ज़िंदगी, रोज़ नये सपने देखना, भविष्य की कल्पनाएँ करते हुए, कुछ पाने की, कुछ करने की, कुछ बनने की, अपने आज को मारते हुए हम इसी जद्दो जेहद् मे जिए जा रहे हैं, कुछ कल्पनाओं मे संभावनाएं तलाशते, छोटी छोटी खुशियों को दरकिनार करके कुछ बड़ा पाने की चाहत मे.. किंतु सब क्षणभंगुर...
आकस्मिक घटनाएं एवं दुर्घटनाएं एक डर पैदा कर देती हैं, जीने की इच्छा शक्ति छीन लेती हैं और सारे सपने चकनाचूर हो जाते हैं.. ये सब हम सभी मे कोरोना काल मे महसूस किया.. रोज़ मर मर कर जिए, अपनों को खोया.. ज़िंदगी की कीमत का अंदाज़ा हुआ, पर हम जल्दी ही संभल जाते हैं क्योंकि कहते हैं ना जीवन किसी के जाने से खालीपन तो महसूस करता है किंतु रुकता नही है.. ये हवाई दुर्घटना मे सेकड़ो लोगों की जान चली गयी.. और गलती किसी की नही या फिर शायद किसी एक की किंतु बाकी का क्या.. किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी की बहन किसी की माँ, किसी का सुहाग तो किसी का पूरा परिवार, सब चले गए और पीछे केवल सेकड़ो कहानियाँ किस्से.. कुछ ही पलों मे सारे सपने, आकांग्शाएँ, कल्पनाएँ सब शून्य हो गए... ज़िदगी भर की मेहनत राख हो गयी, डॉक्टर, इंजीनियर, नेता, अभिनेता, व्यवसायी, विधार्थी सब राख का ढेर मात्र रह गए.. जो बच गए उनकी अलग कहानियाँ और सिहरन भरी यादें... हम लोग आपने आज को मारकर जी रहे हैं उस अनदेखे कल के लिए.. जीवन शाश्वत नही है, इसे प्रेम पूर्वक आपसी सौहार्द से जियो.. क्षणिक जीवन मे मृत्यु निश्चित है... जो पल खुशियों के मिले उन्हे जी भर कर जियो.. आने वाले समय मे विश्वयुद्ध भी दस्तक दे रहा है.. बीता हुआ समय और गए हुए लोग कभी वापस नही आते..