03 सितंबर, 2011

लोकतंत्र का मज़ाक

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है, सुना तो यही है और पढ़ा भी यही है, लेकिन अब यहाँ तानाशाह राज करते हैं जो की सिर्फ अपना एक छत्र राज चलाना चाहते हैं, आज वो कहते हैं की हमारी सुनो और वही करो जो हम कहते हैं और अगर किसी ने भी हमारे खिलाफ कुछ भी बोलने की या लिखने की कोशिश की तो या तो हम उनको रात को डंडे मारेंगे या फिर उन पर इनकम टॅक्स वालों को छोड़ देंगे, ओर इनकम टॅक्स तो हमारे पास वो हथियार है की अगर उसका नोटीस किसी पेड़ पेर लगा दिया जाए तो वो भी सूख जाए, लोग वही हैं पेर अब वो सरकार के लिए काँटा हो गये हैं, आज अचानक उनके खिलाफ भरस्ताचार के मामले भी अचानक ढूँडने पड़ गये ओर इनकम टॅक्स के भी, अभी तो शायद सरकार को कुछ ओर भी याद आ जाए, शायद सरकार अभी उन सभी लोगों के खिलाफ भी कुछ ढूंदेगी जो लाखों की संख्या मैं राम लीला मैदान मैं आए थे एक अकचे भविष्या की कामना से ओर जो चाहते थे एक सुखद भविष्या ओर समरध भारत, सरकार के पास कुछ जोकर हैं जिनको वो आगे कर देते हैं ताकि अगर उनके कहे किसी बयान पर कोई आपत्ति हो तो वो भी हंस कर टाल दिया जाए ओर अगर उनका कहा चल जाए तो वही जोकर तुरुप का पत्ता बन जाए, आज अन्ना की टीम का हेर वो सदस्या जो किसी भी प्रकार से सामने था आज किसी ना किसी क़ानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहा है, ओर ये सब किसी अच्छे तानाशाह की तरह हेर वो दाव अपना रहे हैं जो उनके पास है, लेकिन आज हमने सीखा है की कैसे अहिंसा से किसी भी बड़ी से बड़ी तानाशाही से लड़ा जा सकता है, आज हम एक सुंदर भविष्या की कल्पना कर रहे हैं ओर अपने बचों को एक अछा भारत देना चाहते हैं ओर उसके लिए हम दिन रात इतनी मेहनत करते हैं तो ये अहिंसा का रास्ता अपना कर भी हम उसी भविष्या को साकार कर सकते हैं, सरकार को सोचना चाहिए की वो भी इस्मे अपना योगदान दे ये सभी के हित मैं हैं...