
बीएलओ उस अड्रेस पर आपके मिलने पर उस अड्रेस को वैरिफाई कर देंगे।

कहां करें शिकायत

अगर आपका वोटर आई-कार्ड नहीं बनता है तो फॉर्म जमा करने के वक्त जो रसीद दी गई है, उसे लेकर अपने तहसील के एसडीएम से शिकायत कर सकते हैं।
नोएडा: जी. टी. रोड तिराहे से 200 मीटर की दूरी पर गाजियाबाद की तरफ दादरी तहसील में एसडीएम ऑफिस।
फोन नंबर: 0120-2662009
ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा में सूरजपुर के कलेक्ट्रेट स्थित सदर तहसील।
फोन नंबर: 0120-2560044
जेवर: एसडीएम ऑफिस, झाझर रोड, सिंकदराबाद बस अड्डे के निकट, जेवर।
फोन नंबर: 05738-272620

टाइमिंग

सोमवार से शुक्रवार, सुबह 9 से शाम 5 बजे तक, कोई लंच टाइम नहीं। छुट्टी: रविवार, दूसरा शनिवार। एसडीएम का आम जनता से मिलने का टाइम: सुबह 10-12 बजे।

कहां से मिलेगा

- वोटर आई-कार्ड बनने के बाद बूथ लेवल अफसर इसे आपके घर तक पहुंचाएंगे।

गाजियाबाद

आप अपना नाम लिस्ट में डलवाने के लिए इन जगहों से या बीएलओ से फॉर्म-6 ले सकते हैं:
गाजियाबाद तहसील, गांधीनगर, निकट जीटी रोड, फोन नंबर : 0120-2713909
मोदीनगर तहसील, दिल्ली- मेरठ हाइवे, गोविंदपुरी, फोन नंबर : 95363-87027
चुनाव कार्यालय, गाजियाबाद कलेक्ट्रेट, राजनगर डिस्ट्रिक्ट, सेंटर सेकेंड फ्लोर, कमरा नं. 309, फोन नंबर : 0120-2827016
वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करने के लिए गाजियाबाद में ऑनलाइन की व्यवस्था अभी शुरू नहीं की गई है। लोगों को फॉर्म 6 भरकर ही देना पड़ेगा।

टाइमिंग

सोमवार से शनिवार, सुबह 9 से शाम 4 बजे तक। लंच: 1:30-2 बजे तक। छुट्टी: रविवार व सरकारी छुट्टियां।
फॉर्म भरकर दो पासपोर्ट साइज फोटो, अड्रेस प्रूफ और एज प्रूफ के साथ आपको यहीं जमा कराना होगा।

कहां से मिलेगा

बीएलओ वोटर आई-कार्ड आपके घर तक पहुंचाएगा।

कहां करें शिकायत

अगर आपका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं होता तो आप बीएलओ, तहसीलदार और जिला सहायक निर्वाचन अधिकारी से लेकर उप जिला निर्वाचन अधिकारी और जिला निर्वाचन अधिकारी से बात कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए अथॉराइज्ड अफसर जिला सहायक निर्वाचन अधिकारी (चुनाव कार्यालय, गाजियाबाद कलक्ट्रेट) ही हैं और किसी के पास भी की गई शिकायत आखिरकार उन्हीं की टेबल पर आएगी।

अगर वोटर लिस्ट में आपका नाम है लेकिन वोटर आई-कार्ड आप तक नहीं पहुंचा है तो आप ऊपर लिखे अधिकारियों में से किसी के पास सादे कागज पर अर्जी दायर कर सकते हैं। उस अर्जी पर ही इलेक्शन डिपार्टमेंट आपका वोटर आई-कार्ड बनवाकर आप तक पहुंचाएगा।
इन अधिकारियों के अलावा आप शिकायत दर्ज कराने के लिए इलेक्शन ऑफिस के ऊपर दिए गए फोन नंबरों का इस्तेमाल हेल्पलाइन नंबर के तौर पर भी कर सकते हैं।

गुड़गांव

वोटर आई-कार्ड बनवाने के लिए मिनी सचिवालय स्थित डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिस या बीएलओ को फॉर्म-6 भरकर देना होगा।
वोटर आई-कार्ड बनाने के लिए अभी ऑनलाइन व्यवस्था नहीं है।
सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक, लंच टाइम: 1:30 से 2 बजे तक, छुट्टी: रविवार और शनिवार।
फोन नंबर: 0124-2224047
वोटर आई-कार्ड फॉर्म
 www.eci.net.in से भी डाउनलोड किया जा सकता है।
अड्रेस प्रूफ के तौर पर दूसरे दस्तावेजों के अलावा किराए के मकान में रहने वाले लोग रेंट अग्रीमेंट की कॉपी भी लगा सकते हैं। बीएलओ उस अड्रेस पर जाकर आपके मिलने पर उस अड्रेस को वैरिफाई कर देंगे।

कहां से मिलेगा

फॉर्म भरने के एक से डेढ़ महीने तक वोटर आई-कार्ड बनकर इलेक्शन ऑफिस में आ जाता है। यहीं से इसे हासिल किया जा सकता है। वोटर आई-कार्ड सीधे वोटर को ही मिलेगा और पोस्ट से इसे हासिल नहीं किया जा सकता। हाल में 01 अक्टूबर से 20 नवंबर तक चले विशेष अभियान के तहत जिन 45,364 वोटरों ने फॉर्म भरे थे, उन्हें उनका कार्ड 25 जनवरी से 3-4 दिन तक जिले के सभी 860 बूथों पर बांटा जाएगा।
अगर तय वक्त में वोटर आई-कार्ड बनकर न आए तो इसकी शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी (मिनी सचिवालय स्थित डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑफिस) और राज्य निर्वाचन आयुक्त से की जा सकती है।

