आज #सांसदों के #शपथग्रहण समारोह के दौरान जब #संसद में #वन्देमातरम, #भारत माता की जय के नारे लग रहे थे तो पीड़ा हो रही थी, जिस माँ #भारती के छोटे छोटे लाल #बिहार में तड़प तड़प कर जान दे रहे हो वो स्वयं कितनी #पीड़ित और #दुखी होगी, छोटे छोटे सैकड़ों #नौनिहालों की #मौत पर दुख से उनकी छाती फटी जा रही होगी और ये सांसद एक बनावटी #मुखौटा लगा कर उसी रोती बिलखती मां का जय जय कार कर रहे हैं। ये उस राज्य का हाल है जिसके सर्वे सर्वा #सुशासन बाबू के नाम से विख्यात है, किन्तु सुशासन का नंगा नाच इन #हस्पतालों की #कुव्यस्था में खुल के दिखा । #चिकित्सा जगत में चमत्कारों का दावा करने वाले आज इस बीमारी का ना तो नाम ही जानते है और ना कारण तो इलाज तो दूर की बात है। अबकी बार जब वन्दे मातरम और भारत माता की जय बोलो तो #भारत की उन माताओं की पीड़ा भी देखना और यदि संवेदनायें बाकी हो तो #महसूस भी करना जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े गंवा दिए...
20 जून, 2019
19 जून, 2019
मुखर्जी नगर का काण्ड
आखिर हम समाज को और समाज हमे किस और लेकर जा रहा है, क्यों हम अपनी संवेदनाओं में कुतर्कों के साथ संगठनों के प्रति संवेदनहीन हो जाते हैं। समुचित इलाज ना मिले तो डॉक्टर का सर फोड़ दो ? ओर यदि पुलिस कार्यवाही करे तो तलवार से काट दो ? फिर तो उन लोगो को कश्मीर के पत्थरबाजों का भी समर्थन करना चाहिए जो हमारी सेना पर हमला करते है, फिर तो उन आतंकियों का भी समर्थन करना चाहिए जो अपने धार्मिक मकसद के लिए निर्मम हत्याएं करते है। हम दरअसल अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर सही गलत का आंकलन कर लेते हैं, हमे सबसे कमज़ोर पुलिस लगती है इसीलिए आज कल, कोई तलवार से मारे ,कोई शराब की बोतल दे मारे लेकिन ग़लती पुलिस की हमेशा क्यूँकि इन लोगों का कोई संघठन नहीं है ,ये वोट बैंक नहीं है, इनको पिटा हुआ देख कर ख़ुश होने वाले सोच कर देखे अगर ये ना हो तो हालत क्या होगी ? केवल डॉक्टर जान नहीं बचाते पुलिस भी दिन रात हमें बचाती हे लेकिन वोट की राजनीति के चलते इन लोगों को आसानी से शिकार बना दिया जाता हे। मुझे पता है कई नकारात्मक टिप्पणी होगी लेकिन कल अगर सरदार की जगह मुस्लिम होते तो ?? सोच कर बताना सारा सोशल मीडिया लग जाता देश को बचाने में । धर्म का सम्मान हो ,क़ानून का सम्मान हो ,केवल बलि का बकरा ना बनाया जाए पुलिस को अगर ये लोग नहीं होंगे तो आप मैं और राजनीति करने वाले कोई नहीं होंगे। हमे अपनी सुरक्षा एजेंसियों का सम्मान करना ही होगा, चलो कोई ये बताएगा की उस ऑटो ड्राइवर ने गाड़ी में तलवार किस लिए रखी हुई थी ? क्या वो व्यक्ति अपराधी मानसिकता का था ? या कोई राजनीतिक संगरक्षण प्राप्त गुंडा ? एक ऑटो ड्राइवर के समर्थन में सैकड़ों लोगों ने एकत्र होकर तोड़फोड़ की, पुलिस अफसरों को मारा, क्या बिना किसी संगरक्षण के ? जब यही ऑटो वाले सड़क पर बेतरतीब तरीके से चलते हैं, घंटो जाम की स्तिथि पैदा करते हैं तब हम ही इन्हें गालियां देते है और पुलिस व्यस्था को कोसते है और जब पुलिस कार्यवाही करती है तो पुलिस पर झुकने का दबाव बनाया गया किन्तु घायल पुलिस वालों के प्रति कोई संवेदना नही ? क्यों हम अपराधियो को किसी धर्म के चश्मे से देखते है, बंगाल में हमलावरों को मुस्लिम और तृणमूल का होने का लाभ दिया गया, क्यों ? अब जो धर्म विशेष पर मुझे ज्ञान देने की सोच रहे है वो कृपया स्वयं का आंकलन करें और ये अवसरवादी राजनीति का शिकार होने के बजाए सही गलत का आंकलन करे ताकि समाज मे सुरक्षा एजेंसियों, सरकारी तंत्र एवं न्यायप्रणाली पर विश्वास बना रहे....
