14 जून, 2025

अपने आज को जियो

ज़िंदगी, रोज़ नये सपने देखना, भविष्य की कल्पनाएँ करते हुए, कुछ पाने की, कुछ करने की, कुछ बनने की, अपने आज को मारते हुए हम इसी जद्दो जेहद् मे जिए जा रहे हैं, कुछ कल्पनाओं मे संभावनाएं तलाशते, छोटी छोटी खुशियों को दरकिनार करके कुछ बड़ा पाने की चाहत मे.. किंतु सब क्षणभंगुर...

आकस्मिक घटनाएं एवं दुर्घटनाएं एक डर पैदा कर देती हैं, जीने की इच्छा शक्ति छीन लेती हैं और सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं.. ये सब हम सभी मे कोरोना काल मे महसूस किया.. रोज़ मर मर कर जिए, अपनों को खोया.. ज़िंदगी की कीमत का अंदाज़ा हुआ, पर हम जल्दी ही संभल जाते हैं क्योंकि कहते हैं ना जीवन किसी के जाने से खालीपन तो महसूस करता है किंतु रुकता नही है.. ये हवाई दुर्घटना मे सेकड़ो लोगों की जान चली गयी.. और गलती किसी की नही या फिर शायद किसी एक की किंतु बाकी का क्या.. किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी की बहन किसी की माँ, किसी का सुहाग तो किसी का पूरा परिवार, सब चले गए और पीछे केवल सेकड़ो कहानियाँ किस्से.. कुछ ही पलों मे सारे सपने, आकांग्शाएँ, कल्पनाएँ सब शून्य हो गए... ज़िदगी भर की मेहनत राख हो गयी, डॉक्टर, इंजीनियर, नेता, अभिनेता, व्यवसायी, विधार्थी सब राख का ढेर मात्र रह गए.. जो बच गए उनकी अलग कहानियाँ और सिहरन भरी यादें... हम लोग आपने आज को मारकर जी रहे हैं उस अनदेखे कल के लिए.. जीवन शाश्वत नही है, इसे प्रेम पूर्वक आपसी सौहार्द से जियो.. क्षणिक जीवन मे मृत्यु निश्चित है... जो पल खुशियों के मिले उन्हे जी भर कर जियो.. आने वाले समय मे विश्वयुद्ध भी दस्तक दे रहा है.. बीता हुआ समय और गए हुए लोग कभी वापस नही आते..

01 जनवरी, 2025

नूतन वर्षाभिनंदन 2024

 नित्य परिवर्तन जीवन का एक अभिन्न अंग है। सृष्टि में पल-पल बहुत कुछ बदलता रहता है। यहाँ न सुख स्थिर है न दुःख स्थिर है। न वस्तु स्थिर है, न पदार्थ स्थिर है और तो और न जीवन स्थिर है, न मृत्यु स्थिर है। प्रतिक्षण नवीनता जीवन का स्वभाव है। यहाँ आने वाला हर क्षण नवीन है, प्रत्येक क्षण परिवर्तनशील है। प्रतिक्षण परिवर्तन की स्वीकारोक्ति ही जीवन में प्रसन्नता का आधार है। नवीनता केवल प्रकृति में ही नहीं अपितु हमारी प्रवृत्ति में भी आनी चाहिए। समय के साथ-साथ हमारे विचारों का परिमार्जन भी होना चाहिए एवं हमारे जीवन जीने का ढंग भी अवश्य बदलना चाहिए। नयें विचार हमारे जीवन में नव ऊर्जा का संचरण करते हैं। प्रतिक्षण नवीनता में जीने के कारण ही पुष्प सबका प्रिय बनता है। एक नये संकल्प, एक नईं उमंग, एक नये उत्साह के साथ जीवन को आनंदमय बनाने का प्रयास करें। मौसम ही नहीं हमारी मानसिकता भी बदलनी चाहिए। ये अंग्लो नव वर्ष है माना किंतु शुभकामनाएँ तो हम दे ही सकते हैं, क्यों हम अपने धर्म या संस्कृति की आड़ मे अपने को बड़ा दिखाने की होड़ मे दूसरे को छोटा दिखाने का प्रयास करें.. धर्म शिक्षा को केवल प्रेषित ही ना करें अपितु आचरण मे भी लाएं.. सर्व धर्म संभाव एवं वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को समझें.. महादेव से प्रार्थना करते हैं कि यह एंग्लो नववर्ष 2025 आप सभी को आनंदमय, आरोग्यमय एवं नव उमंग व नव उत्साह प्रदान करने वाला हो...