फरीदाबाद

वोटर आई-कार्ड बनाने के लिए इलेक्शन ऑफिस से फॉर्म-6 लेना होगा। इलेक्शन ऑफिस का पता है: इलेक्शन ऑफिस, लघु सचिवालय, सेक्टर-12, फर्स्ट फ्लोर, कमरा नंबर-112/113
चुनाव तहसीलदार के ऑफिस का नंबर है: 0129-2227910
सोमवार से शुक्रवार, सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक, लंच: दोपहर 1:30 से 2 बजे तक। छुट्टी: शनिवार व रविवार।
फॉर्म-6 भरकर, साथ में अपने दो लेटेस्ट पासपोर्ट साइज फोटो (एक फॉर्म के लिए और एक अतिरिक्त) और अड्रेस व एज प्रूफ लगाकर यहीं जमा करना होगा।

नोट: अड्रेस प्रूफ में अगर पहले दिए गए दस्तावेजों में से कोई न हो, तो 50 पैसे का पोस्ट-कार्ड अपने पते पर खुद ही पोस्ट कर लीजिए। आपको मिलने के बाद वह अड्रेस प्रूफ का काम करेगा।
अपना कार्ड आप इलेक्शन ऑफिस से ले सकते हैं। कई बार इलेक्शन ऑफिस के बूथ लेवल ऑफिसर भी वोटर आई-कार्ड वोटरों तक पहुंचाते हैं।
अगर समय पर वोटर आई-कार्ड नहीं मिलता तो चुनाव तहसीलदार या जिला निर्वाचन अधिकारी यानी डीसी से शिकायत की जा सकती है। डीसी ऑफिस का फोन नंबर: 0129-2226604 / 2227936

कुछ सवाल-जवाब

मैंने फॉर्म-6 पोस्ट से भेजा है। अब आगे क्या प्रक्रिया होगी?
आपके इलाके का बूथ लेवल अफसर आपके दिए गए पते पर आएगा और इन बातों की जांच करेगा कि आप सचमुच उस अड्रेस पर रहते हैं, जो आपने फॉर्म 6 में लिखा है कि आप वही शख्स हैं, जिसका फोटो फॉर्म-6 पर लगा है।
मेरा नाम वोटर लिस्ट में शामिल है। मैं इलेक्टोरल रोल में अपने डिटेल्स कैसे चेक कर सकता हूं?
वेबसाइट
 www.ceodelhi.gov.in पर Check Your Name in the Voters' List को क्लिक कर आप अपने डिटेल्स चेक कर सकते हैं।
मेरी हाल ही में शादी हुई है। मैं अपनी पत्नी का नाम अपने पते पर कैसे जुड़वा सकता हूं?
यह इन बातों पर निर्भर करेगा:
1. अगर वह पहली बार अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा रही हैं, तो उन्हें फॉर्म-6 भरना होगा। इससे पहले दूसरे विधानसभा क्षेत्र से उनका नाम कटवाना होगा।
2. अगर उनका नाम इससे पहले किसी और विधानसभा क्षेत्र में था, तो उन्हें एड्रेस में बदलाव के लिए फॉर्म-6 भरना होगा।
3. अगर उनका नाम इससे पहले उसी विधानसभा क्षेत्र में किसी और अड्रेस पर था, तो उन्हें फॉर्म-8ए भरना होगा।
4. अड्रेस प्रूफ के तौर पर वह मैरिज सर्टिफिकेट या शादी के कार्ड की कॉपी दे सकती हैं।
मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट के तौर पर दाखिला लिया है। इससे पहले मैं कर्नाटक में रहता था। अभी मैं यहां ग्रीन पार्क में एक पेईंग गेस्ट के तौर पर रह रहा हूं। क्या मैं दिल्ली के वोटर लिस्ट अपना नाम डलवा सकता हूं?
हां, बिलकुल। अगर आप किसी और विधानसभा क्षेत्र के वोटर के तौर पर एनरोल नहीं हैं, तो आप फॉर्म-6 भरकर अपना नाम यहां के वोटर लिस्ट में डलवा सकते हैं। अड्रेस प्रूफ के तौर पर आप डिक्लेरेशन जमा कर सकते हैं, जिस पर हॉस्टल इनचार्ज/प्रिंसिपल/रजिस्ट्रार/डायरेक्टर/डीन में से किसी के भी साइन होने चाहिए।

21 नवंबर, 2012

Kasab hanged but some questions are still unanswered..

Today the first news i got in the morning was that all of a sudden Amir Ajmal Kasab, the terrorist behind the 26/11 mumbai attacks was finally hanged to death, but sometimes i feel very pity that why? why these few so called politicians think us so fool and they can manipulate all the things around in such a way that we people dont have any choice just to accept what has been told to us. do u think that Kasab has been hanged? its the similer kind of story that has been created for Osama Bin Laden, the american navy seals attacked him killed him and even burried him in the deep blue sea with in hours who was abducting from years, with out even making any confirmation about the authanticity of him being osama who actually died years back due to high blood sugar some where in tora bora hills in afganistan.
now the question is that how and when the president of india cancelled his petition? how and when the orders reached to aurther road jail? how and when he was transferred to yarvada jail? and how and when he was hanged? did the doctors had any post mortom on him? or will they release the truth behind his death? or now who will take the credit of hanging him?
these answers are untold and will remain like this only as media could be bias with this issue and nobody is going to disclose the truth behind all this.
another question asked today was now when will Afzal Guru be hanged now? the answer is similer... lets wait n watch him to suffer and die with dengue then the government will them self declare sometime that he too was hanged and i must say that, that mosquito must be awarded a bravery award for doing such a brave and patriotic act...