05 जून, 2019
विश्व पर्यावरण दिवस
आज विश्व पर्यावरण दिवस है, आज गहन विचारणीय विषय है जल संकट एवं धरती का बढ़ता तापमान। हमारी अपनी ही गलतियों और लापरवाही का नतीजा है ये की आज धरती जल रही है और सूख रही है। आधुनिकरण एवं औद्योगिकरण के चलते हमने वन संपदा, पहाड़ों, नदियों, यहां तक कि प्राणवायु तक का दोहन किया। हमने अपने बच्चो को कभी इनके महत्व को नही समझाया अपितु उनके ही भविष्य को बर्बाद किया। आज भी अगर हम नही चेते तो सब खत्म हो जाएगा, प्रकृति को विकृत करके हम अपने संसाधनों के बल पर नही जी सकते, हमे प्रयास करना होगा, जल संचयन का, हम आज पौधा लगाएंगे तो कम से कम 5 वर्षो में वो वृक्ष बनेगा, केवल पौधे ही ना लगाएं अपितु उनका पालन पोषण भी करें। पीने लायक पानी का संचयन करें, सरकार को भी जलाशयों को संगरक्षित करना चाहिए, अरबो लीटर नदियों का पानी समुद्र में जा मिलता है, यदि नदियों को आपस मे जोड़ा जाए तो सूखी नदियों में उस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है, कृषि एवं पशुपालन को छोटी नहरों से जोड़ा जा सकता है। प्रयास करें, मानव होने के नाते, मानवता के नाते...
13 मई, 2019
आएगा तो मोदी ही
मैं कहता हूँ चलो मत मानो कि इस व्यक्ति ने कभी चाय बेची होगी, यह भी मत मानो कि इनकी माँ ने कभी किसी दूसरों के घरों में बर्तन साफ़ किए होंगे, मत यकीन करो कि यह व्यक्ति कभी हिमालय में रहा होगा, यह भी मत मानो कि इस व्यक्ति ने #राजनीति में यह ऊँचाई हासिल करने के लिए पार्टी के कार्यक्रमों में कुर्सियां और फर्श बिछाए होंगे, पर यह तो मानोगे न कि यह व्यक्ति एक निहायत ही गरीब और पिछड़े परिवार में पैदा हुआ, यह भी कि इस व्यक्ति के परिवार और रिश्तेदारों में किसी का भी राजनीति और व्यापार से कोई वास्ता नहीं था, यह भी कि यह व्यक्ति किसी महँगे स्कूल और कॉलेज में पढ़ने नहीं गया और यह भी कि इनका कोई गॉड फादर नहीं था, जो इन्हें उंगली पकड़ कर जिन्दगी की गुजर बसर करने लायक मुकाम पर पहुँचाता. बावजूद इसके, आप इस व्यक्ति का #आत्मविश्वास, #इरादे, #हौसला और विजन देखो कि सार्वजनिक जीवन में कभी उसने ख़ुद को दीन-हीन, गरीब, पिछड़ा, अशिक्षित और दयनीय नहीं लगने दिया है. जीवन में जो हासिल किया, वह अपनी मेहनत और जिद से हासिल किया। इनके इरादों में जो टोन आज से 27 साल पहले थी, वही आज भी है. सोचने का ढंग जो तब था वह आज भी है, और यही वजह है कि बिना #हावर्ड और #ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री या डिप्लोमा लिए यह व्यक्ति एक गरीब मजदूर से लेकर #अमेरिका के राष्ट्रपति तक से #आत्मविश्वास से लबरेज होकर मिलता है. जो अपने परिधान और चाल-ढाल से देश और दुनिया में मजबूत, समृद्ध और उम्मीदों से भरे #भारत का प्रतिनिधित्व करता है, जो भाषा, ज्ञान और तकनीक की हर उस विधा के साथ आगे बढ़ता है, जिसे अपनाने में एक सामान्य इंसान को संकोच होता है. उन्होंने भारत की राजनीति के शीर्ष नेतृत्व को #ट्विटर, #फेसबुक, #इन्स्टाग्रामजैसे सोशल मीडिया माध्यमों में आने को विवश किया, वे अपने समय से चार कदम आगे चलते हुए आज टेली प्रोम्प्टर से बोलते हैं, वे तकनीक के माध्यम से मंच पर टहलते-टहलते देश के करोड़ों लोगों से संवाद स्थापित कर लेते हैं, वे देश के #गरीब, #किसान, #मजदूर, #छात्र, #महिलाओं और #पेशेवरों से टेली कांफ्रेंस के माध्यम से सीधा संवाद करते हैं, सवालों के जवाब देते हैं, वे #ब्लॉग लिखते हैं, लगातार टीवी और अखबारों को इंटरव्यू देते हैं, वे #रेडियो पर #मन की बात करते हैं और अब #नमो टीवी भी। पर वे जो नहीं करते हैं, वह भी जानने योग्य है...