21 जुलाई, 2011

Meri Zindgi

कई बार एक अजीब सी हुड़क उठती है की आज फिर कुछ लिखूं लेकिन समझ नहीं आता की क्या लिखूं , विषय तो बहुत सारे हैं लेकिन सब वही हैं और उन पर इतना लिखा जा चुका है की अब तो लिखने का या पढने का मन भी नहीं करता, रोज़ की एक नयी अमर गाथा लिखी जाती है, रोज़ एक नया घोटाला मिलता है और कई बार तो लगता है की हम इन घोटालों मैं इतना घुट चुके हैं की अब ये भी नए नहीं लगते, एक डाकू और एक राजनेता एक जैसे हे लगते हैं क्यूंकि दोनों ही लूटते हैं और राजनेता और अभिनेता भी एक जैसे हे लगते हैं क्यूंकि दोनों हे अभिनय करते हैं एक असल जिंदगी में और एक पर्दे पर और दोनों ही हम लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और अब तो ये दोनों भी अपना व्यवसाय बदल रहे हैं नेता अभिनेता हो गए और अभिनेता नेता बन रहे हैं , में इसे व्यवसाय कह रहा हूँ क्यूंकि इसी से उनकी रोटी रोज़ी चलती है और अब तो राजनीति भी एक व्यवसाय ही है, योजनाओं को बेच देना, पद को बेच देना, और देश को बेच देना भी एक व्यसाय हे तो है, पर में ये सब क्यूँ लिख रहा हूँ......
ये तो वो बातें हैं जो अब एक आम आदमी भी समझता है और जानता है की क्या हो रहा है और क्या दिखाया जा रहा है, वो भी समझता है की अचानक सदके क्यूँ बनने लग जाती हैं, क्यूँ नयी योजनायें आ जाती हैं , क्यूँ अचानक हमारे राजनेता दिखाई देने लग जाते हैं और हम लोगों के बीच में आ जाते हैं जो ढूँढने से भी नहीं मिलते थे, उन नेताओं के चमचे भी सक्रिय हो जाते हैं और उनके गुणगान में बडे बडे होर्डिंग और पोस्टर लग जाते हैं, अचानक जो हम सालों से गन्दा पानी पीने को मजबूर थे और अनेको शिकायतों के बाद भी कुछ नहीं होता था वो भी साफ़ आने लगता है, बिजली भी ठीक से आती है, रोज़ नालियां साफ़ होती हैं और हमे भी ये अहेसास करवाया जाता है की हम भी इस देश के नागरिक हैं और हमे अपने अधिकार पाने का हक है और हमे मिल भी रहा है , जो जिंदगी बेचारी सी लगती है वो अचानक अच्छी सी लगने लग जाती है, और जब एक नेता जी अचानक हमारे सामने आकर हम से हाथ मिलाते हैं तो हमे भी अपने इम्पोरतंत होने का एहसास होता है और हम फ़ौरन साड़ी महंगाई , सिलिंडर के रेट, होम लोन , ये टैक्स वो टैक्स सब भूल जाते हैं और कुछ दिन उसी एहसास में जीते हैं, फिर कुछ हे दिन बाद जब वापस नींद खुलती है तो वही बेबसी और लाचारी भरी जिंदगी सामने आ खड़ी होती है और जिंदगी फिर से अपने ढर्रे पर चलने लगती है .....