09 नवंबर, 2012

Deepawali ki Hardik Shubhkaamnayain

Diwali marks the end of the harvest season in most of India. Farmers are thankful for the plentiful bounty of the year gone by, and pray for a good harvest for the year to come. Traditionally this marked the closing of accounts for businesses dependent on the agrarian cycle, and the last major celebration before winter. The deity of Lakshmi symbolizes wealth and prosperity, and her blessings are invoked for a good year ahead. There are two legends that associate the worship of Goddess Lakshmi on this day. According to first one, on this day, Goddess Lakshmi emerged from Kshira Sagar, the Ocean of Milk, during the great churning of the oceans, Samudra manthan. The second legend(more popular in western India) relates to the Vamana avatar of Vishnu, the incarnation he took to kill the demon king Bali, thereafter it was on this day, that Vishnu came back to his abode, the Vaikuntha, so those who worship Lakshmi (Vishnu's consort) on this day, get the benefit of her benevolent mood, and are blessed with mental, physical and material well-being. As per spiritual references, on this day "Lakshmi-panchayatan" enters the Universe. Sri Vishnu, Sri Indra, Sri Kuber, Sri Gajendra and Sri Lakshmi are elements of this "panchayatan" (a group of five). and the most common of all is that Bhagwaan Shree Ram along with Sita and Lakshman came back to ayodhya after completing their 14 years long vanvaas and killing ravan and people celebrate the coming back of their king with lights and crackers. 
So, everybody has their own stories about the festivals and their celebrations but to me enjoy everyday as a festival and bring peace and harmony in the life of others as well your own. Keep smiling and enjoying the festival season and share and spread love and smiles..
Shubh Deepawali to all of you.

20 सितंबर, 2012

आज भारत बंद है

पता नहीं क्यूँ कुछ लोग, लोगों के लिए भारत बंद करते हैं? इस भारत बंद से किन लोगों को फायदा होता है यही समझ नहीं आता। आम आदमी तो दोनों तरफ से मरता और दबता ही है सरकार की नीतियों से भी और उसका विरोध करने वालों से भी।इस महंगाई का दर्द वो नेता क्या जाने जो सरकारी खर्चे पर पलता हो। जो ये ही नहीं जानता की महीने का राशन क्या होता है और कैसे खरीदा जाता है। एक सिलेंडर लेने के लिए कैसे घंटो चक्कर लगाने पड़ते हैं, शौक मैं खरीदी गयी गाडी भी खडी हुई एक नासूर की तरह चुभती है, जब महीने के 10000 कमाने वाला भी ये सोचते हुए रो पड़ता है की इस बार किस चीज़ मैं कटोती करूं बच्चे की पढाई से समझोता करूँ या माँ बाप की दवा से या फिर खाने से, महीने का दूध कम कर दूं , इस बार त्यौहार पर क्या करूँगा, कैसे बच्चों को समझाऊंगा, इतने पैसों मैं बिजली पानी का बिल भी भरना है, स्कूल की फीस भी देनी है, और अगर घर अपना नहीं है तो फिर तो किराया भी देना है। क्या ये भारत बंद से  ये सभी मुश्किलें हल हो जाएंगी? और उसका क्या जिसने रोज़ ही कमा कर खाना है जो मजदूरी करता है और फिर अपना और अपने परिवार का पेट  पालता है, सड़क पर हमारे फैंके हुए कागज़ चुगने वाले उस बच्चे का भारत बंद से क्या फायदा हाँ शायद वो धरने के बाद वहाँ पडे कागज़ बेनर समेत कर अपना गुज़ारा चला ले मगर उस बीमार का क्या जो आज समय पर हॉस्पिटल न पहुँच पाने की वजह से सड़क पर दम तोड़ देगा। उस नुक्सान का क्या जो किसी नेता के कहने पर उसके चमचे सरकारी अमले पर हमला करके तोड़फोड़ देंगे, रेल गाड़ियां रोक दी जाएंगी, बसें तोड़ी जाएंगी, दुकाने लूट ली जाएंगी, और आम आदमी से मारपीट की जाएगी।
ये वो आम आदमी ही है जो इस सबको भुगतेगा। सरकारी तंत्र की मार को भी और उसके विरोधियों को भी। ये आम आदमी तो उस खिलोने की तरह है जिसको हर कोई अपने लिए चाबी भरकर उससे खेलता है और काम होने पर उसे ही तोड़ देता है। ये वो टुटा हुआ आम आदमी ही है जो रोज़ मर रहा है। लाखों करोडो के घोटाले करने वाली सरकार सिर्फ चंद रुपयों की सब्सिडी के नाम पर आम आदमी को अपने पैरों के  नीचे  दबा कर मार रही है। दूसरी तरफ सरकार अपने सरकारी करमचारियों को महंगाई भत्ता भी बढ़ा रही है यानी अब एक आम आदमी और एक आम सरकारी आदमी मैं भी फर्क होगा। एक 30000 रूपए महीने कमाने वाले नेता के पास 30 हज़ार करोड़ की संपत्ति है लेकिन वो फिर भी सभी सरकारी सुख सुविधाओं पर ऐश करता है और एक आम आदमी ऐश के नाम पर 10 रूपए के गोल गप्पे भी नहीं खा सकता। सरकार उन 4 करोड़ विस्थापित पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों को तो सुविधाएँ दे सकती हैं लेकिन अपने देशवासियों का गला घोंट कर। चलो छोडो ये सब मैं भी क्या लेकर बैठ गया आज तो भारत बंद है और मैं ये सब लिख रहा हूँ किसी नेता को पता चल गया तो जबरदस्ती पकडवा देगा की बंद के दोरान मैने ये लेख कैसे लिखा। और यहाँ नेताओं की ही सुनवाई होती है हम तो आम आदमी हैं हमारा क्या है ...

