20 सितंबर, 2012

आज भारत बंद है

पता नहीं क्यूँ कुछ लोग, लोगों के लिए भारत बंद करते हैं? इस भारत बंद से किन लोगों को फायदा होता है यही समझ नहीं आता। आम आदमी तो दोनों तरफ से मरता और दबता ही है सरकार की नीतियों से भी और उसका विरोध करने वालों से भी।इस महंगाई का दर्द वो नेता क्या जाने जो सरकारी खर्चे पर पलता हो। जो ये ही नहीं जानता की महीने का राशन क्या होता है और कैसे खरीदा जाता है। एक सिलेंडर लेने के लिए कैसे घंटो चक्कर लगाने पड़ते हैं, शौक मैं खरीदी गयी गाडी भी खडी हुई एक नासूर की तरह चुभती है, जब महीने के 10000 कमाने वाला भी ये सोचते हुए रो पड़ता है की इस बार किस चीज़ मैं कटोती करूं बच्चे की पढाई से समझोता करूँ या माँ बाप की दवा से या फिर खाने से, महीने का दूध कम कर दूं , इस बार त्यौहार पर क्या करूँगा, कैसे बच्चों को समझाऊंगा, इतने पैसों मैं बिजली पानी का बिल भी भरना है, स्कूल की फीस भी देनी है, और अगर घर अपना नहीं है तो फिर तो किराया भी देना है। क्या ये भारत बंद से  ये सभी मुश्किलें हल हो जाएंगी? और उसका क्या जिसने रोज़ ही कमा कर खाना है जो मजदूरी करता है और फिर अपना और अपने परिवार का पेट  पालता है, सड़क पर हमारे फैंके हुए कागज़ चुगने वाले उस बच्चे का भारत बंद से क्या फायदा हाँ शायद वो धरने के बाद वहाँ पडे कागज़ बेनर समेत कर अपना गुज़ारा चला ले मगर उस बीमार का क्या जो आज समय पर हॉस्पिटल न पहुँच पाने की वजह से सड़क पर दम तोड़ देगा। उस नुक्सान का क्या जो किसी नेता के कहने पर उसके चमचे सरकारी अमले पर हमला करके तोड़फोड़ देंगे, रेल गाड़ियां रोक दी जाएंगी, बसें तोड़ी जाएंगी, दुकाने लूट ली जाएंगी, और आम आदमी से मारपीट की जाएगी।
ये वो आम आदमी ही है जो इस सबको भुगतेगा। सरकारी तंत्र की मार को भी और उसके विरोधियों को भी। ये आम आदमी तो उस खिलोने की तरह है जिसको हर कोई अपने लिए चाबी भरकर उससे खेलता है और काम होने पर उसे ही तोड़ देता है। ये वो टुटा हुआ आम आदमी ही है जो रोज़ मर रहा है। लाखों करोडो के घोटाले करने वाली सरकार सिर्फ चंद रुपयों की सब्सिडी के नाम पर आम आदमी को अपने पैरों के  नीचे  दबा कर मार रही है। दूसरी तरफ सरकार अपने सरकारी करमचारियों को महंगाई भत्ता भी बढ़ा रही है यानी अब एक आम आदमी और एक आम सरकारी आदमी मैं भी फर्क होगा। एक 30000 रूपए महीने कमाने वाले नेता के पास 30 हज़ार करोड़ की संपत्ति है लेकिन वो फिर भी सभी सरकारी सुख सुविधाओं पर ऐश करता है और एक आम आदमी ऐश के नाम पर 10 रूपए के गोल गप्पे भी नहीं खा सकता। सरकार उन 4 करोड़ विस्थापित पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों को तो सुविधाएँ दे सकती हैं लेकिन अपने देशवासियों का गला घोंट कर। चलो छोडो ये सब मैं भी क्या लेकर बैठ गया आज तो भारत बंद है और मैं ये सब लिख रहा हूँ किसी नेता को पता चल गया तो जबरदस्ती पकडवा देगा की बंद के दोरान मैने ये लेख कैसे लिखा। और यहाँ नेताओं की ही सुनवाई होती है हम तो आम आदमी हैं हमारा क्या है ...

