"अटल" सरीखे व्यक्तित्व मरा नही करते, वो अ-टल हैं, अमर हैं, अनंत हैं.. भारत की राजनीति के वो युग प्रवर्तक नेता जिन्होंने गुलामी से लेकर आज़ादी से होकर आज के नए भारत के सूर्योदय तक को देखा और इसके सृजन में अपना अतुलनीय योगदान दिया। अटल जी की राजनीति में विपक्ष तो था किंतु उनका विरोधी कोई नही था, उनके राजनीतिक मतभेद थे किंतु किसी से मनभेद नही थे, ऐसे विरले ही होते है जिनके व्यक्तित्व की सराहना उनके प्रतिद्वंदी भी करते थे, मेरे हिसाब से तो भारतीय राजनीति में केवल अटल बिहारी बाजपाई जी और लाल बहादुर शास्त्री जी, ये दो प्रखर नेता ही ऐसे हुए है जिनको दिल से सम्मान मिला, उनका अनुसरण किया गया और शायद चाह कर भी कोई उनका विरोध नही कर सका। विलक्षण प्रतिभा के धनी, जिनका हर शब्द अपने आप मे एक कविता होता था, थोड़े में बहुत कुछ कहने वाले ...
मैं भी लिखने बैठा तो जाने क्या क्या उमड़ा था मन मे किन्तु सब शून्य से हो गया है, स्तब्ध और निशब्द सा हो गया हूँ, अटल जैसी शख्शियत मरा नही करती, वो दिलो में जिंदा रहती है, एक विचारधारा बन कर मन मष्तिष्क पर सदियों राज करती है...
विनम्र श्रद्धांजलि ...