09 सितंबर, 2012

हमारी उपलब्धियां

हमारी एक और महान उपलब्धि की आज भारत ने अपना 100वा मिशन अन्तरिक्ष मैं भेजा, हम ने तो चाँद पर भी पानी ढून्ढ लिया है, मंगल पर जाने की तयारी भी जारी है लेकिन हम स्वयं आज भी गटर का मिला हुआ पानी ही पीते हैं, चाँद पर घर बनाने का सपना है लेकिन हमारे देश में सडकें आज भी नहीं हैं, परमाणु उर्जा से बिजली बन रही है पर वो बिजली जा कहाँ रही है पता ही नहीं क्यूंकि आज भी सैकड़ों गाँव हैं जिन्हे बिजली क्या होती है पता ही नहीं, आज जब हम अपनी मूलभूत सुविधाओं को ही नहीं पूरा कर सकते तो ऐसी उपलब्धियों का फायदा किसको मिल रहा है, हम दुनिया के नक्शे पर तो चमकना चाहते हैं लेकिन अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर सकते तो इस सब का क्या फायदा... ? लाखों करोडो के घोटाले हो रहे हैं, सीबीआई और पुलिस अगर पकडती भी है तो ठीक लेकिन वो पैसा कहाँ चला जाता है ये किसी को नहीं पता, घोटाले बाज़ पकडने के बाद उस पैसे को कहाँ और क्या कर देते हैं पता भी नहीं चलता, एक आम आदमी घर पर 10-20,000 भी रखे तो परेशां रहता है की कहाँ रखे लेकिन ये लोग उन लाखों करोडो को कहाँ दबा देते हैं की उसको सीबीआई और पुलिस भी ढून्ढ नहीं पाती।। अजीब है न ये सब कुछ , लेकिन यही सब कुछ तो हो रहा है, हमारी उपलब्धियां दरअसल क्या हैं ..?
एक ऐसा प्रधानमंत्री जो सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना रहता है।
एक मायावती जैसी नेता जो सिर्फ आरक्षण और दलित वर्ग के अलावा इस देश में किसी को रहने देना नहीं चाहती।
एक भारतीय जनता पार्टी जैसी पार्टी जो केवल हिंदुत्व के दम पर जीती है। 
एक राज ठाकरे जैसा गुंडा जो महाराष्ट्र को अपनी जागीर समझता है और चाहता है लोग उसकी शर्तों पर जीयें।
एक केजरीवाल और सहयोगी जैसे लोग जो जनता को बडे हे प्यार से मूर्ख बना देते हैं।
एक कर्नाटका सरकार के मंत्रियों जैसे लोग जो राज्य मैं सूखे के नाम पर केंद्र से पैसा मांगते हैं और फिर उस पैसे से परिवार सहित विदेश में यात्रा करते हैं।
एक वो समुदाय विशेष जो आज भी अल्पसंख्यक कहलाता है और उसी की आड़ में वो सभी कुछ कर जाता है जो इस देश के सविंधान के विरुद्ध है और उनका कोई कुछ नहीं कर सकता।
एक हमारे देश के वो नेता जो संसद नहीं चलने देते क्यूंकि उनको उनके हक का वो मोटा खाने को नहीं मिला जो सरकार के मंत्रियों ने अकले अकले ही खा लिया।
एक वो महान आम आदमी जो सब कुछ सह सकता है लेकिन इस सबके विरुद्ध आवाज़ नहीं उठा सकता क्यूंकि उसको इस देश मैं रहने की कीमत चुकानी है जो वो किश्तों में चुका  रहा है।
एक वो व्यापारी वर्ग भी है जो बड़ी बड़ी कम्पनियां चलते हैं और सरकार से अपने दिए हुए चंदे के बदले बडे बडे घोटालों में स्वयं भी खाते हैं और सरकार को उसका हिस्सा भी देते हैं।
एक वो युवा है जो अचानक जागता है फिर शोर मचाता है और अत्याचार से लडने की बात करता है और फिर शांत होकर अपने काम मैं लग जाता है।
एक वो बाबा है जो योग सिखाते हुए भोग के लालच में आकर अपने अस्तित्वा पर ही सवाल खडे कर देता है।
और अंत मैं एक ऐसा अन्ना है जो सभी सोये हुए लोगों को जगाता है और पूरे देश को झिंझोड़ देता है लेकिन अपनों के हाथों दबा दिया जाता है, कुचल दिया जाता है, और वो बेचारा भी शांत होकर अपने घर बैठ जाता है।
दरअसल ये हमारे इस देश की कुछ महान उपलब्धियां है, ये रोकेट वोकैट तो बेकार की चीजें है, हमारी असली पहचान तो इन सब से है,   और हमारा देश और देशवासी इतने महान है की इन उपलब्धियों को नगण्य समझते हैं ...


15 अगस्त, 2012

क्या हम सचमुच आज़ाद हैं?