वे भरी जनसभा में अपने कुर्ते की फटी जेब में हाथ डालकर नहीं दिखाते हैं, वे कागज़ में देखकर भाषण नहीं पढ़ते, वे बुलेट प्रूफ शीशे के पीछे से भाषण नहीं देते, वे #विश्वेश्वरैया पर अटकते नहीं हैं, वे अपनी रैलियों के बाद बांस-बल्लियों से कूदने का स्टंट नहीं करते, वे सिक्यूलर नेताओं की तरह #गंगा -जमनी तहजीब में नहीं बल्कि एक मंजे हुए नेता की तरह बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहते हैं. वे अपने किसी भी कार्यक्रम में बेतरतीब दाढ़ी, बाल और कपड़ों के साथ नहीं जाते और यह भी कि वे राजनीति में टाइम पास के लिए नहीं बल्कि एक निश्चित मिशन के लिए हैं, इसलिए उनकी राजनीति में ब्रेक, इंटरवल और अवकाश नहीं होता और यही वजह है कि अपने पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने 15 साल सरीखा काम करके दिखाया है, इसलिए आगामी नतीजों से अनजान मेरा यह मानना है कि मोदी ने भारत के लिए पांच साल में जो किया है, वह अगले पचास साल तक भी भुलाया नहीं जा सकता, वहीं उनको मिलने वाला एक और कार्यकाल भारत के लिए एक #स्वर्णिम युग को सुनिश्चित करने वाला होगा, यह व्यक्ति अपने काम, समय और योजनाओं को लेकर कितना जागरूक और पाबन्द है, उसकी झलक आप हर उस कार्यक्रम में देख सकते हैं, जिसमें इनकी उपस्थिति होती है. #मोदी जी की अपने हर एक्ट में किसी बारीक नक्काशी की तरह पकड़ रहती है, वे बेशक हार्ड टास्क मास्टर हैं, वे जितना आगे समय से खुद रहते हैं, उतना ही आगे देश को ले जाना चाहते हैं, तब भी कहूँगा कि मोदी भारत नहीं है, मोदी के पहले भी देश चल रहा था, मोदी नहीं होंगे तब भी देश चलेगा क्योंकि ऐसे चल तो #अफगानिस्तान और #पाकिस्तान भी रहा है...
#AyegaToModiHi
#AyegaToModiHi
09 मई, 2019
आईएनएस विराट व कांग्रेस की अय्याशियां
कल #रामलीला मैदान की रैली में #प्रधानमंत्री #मोदी ने #राजीवगांधी के ताबूत में एक और कील ठोक दी, ये कहकर की 1987 में गांधी परिवार ने देश के तत्कालीन इकलौते विमानवाहक युद्धपोत #आईएनएसविराट को एक टैक्सी की तरह, या यूं कहें कि एक प्राइवेट याच की तरह अपनी पारिवारिक छुट्टियां मनाने के लिए इस्तेमाल किया। सवाल ये उठता है कि देश की सुरक्षा से इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों ? इस सबका ज़िम्मेदार कौन ? इसको ऐसे समझो, की राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उनके साथ #सोनिया गांधी, बच्चे #राहुल और #प्रियंका गांधी, चलो ठीक है, लेकिन साथ मे उनके ससुराल वाले यानी सोनिया गांधी की माँ, उनका भाई और मामा भी, सोने पे सुहागा अपने #अमिताभ बच्चन साहब भी सपरिवार ओर तो ओर भाई अजिताभ की बेटी भी साथ, वही अजिताभ जिसके बंगले के पता राहुल गांधी ने अपने लंदन निवास और बैकऑप्स कंपनी के स्थायी पाते के रूप में दिया हुआ है, और साथ मे थे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण सिंह के भाई बिजेंद्र सिंह और वो भी परिवार सहित। ये सब हुआ एक द्वीप #बंगाराम पर, जहां आबादी नही है, अब ये समझो।कि आईएनएस विराट अकेला नही चलता, उसके साथ एक बेड़ा होता है जंगीजहाज़ों का, यहां तक कि एक पनडुब्बी भी साथ होती है, अब ये द्वीप सुनसान था तो 10 दिन रहने का प्रबंध जल सेना ने #लक्षद्वीप सरकार के साथ मिल कर किया, संसाधन नही थे तो हर छोटी बडी चीज़ के लिए हैलीकॉप्टर लगाए गए, क्या इस परोक्ष लूट की कल्पना की जा सकती है ? करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा दिए गए, क्या यही वो सर्जिकल स्ट्राइक है जिनका #कांग्रेस अक्सर जिक्र करती है, की राजीव गांधी अपने लाव लश्कर, और इटालियन योद्धाओं के साथ युद्धपोत लेकर मछलियां पकड़ने गए थे। वैसे ये केवल राजीव गांधी के समय ही नही बल्कि #नेहरू के समय भी ऐसा ही था, वो भी राजीव, संजय और इंदिरा के साथ ऐसे ही छुट्टियों पर जाते थे, परंपरा कहो या फिर कांग्रेसियो की बाप की जागीर, ये देश ऐसे ही चला है...
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