09 सितंबर, 2012

हमारी उपलब्धियां

हमारी एक और महान उपलब्धि की आज भारत ने अपना 100वा मिशन अन्तरिक्ष मैं भेजा, हम ने तो चाँद पर भी पानी ढून्ढ लिया है, मंगल पर जाने की तयारी भी जारी है लेकिन हम स्वयं आज भी गटर का मिला हुआ पानी ही पीते हैं, चाँद पर घर बनाने का सपना है लेकिन हमारे देश में सडकें आज भी नहीं हैं, परमाणु उर्जा से बिजली बन रही है पर वो बिजली जा कहाँ रही है पता ही नहीं क्यूंकि आज भी सैकड़ों गाँव हैं जिन्हे बिजली क्या होती है पता ही नहीं, आज जब हम अपनी मूलभूत सुविधाओं को ही नहीं पूरा कर सकते तो ऐसी उपलब्धियों का फायदा किसको मिल रहा है, हम दुनिया के नक्शे पर तो चमकना चाहते हैं लेकिन अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर सकते तो इस सब का क्या फायदा... ? लाखों करोडो के घोटाले हो रहे हैं, सीबीआई और पुलिस अगर पकडती भी है तो ठीक लेकिन वो पैसा कहाँ चला जाता है ये किसी को नहीं पता, घोटाले बाज़ पकडने के बाद उस पैसे को कहाँ और क्या कर देते हैं पता भी नहीं चलता, एक आम आदमी घर पर 10-20,000 भी रखे तो परेशां रहता है की कहाँ रखे लेकिन ये लोग उन लाखों करोडो को कहाँ दबा देते हैं की उसको सीबीआई और पुलिस भी ढून्ढ नहीं पाती।। अजीब है न ये सब कुछ , लेकिन यही सब कुछ तो हो रहा है, हमारी उपलब्धियां दरअसल क्या हैं ..?
एक ऐसा प्रधानमंत्री जो सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना रहता है।
एक मायावती जैसी नेता जो सिर्फ आरक्षण और दलित वर्ग के अलावा इस देश में किसी को रहने देना नहीं चाहती।
एक भारतीय जनता पार्टी जैसी पार्टी जो केवल हिंदुत्व के दम पर जीती है। 
एक राज ठाकरे जैसा गुंडा जो महाराष्ट्र को अपनी जागीर समझता है और चाहता है लोग उसकी शर्तों पर जीयें।
एक केजरीवाल और सहयोगी जैसे लोग जो जनता को बडे हे प्यार से मूर्ख बना देते हैं।
एक कर्नाटका सरकार के मंत्रियों जैसे लोग जो राज्य मैं सूखे के नाम पर केंद्र से पैसा मांगते हैं और फिर उस पैसे से परिवार सहित विदेश में यात्रा करते हैं।
एक वो समुदाय विशेष जो आज भी अल्पसंख्यक कहलाता है और उसी की आड़ में वो सभी कुछ कर जाता है जो इस देश के सविंधान के विरुद्ध है और उनका कोई कुछ नहीं कर सकता।
एक हमारे देश के वो नेता जो संसद नहीं चलने देते क्यूंकि उनको उनके हक का वो मोटा खाने को नहीं मिला जो सरकार के मंत्रियों ने अकले अकले ही खा लिया।
एक वो महान आम आदमी जो सब कुछ सह सकता है लेकिन इस सबके विरुद्ध आवाज़ नहीं उठा सकता क्यूंकि उसको इस देश मैं रहने की कीमत चुकानी है जो वो किश्तों में चुका  रहा है।
एक वो व्यापारी वर्ग भी है जो बड़ी बड़ी कम्पनियां चलते हैं और सरकार से अपने दिए हुए चंदे के बदले बडे बडे घोटालों में स्वयं भी खाते हैं और सरकार को उसका हिस्सा भी देते हैं।
एक वो युवा है जो अचानक जागता है फिर शोर मचाता है और अत्याचार से लडने की बात करता है और फिर शांत होकर अपने काम मैं लग जाता है।
एक वो बाबा है जो योग सिखाते हुए भोग के लालच में आकर अपने अस्तित्वा पर ही सवाल खडे कर देता है।
और अंत मैं एक ऐसा अन्ना है जो सभी सोये हुए लोगों को जगाता है और पूरे देश को झिंझोड़ देता है लेकिन अपनों के हाथों दबा दिया जाता है, कुचल दिया जाता है, और वो बेचारा भी शांत होकर अपने घर बैठ जाता है।
दरअसल ये हमारे इस देश की कुछ महान उपलब्धियां है, ये रोकेट वोकैट तो बेकार की चीजें है, हमारी असली पहचान तो इन सब से है,   और हमारा देश और देशवासी इतने महान है की इन उपलब्धियों को नगण्य समझते हैं ...