स्वतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें , आज़ादी के 65 वर्षों के उपरान्त आज क्या हम सचमुच आज़ाद हैं? क्या हमे आज़ादी है अपनी अभिव्यक्ति की? क्या हमे आज़ादी है अपने देश मैं कहीं भी रहने और जीने की? क्या हमे आज़ादी है अपने हक के लिए आवाज़ उठाने की? क्या हमे आज़ादी है आज़ादी से जीने की ... ?अगर नहीं तो फिर इस आज़ादी के मायने क्या हैं? हमारे लिए 15 अगस्त मतलब क्या सिर्फ राश्ट्रीय छुट्टी होना ही है ? ये आज़ादी हमे तोहफे मैं नहीं मिली, ये हमे उन लाखों शहीदों की कुर्बानियों के बाद मिली है जिन्होने अपनी जान दी सिर्फ और सिर्फ हमे आज़ाद देखने के लिए, जिनमे से कई तो गुमनामी की मौत मारे गए और कुछ जो आज भी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाणित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि सरकार उनकी दी हुई कुर्बानियों के एवज  मैं उन्हे पेंशन दे  सकें और वो अपनी जिंदगी गुज़ार सके और गर्व से कह सकें की हाँ उन्होने आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी, लेकिन आज उनको भी गर्व की जगह शर्मिंदगी महसूस होती होगी की आखिर हम लडे भी तो किन लोगों के लिए जिनको न तो आज़ादी का मतलब मालुम है और न ही  उसकी कीमत का अंदाजा हैं.  पर ये इस देश की विडम्बना है की हम आज़ाद तो हुए पर अपनों के हाथों ही फिर गुलाम हो गए और आज हम अपनों की ही गुलामी झेल रहे हैं , लेकिन इस गुलामी में  जीने मैं वो दर्द नहीं है एक मजबूरी है और एक लाचारी है शायाद इसीलिए हमे उस दर्द का एहसास नहीं हैं और हम उसी लाचारी और मजबूरी मैं जीए जा रहे हैं, हम सोचते हैं सिर्फ बर्दाश्त करो मगर आवाज़ मत उठाओ क्यूंकि हमारा क्या जा रहा है , सब चल रहा है ना , हम सब चाहते हैं की भगत सिंह, चंदर शेखर आज़ाद जैसे बच्चे फिर से पैदा तो हों लेकिन वो हमारे यहाँ न हों किसी पडोसी के यहाँ हो जायें, हम कुर्बानियां देना नहीं चाहते लेकिन चाहते हैं की कोई तो कुर्बानी दे , दरअसल हम सब मर चुके हैं और हमारी आत्मायें भी मर चुकी हैं और हम सिर्फ खाने और पहनने के लिए जी रहे हैं, हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है न देश के प्रति और न ही समाज के प्रति, और जो लोग अन्ना या रामदेव की तरह कुछ साहस भी करते हैं तो हम उनको भी स्वार्थी कह कर उनका मज़ाक उड़ाते हैं क्यूंकि हम खुद अक्षम हैं और हममे वो साहस और जज्बा नहीं है , हम डरते हैं और इसी तरह जीना चाहते हैं क्यूंकि आदत पड़ चुकी है और जब हम अपनी आदत ही नहीं बदल सकते तो इस देश को बदलने की बात कहाँ से करंगे ... ज़रा सोचिये 

13 अगस्त, 2012

India At Olympics

After spending more then $60 millions overall on the preparation of the 83 participants who took part in 13 different games, India this time improved its medal tally to 2 silver and 4 bronze medals and which is a record this time of highest medals tally at olympics so far. our sports minister immediately responded to the media that by 2020 olympics India's medal tally will improve to about 25 medals.
Isn't it ironical that out of the country of more than 1.2 billion people we can produce just a countable athletes and most of them cant even perform at the international levels. Our athletes just looks like they are there just to be the part of the game. winning six medals can be a big achievement for the individuals but as a country its a very poor performance where billions of rupees are spend annually on the name of sports which actually is not used to the potential and wasted by the authorities or is been used by our respected politicians who feel very proud to be associated to the sports arena just to be a part of an international contingent or they just wanted to improve their portfolio without actually having any concerns about the sports they are concerned to. Their motive behind all this is not to improve the quality of trainning or sports. Many of the concerned authorities are not even aware of the technicalities of the game they are heading. Problem is that its not like that we dont have the talent, we actually have lots n lots of talent and potential in our country but either the lack of infrastructure or facilities and then the politics behind the screen just damages the whole process. the money spent is not used with proper channel rather its been misused by the authorities for their own sake. many of our athletes are living their life with adversity. India is a country where cricket is considered as a national game and even the 14th player of the team being an extra still has an identity but we dont even know the name of other games played in india. every parent wants that if their child will be in sports then it should be cricket, nothing less. we have enormous talent but all we need is that we should promote them from the grass roots level and help them shine on the international levels so that India can prove its worth  at every part of the game.

03 अगस्त, 2012

Team Anna Zinda - Abaad

Anna's decision of making a political party and being a part of this dirty politics to clean the system is killing the people's hope and the strength of the promising people behind this movement. it gives a feeling that anna has been used by the team members as they themselves have lost their charm n identity as an individual and now their motive to be in politics is very clear and has been fulfilled now. The team members while they were on agitation dint get that much response from the people which they actually got when anna joined them and that clearly shows that people are there for that man and not the entire team. this decision has been taken as win for the congress party which from the day one have the aligation on team anna as they want to be in politics and team anna has proved that now. now my question is that is there any kind of gurantee that they wont be a part of this dirty politics or they are going to make a change. but to make that change they have to change the entire system which seems impossible atleast in my age span and hope that my children could see a better india when they grow up and have their life ahead. secondly they demands they have raised with the current government cannot be fulfilled by themselves as the way they want to impliment this could not be possible by themselves on that much scale, third is that team anna could not form a government on their own and they have to be a part of this mix match government and due to that this bill cannot be passed again. the things will linger on like this only and we might have to adjust with the team members as well as we are adjusting with the other politicians now.
so now i must say that this movement has lost the track and path of building a nation with hundreds of dreams shattered and lost hopes but still we can pray for our country and motherland and who knows their could be a miracle....

22 जुलाई, 2012

New President of India

Pranab Da has now been formally selected and elected president of india, lets see if this could make any difference or will this be another mistake by the elected representatives of this country. Congrats anyways Pranab Da....now its your turn to prove yourself as a distinguished president or like any other president of India. As being the first citizen of this democracy, we people have many hopes from you that some of your financial and social reforms might make a difference but if you keep working like the way you do and your work may not be influenced by the party you belonged to. for the next five years we would love to read from you and hear from you through the media and the press as like the earlier president about whom we only get to know when ever she had gone for a foreign trip. We hope that you might know your responsibilities better and help this country to make a difference on the globe..
congrats once again and Jai Hind..

