आखिर हम समाज को और समाज हमे किस और लेकर जा रहा है, क्यों हम अपनी संवेदनाओं में कुतर्कों के साथ संगठनों के प्रति संवेदनहीन हो जाते हैं। समुचित इलाज ना मिले तो डॉक्टर का सर फोड़ दो ? ओर यदि पुलिस कार्यवाही करे तो तलवार से काट दो ? फिर तो उन लोगो को कश्मीर के पत्थरबाजों का भी समर्थन करना चाहिए जो हमारी सेना पर हमला करते है, फिर तो उन आतंकियों का भी समर्थन करना चाहिए जो अपने धार्मिक मकसद के लिए निर्मम हत्याएं करते है। हम दरअसल अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर सही गलत का आंकलन कर लेते हैं, हमे सबसे कमज़ोर पुलिस लगती है इसीलिए आज कल, कोई तलवार से मारे ,कोई शराब की बोतल दे मारे लेकिन ग़लती पुलिस की हमेशा क्यूँकि इन लोगों का कोई संघठन नहीं है ,ये वोट बैंक नहीं है, इनको पिटा हुआ देख कर ख़ुश होने वाले सोच कर देखे अगर ये ना हो तो हालत क्या होगी ? केवल डॉक्टर जान नहीं बचाते पुलिस भी दिन रात हमें बचाती हे लेकिन वोट की राजनीति के चलते इन लोगों को आसानी से शिकार बना दिया जाता हे। मुझे पता है कई नकारात्मक टिप्पणी होगी लेकिन कल अगर सरदार की जगह मुस्लिम होते तो ?? सोच कर बताना सारा सोशल मीडिया लग जाता देश को बचाने में । धर्म का सम्मान हो ,क़ानून का सम्मान हो ,केवल बलि का बकरा ना बनाया जाए पुलिस को अगर ये लोग नहीं होंगे तो आप मैं और राजनीति करने वाले कोई नहीं होंगे। हमे अपनी सुरक्षा एजेंसियों का सम्मान करना ही होगा, चलो कोई ये बताएगा की उस ऑटो ड्राइवर ने गाड़ी में तलवार किस लिए रखी हुई थी ? क्या वो व्यक्ति अपराधी मानसिकता का था ? या कोई राजनीतिक संगरक्षण प्राप्त गुंडा ? एक ऑटो ड्राइवर के समर्थन में सैकड़ों लोगों ने एकत्र होकर तोड़फोड़ की, पुलिस अफसरों को मारा, क्या बिना किसी संगरक्षण के ? जब यही ऑटो वाले सड़क पर बेतरतीब तरीके से चलते हैं, घंटो जाम की स्तिथि पैदा करते हैं तब हम ही इन्हें गालियां देते है और पुलिस व्यस्था को कोसते है और जब पुलिस कार्यवाही करती है तो पुलिस पर झुकने का दबाव बनाया गया किन्तु घायल पुलिस वालों के प्रति कोई संवेदना नही ? क्यों हम अपराधियो को किसी धर्म के चश्मे से देखते है, बंगाल में हमलावरों को मुस्लिम और तृणमूल का होने का लाभ दिया गया, क्यों ? अब जो धर्म विशेष पर मुझे ज्ञान देने की सोच रहे है वो कृपया स्वयं का आंकलन करें और ये अवसरवादी राजनीति का शिकार होने के बजाए सही गलत का आंकलन करे ताकि समाज मे सुरक्षा एजेंसियों, सरकारी तंत्र एवं न्यायप्रणाली पर विश्वास बना रहे....