उत्तरप्रदेश में चुनाव का शंखनाद हो चुका है, और इस चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर श्रीराम मंदिर और योगी आदियत्यनाथ की साख पर सबसे ज़्यादा प्रहार किए जाएंगे क्योंकि दोनों ही हिंदुत्व के गौरव का प्रतीक हैं, और विपक्षी भेड़िए इन पर हिंदुओ को बांटे बिना जीत नही सकता... ये राजनीति की बिसात है, इसमें साम दाम दंड भेद के अलावा धार्मिक तुष्टिकरण भी महत्वपूर्ण है, और किंचित विपक्ष के पास यही एक मुद्दा बचा है.. जातीय व धार्मिक वोटो की जोड़ तोड़.. अब इसे यूँ समझिए कि यदि आप राम मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर आपियों और साँपियों के झूठ के 24 घंटे में नंगा होने पर खुश हो रहे हैं तो थोड़ा रुक जाइये.... और उनके अगले स्टेप को भी जानिए.. अब जल्दी ही इस मामले में एक आत्ममुग्ध वकील भी कूदने वाला है जो भाजपाई भी है.. नाम को ही सही.. साथ ही वामी टीम यानी योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण भी कूदेंगे... राजनीतिक ज़मीन तो ये भी तलाश रहे हैं.. ये मामले को जमीन का विवाद बना वक्फ बोर्ड बनाम कोई अन्य का मुकदमा खड़ा किया जाएगा और अधिग्रहण के काम रोकने का प्रयत्न होगा या ट्रस्ट द्वारा जमीन की खरीद को अवैध बताया जाएगा... और कोर्ट के जरिये निर्माण कार्य को रोकने का प्रयत्न होगा... याद रहे निर्माण उस जमीन से कहीं ज्यादा हिस्सों पर होना है जिसपर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, क्योंकि अयोध्या में केवल मंदिर निर्माण ही नही हो रहा, पूरी अयोध्या नगरी को सजाया जा रहा है.. अब सैफई के टीपू सुल्तान, केजरी टीम और पूरा वामपंथी गैंग किसी भी तरह हर हाल में 2022 से पहले चाहे एक दिन को रुके मंदिर निर्माण रोकना चाहते हैं ताकि अपने वोट बैंक को यक़ीन दिला सकें के सरकार बनने पर वे मंदिर नहीं बनने देंगे... इसी क्रम में अयोध्या में कोई हिंसक घटना भी होती है तो मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा...परंतु आप केवल और केवल अपने प्रभु श्रीराम पर आस्था बनाये रखिये, उन्होंने सही लोगों को चुना है अयोध्या के जीर्णोद्धार के लिए.. बाकी विपक्ष जो करे वो करने दीजिए, ये उनके राजनीतिक अस्तित्व का सवाल है और उसके लिए ये किसी भी हद तक जाएंगे सत्ता के लिए.. लिख लीजिए... जय श्रीराम