12 जुलाई, 2012

नेताजी की रिटायरमेंट...

कभी सोचा है की एक नेता जी कभी भी और क्यूँ रेटायर नहीं होते, हर सरकारी महकमे में काम करने वाले के लिए दुनिया भर की पाबंदियां है और सिर्फ सरकारी ही नहीं बल्कि आम आदमी की जिंदगी भी ऐसा लगता है की जैसे वो सरकार के पास गिरवी रखी हुई है, और इस सरकार को चलाने वाले नेता हैं जो हमें मनमाने ढंग से चलाते हैं, जब चाहें वो क़ानून और सविधान की धज्जियां उड़ा सकते हैं...
कितने घोटाले होते हैं लेकिन या तो उनका कुछ होता नहीं है और अगर कोई इक्का दुक्का पकड़ा भी जाता है तो राजनीति की उठा पटक के बाद वो ऐसे छोड़ दिए जाते हैं जैसे की कोई योद्धा किसी युद्ध में जीत कर बहार निकला हो.. नेता लोग अपने ही लोगों के सामने इतने बोने हो जाते हैं की साठ गांठ करके राज्य का मुख्यमंत्री तक रातों रात बदल देते हैं. कई बार तो लगता है की ये कैसा गणतंत्र है और किस सविंधान पैर चल रहा है, एक आम आदमी तो जानता ही नहीं है की एक मुख्यमंत्री का या मंत्री का चुनाव कैसे होता है, यहाँ तो राष्ट्रपति के लिए भी पूरे जोड़ तोड़ किये जाते हैं, और हम सिर्फ चुनाव के समय अपना वोट डाल कर खुश हो जाते हैं, हम केवल पार्षद या एम.ऐल.ए  को चुन कर ही खुश हैं...
कई बार सोचा की क्यूँ ना एक नेता को भी एक उम्र के बाद रिटायर कर दिया जाना चाहिए और उस नेता की बनायीं हुई विरासत उसके परिवार के किसी सदस्य को न देकर किसी और को उसकी जिम्मेदारी देनी चाहिए, वर्ना ये तो एक व्यापार की तरह ही हो गया है की एक नेता का बेटा नेता बनेगा और अभिनेता का अभिनेता ..ये पीढ़ी दर पीढ़ी परिवारवाद तो हर नेता के यहाँ है. एक नेता जो अपना एक नेता के तोर पे व्यवसाय शुरू करता है तो अगर वो 2-4 लाख की कीमत का होता है तो कुछ हे समय मैं उसकी कीमत 20-30 करोड़ हो जाती है और उसका कोई हिसाब किताब भी नहीं होता और न ही कोई उससे हिसाब माँगा जाता है, बल्कि राजनेतिक जोड़ तोड़ करके उसको और फायदा भी दिया जाता है और ये सब करने वाले हम लोग नहीं हैं बल्कि वो राजनेता हैं जिनको हमने चुना नहीं है लेकिन वो पता नहीं कहाँ से आ जाते हैं और हमारे सर्वे सर्वा बन जाते हैं...
आज आप कोई भी नेता गरीब दिखा दो, किसी नेता के बेटे को फौज मैं दिखा दो या किसी नेता के बच्चे को कोई अपने बल बूते पर नोकरी करते दिखा दो, कोई नहीं मिलेगा, काला धन या भ्रष्टाचार पैर ये क्या लगाम लगा केर अपने या अपने परिवारजनों के पैरों पैर कुल्हाड़ी मारेंगे ? कभी नहीं
ये देश दरअसल भगवान् भरोसे चल रहा है और भगवान् भी अपने आप मैं लाचार ही है क्यूंकि वो भी तो बिक ही जाता है इन्ही नेताओं के हाथ ....

27 जून, 2012

क़ानून की कीमत

कई बार लगता है की हम अपने आस पास के माहोल और लोगों को एहमियत नहीं देते या यूँ कह लो की सिर्फ कुछ औपचारिकता के लिए नमस्कार करना या मुस्कुरा देना काफी होता है, लेकिन अगर अचानक आपको लगे की एक सज्जन पुरुष जिनको आप पिछले 25-30 सालों से जानते हैं और उनका अचानक आपके सामने एक ऐसा घिनोने रूप दिखाई दे तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी. आज कुछ ऐसा लगा की इंसान और इंसानियत की कोई कीमत ही नहीं है, सिर्फ कुछ रुपयों में इंसान और उसका ज़मीर दोनों बिक जाते हैं, पैसों के लिए रिश्ते तार तार हो जाते हैं, और तो और कानून भी अपनी कीमत लगवा कर बोना हो जाता है, 
एक लड़की जिसकी शादी को 15 साल हो चुके हों और दो बच्चे भी हों, जो जीवन भर एक दर्द को सहती रही मगर उफ़ तक नहीं की और जब उसको बेशर्मी से धक्के मारकर बच्चों के साथ आधी रात में घर से निकाल दिया जाए तो क्या होगा? पुलिस भी इंसानी कीमत लगाकर अपना काम करती है, उनको तो शायद प्रशिक्षण मैं ही अपने ज़मीर को मारना सिखाया जाता है, क़ानून के ये रखवाले शायद क़ानून से जयादा उसको तोड़ मरोड़ करना ज़यादा जानते हैं, वो लड़की अपने हे घर से बेघर की जाती है और पुलिस बेबसी से कहती है की वो इस घरेलु हिंसा मैं कुछ नहीं कर सकते, लेकिन अगर समाज जात पात से ऊपर उठ कर एकजुट होकर खड़ा हो जाए तो सभी कुछ संभव है, इन्साफ दिलाना भी और इन्साफ के लिए लड़ना भी और क़ानून को क़ानून सिखाना भी...
अच्छा लगा आज एक ऐसे समाज का हिस्सा बनकर उस बेबस के लिए लड़कर उसका हक दिलवाने में, और ये सच भी है की अगर हम एकजुट हैं तो सभी समस्याओं का हल भी है, अपने हक के लिए लड़ना गलत नहीं है बस रास्ता सही होना चाहिए और सही रास्ते पर चलकर हम अपना हक पा सकते हैं....

