देश में आज एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया, भारत का सिरमौर जम्मू एंड कश्मीर जो देश का अभिन्न अंग होते हुए भी अपने आप में भिन्न था, वो आज एक संविधान, एक झंडे और एक विधान से इस देश से जुड़ गया। अनुच्छेद 370 एवं 35A को हम कुछ यूँ भी समझ सकते हैं की अब आपके हमारे जैसे बाहरी लोग जम्मू कश्मीर में बिजनेस कर सकेंगे. जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थाई नागरिकों को था, अब दूसरे राज्य के लोग यहां वोट कर सकेंगे। चुनाव में उम्मीदवार भी बन सकते हैं.देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है.देश के किसी हिस्से का नागरिक वहां जमीन खरीद सकता है यानि वहां बस सकता है। देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है. स्कॉलरशिप हासिल कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी जम्मू-कश्मीर में सीधे नहीं लागू होते थे। अब इसमें कोई रुकावट नहीं होगी। भारत का कोई भी नागरिक चाहे वो देश के किसी भी हिस्से में रहता हो अब उसे कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने का अधिकार मिल जाएगा। अब तक 35ए की वजह ये नहीं हो पा रहा था, जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाया गया है, यानि अब जम्मू कश्मीर विधानसभा दिल्ली जैसी विधानसभा होगी, राज्य का हेड गवर्नर होगा, पुलिस जम्मू कश्मीर के सीएम के बजाए राज्यपाल को रिपोर्ट करेगी यानि लॉ एंड ऑर्डर केंद्र के पास होगा। अब तक कानून व्यवस्था जम्मू कश्मीर सरकार के पास थी.जम्मू कश्मीर राज्य को बर्खास्त करने की पॉवर राष्ट्रपति के पास नहीं थी ,लेकिन इस अनुच्छेद के हटने के बाद यह भी संभव होगा। सूचना का अधिकार कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं था, लेकिन धारा 370 हटने के बाद RTI कानून लागू हो जाएगा, J&K में अब तिरंगे का अपमान करना अपराध होगा, अब तक इसपर किसी तरह की सजा नहीं थी। अब जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा और अपना संविधान नहीं होगा. जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था। जिसे अब खत्म कर दिया गया है..... यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती थी, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी यानी किसी भी पाकिस्तानी को आसानी से जम्मू में रहने का लायसंस मिल जाता था. अब ये मुमकिन नहीं होगा. पाकिस्तानी, पाकिस्तानी ही रहेगा। जम्मू-कश्मीर की महिला अगर किसी दूसरे राज्य के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी और उसके बच्चों के लिए अब कश्मीरी नागरिकता जैसे अड़चने नहीं होंगी, क्योंकि अब कश्मीरी नागरिकता जैसी चीज़ नहीं होगी. और सूबे से दोहरी नागरिकता भी खत्म हो जाएगी। संसद से पारित कानून अब सीधे लागू होंगे, अब तक भारतीय संसद के अधिकार जम्मू कश्मीर को लेकर सीमित थे, अब तक ये होता था कि डिफेंस, विदेश और वित्तीय मामले को छोड़कर अगर संसद कोई भी कानून बनाती थी तो वो वह जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता था, ऐसे कानून को लागू कराने का प्रावधान यह था कि इसके लिए पहले संसद द्वारा पारित कानून को जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा में पास होना जरूरी था. ये अधिकार राज्य को 370 के तहत ही मिले हुए थे. अब ये खत्म हो गया है। संविधान के मुताबिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण मिलेगा, कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता था, लेकिन धारा 370 हटने के बाद से लाभ भी मिलना शुरू हो जाएगा। शिक्षा का अधिकार और CAG का कानून भी यहां लागू नहीं था जो अब तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का होगा, जो पहले छह साल का था.राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का होगा, जो पहले छह साल का था। मतलब एक देश, एक संविधान, एक कानून.....