28 मई, 2012

Doctors, The God on earth..

I watched the episode of satyamev jayate on sunday and would praise the efforts put on by the aamir khan productions for raising some of the blunt issues of the society. but the discussion shown had many of the if's and but's left behind. the medical council knows whats going on and it has been open to all after the arrest of dr ketan who was alleged in the medical collages scam.
Earlier the doctors were the God on earth who saves our lives. but now it a big profession or a business with assured returns. from everything, the prescribed drugs, the lab tests, the recommendations and refrences, and even the humanity, everything is sold at a cut or a price of human life. from the birth to the death everything is a business for the doctors and the medical practiceners, the patient who could be a son to one or a husband to another, to somebody he could be a father, or a brother but for them he is a client who could just bring the business to them. whatever we are told we follow just for the sake of our beloveds. the test done are not always equired but just to get that cut from the lab, even sometimes the doctors deney the test recommended by the earlier doctors as they want their part.
The medicines have been sold on high prices just to earn the profits in many folds, because the pharmaceutical companies are giving some very lucrative offers to the doctors to recommend their products and recovering that money from the poor patients. why dont the government takee the responsibility of the citizens to provide the generic medicines on cheaper price to the people, as per the WHO the indian government is spending just 1.4% of their gdp on healthcare for the citizens and even the small countries are spending 6-8% for the same even this is far less for the country like india with such a big polulation. so how can we get the basic necesseties for ourselves while government is spending billions on their own and the money is been flowen to some countable accouunts only.
Everybody is now aware of the truth behind the business going on in the healthcare and even the ministery of health and the medical council of india too is aware of what is going on but why they all feel bound to take necessary steps and action? why we the citizens of india are so unprivilaged to get the basic need of food and healthcare? many more questions and still finding the answers..
but the people who are concerned are not committed to their duties and their job and we people are having a chalta hai attitude for ourselves...

12 अप्रैल, 2012

धन्य हैं बाबा लोग ....

आज हम भविष्य की और बढते बढते रूढ़िवादिता की तरफ भी झुकते जा रहे हैं, जिंदगी की इसी आपा धापी में सही और गलत का निर्णय कर पाना मुश्किल क्यूँ लगने लगा है? क्यूँ हम अपने भविष्य को लेकर इतने चिंतित हो जाते हैं की कुछ बचकाना बातें भी हमे जीवन परिवर्तक लगने लगती हैं? आजकल कोई भी हमें एक अच्छे और सुखद भविष्य का सपना दिखा कर ठग लेता है, और हम भी देखा देखी उनका अन्धानुकरण करने लगते हैं, क्या ये सही है ? आजकल कुछ बाबा लोग जो अपने आप को आलोकिक शक्तियों का स्वामी बताते हैं वो दावा करते हैं हमारी जिंदगी बदलने का और सभी दुखों और कष्टों से मुक्ति दिलाने का , तो क्या वो सही हैं?? नहीं ...  जब कोई भी इंसान परेशान होता है तो वो कोई सहारा ढूँढता है और ये बाबा लोग और उनके चमचे ऐसे ही लोगों को ढूँढते रहते है और वो हमें आशा की एक किरण की तरह दिखते हैं,  उनके पीछे लोगों का हुजूम और उनकी नौटंकी को हम भगवान् का एक रूप मान लेते हैं,,, 
क्या हमारे जीवन की परेशानियां हम पर इतनी हावी हो चुकी हैं की हम उन से लडने के बजाये उनका समाधान ऐसे लोगों के पास चुनते हैं जिनके स्वयं के पास अपनी परेशानियों का कोई हल नहीं है..

 चतरा (झारखंड) से सांसद और झारखंड विधानसभा के स्‍पीकर रह चुके इंदर सिंह नामधारी ने आज के निर्मल बाबा का अतीत बताया है।बाबा के बारे में कहीं कोई निजी जानकारी आम नहीं है। ऐसे में नामधारी के हवाले से निर्मल बाबा के सच को पूरी दुनिया जान सकती है। बाबा नामधारी के छोटे साले है। बुरे दिनों में नामधारी ने उनकी काफी मदद की है।

बकौल इंदर सिंह नामधारी, '1964 में जब मेरी शादी हुई थी, तो उस वक्त निर्मल 13-14 साल के थे। पहले ही पिता की हत्या हो गयी थी। इसलिए उनकी मां (मेरी सास) ने कहा था कि इसे उधर ही ले जाकर कुछ व्यवसाय करायें। 1970-71 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) आये। 1981-82 तक रहे, उसके बाद रांची में 1984 तक रहे। उसी वर्ष रांची का मकान बेच कर दिल्ली लौट गये।' 1981-82 तक वह मेदिनीनगर में रह कर व्यवसाय करते थे। चैनपुर थाना क्षेत्र के कंकारी में उनका ईंट-भट्ठा भी हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के नाम से चलता था। लेकिन आज जो उनका चमत्‍कारिक कायाकल्‍प हुआ, उस बारे में उनके करीबी भी ज्‍यादा बात करना नहीं चाहते।

नामधारी ने 'प्रभात खबर' को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि निर्मल ने 1998-99 में बहरागोड़ा (झारखंड) में माइंस की ठेकेदारी ली थी। इसी क्रम में उन्हें कोई आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद वह अध्यात्म की तरफ मुड़ गये। नामधारी ने बाबा के 'चमत्‍कारिक कायाकल्‍प' के बारे में इससे ज्‍यादा कुछ बोलने से इनकार कर दिया।

आज निर्मल बाबा के दुनिया भर में लाखों भक्‍त हैं, लेकिन उनके जीजा नामधारी को उनका तरीका पसंद नहीं आता। उन्‍होंने बताया, 'मैं कहता हूं कि ईश्वरीय कृपा से यदि कोई शक्ति मिली है, तो उसका उपयोग जनकल्याण में होना चाहिए। बात अगर निर्मल बाबा की ही करें, तो आज जिस मुकाम पर वह हैं, वह अगर जंगल में भी रहें, तो श्रद्धालु पहुंचेंगे। फिर प्रचार क्यों? पैसा देकर ख्याति बटोर कर क्या करना है? जनकल्याण में अधिक लोगों का भला हो।' गौरतलब है कि निर्मल बाबा देश के लगभग हर प्रमुख टीवी चैनल पर अपना विज्ञापन कराते हैं।

निर्मल बाबा के परिवार के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक वह दो भाई हैं। बड़े भाई मंजीत सिंह अभी लुधियाना में रहते हैं। निर्मल बाबा छोटे हैं। मेदिनीनगर (झारखंड) के दिलीप सिंह बग्गा की तीसरी बेटी से उनकी शादी हुई। उनके एक बेटा और एक बेटी है। 1947 में देश के बंटवारे के समय निर्मल बाबा का परिवार भारत आ गया था।
 यही निर्मल बाबा जो मीडिया और चैनल पर एक विज्ञापन की तरह प्रचार करते हैं और लोगों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाने का दावा करते हैं, यहाँ तक की हमारा मीडिया भी सिर्फ चाँद रुपियों के लिए उनका कार्यक्रम प्रसारित करते हैं और लोगों को भ्रमित करते हैं, उनके बताये हुए उपाय बडे ही  बचकाना तरीके से लोग पैसा देकर सुनते हैं और अपनाते हैं, ये सब क्या है ??
क्या ये उन लोगों की भावनाओं का मज़ाक नहीं या ये उनके साथ और उनकी आस्था और विश्वास के साथ खिलवाड़ नहीं है? वो एक उम्मीद के साथ आते हैं और एक चुटकुला सुन कर चले जाते हैं ..
पता नहीं हम कब जिंदगी की इस जद्दो जेहाद से निकल कर एक अच्छे भविष्य का निर्माण स्वयं कर सकेंगे , और इन बाबाओं और नेताओं के चुंगल से बच सकेंगे ...

23 मार्च, 2012

शहीदी दिवस


दोस्तों आज हिन्दू नव वर्ष विक्रमी संवत 2069 एवं युगाब्द 5114 की हार्दिक मंगलकामनाये, साथ ही आज चैत्र मास के नवरात्री भी शुरू हो गयी है, और आज हमारे वीर शहीदों का शहीदी दिवस भी है, आज ही भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गयी थी..
तो आइये हम अपनी खुशियों मैं उन शहीदों को भी याद रखें जिनकी कुर्बानी से आज हम स्वतंत्र हैं और माँ भगवती से कामना करैं की माँ सभी को सुख शांति और समृद्धि प्रदान करैं .... 

09 मार्च, 2012

धारा "49-0"


क्या आप जानते हैं ?????????

1-कानून की धारा "49-0" के अनुसार, आप मतदान केंद्र पर जा कर अपनी पहचान की पुष्टि करा कर, अपनी ऊँगली को चिन्हित कराकर, पीठासीन चुनाव अधिकारी को बता सकते है कि आप किसी को भी वोट नहीं देना चाहते हैं।

2-जी हाँ, ऐसी सुविधा उपलब्ध है परन्तु इन नेताओं ने इसे कभी ज़ाहिर नहीं होने दिया है और यह सुविधा है - धारा "49-0" ** आप को वहां जा कर कहना है - मैं किसी को वोट देना नहीं चाहता/चाहती

3-क्योंकि, अगर किसी वार्ड के चुनाव में, एक उम्मीदवार (for example) अगर 123 वोटो से जीतता है और उसी वार्ड में 49-0 के वोट 123 से ज़्यादा पड़ते हैं तो उस वार्ड का चुनाव रद्द माना जाएगा और वहां पुनर्मतदान होगा।

4-यही नहीं वहां के उम्मीदवारों की उम्मीदवारी भी रद्द मानी जायेगी और वे चुनाव में फिर से खड़े नहीं हो सकते क्यूंकि लोगों ने उन के बारे में अपना रवैया स्पष्ट कर दिया ऐसा माना जाएगा।

5-यह राजनीतिक पार्टियों में भय पैदा करेगा और वे गलत लोगों को उम्मीदवार बनाने से परहेज़ करेंगे और अच्छे लोगों को चुनाव मैदान में उतारेंगे। इस से हमारी राजनैतिक प्रणाली में बदलाव आएगा।

6-यह एक आश्चर्य का विषय है की हमारे 'चुनाव आयोग' ने इस अचूक हथियार के विषय में जनता को क्यों नहीं शिक्षित किया ??

7- यह भारत में भ्रष्ट दलों के खिलाफ अद्भुत हथियार हो सकता है, अपनी शक्ति/ताकत दिखाईये, अपनी इच्छा को व्यक्त कीजिये कि आप किसी को भी वोट नहीं देना चाहते, यह ही आप का सब से बड़ा हथियार है, वोट देने से भी ज़यादा बड़ा हथियार।

अपने इस हथियार को प्रयोग में लाइए ....... must go and vote..