वामपन्थी राजनीति (left-wing politics या leftist politics) राजनीति में उस पक्ष या विचारधारा को कहते हैं जो समाज को बदलकर उसमें अधिक आर्थिक और जातीय समानता लाना चाहते हैं.. इस विचारधारा में समाज के उन लोगों के लिए सहानुभूति जतलाई जाती है जो किसी भी कारण से अन्य लोगों की तुलना में पिछड़ गए हों या शक्तिहीन हों। राजनीति के सन्दर्भ में 'बाएँ' और 'दाएँ' शब्दों का प्रयोग फ़्रान्सीसी क्रान्ति के दौरान शुरू हुआ। वो संसद में सम्राट को हटाकर गणतन्त्र लाना चाहने वाले और धर्मनिरपेक्षता चाहने वाले अक्सर बाई तरफ़ बैठते थे..आधुनिक काल में समाजवाद और साम्यवाद से सम्बन्धित विचारधाराओं को बाईं राजनीति में डाला जाता है.. अब आते हैं वामपंथ की छुक छुक गाड़ी पर जो भारत मे चलती है वो वामपंथ की ट्रेन किस किस स्टेशन पर रुकती आई है...शॉर्ट फॉर्म मे बताऊंगा.. लंबी पोस्ट होने पर कोई पढ़ता नही है.. तो ये पहले उद्योग और व्यवसाय पर रुकी. वहां ट्रेड यूनियन लीडर्स उतरे, संपन्नता और समृद्धि का नाश किया... फिर कृषि पर रुकी... वहां नक्सली उतरे, कृषि का नाश किया और साथ में गांव गांव तक हिंसा फैलाई... फिर अर्थव्यवस्था के जंक्शन पर रुकी. उसमें से वेलफेयर और सब्सिडी वाला माल उतारा गया... फिर शिक्षा और कला के स्टेशन पर रुकी. वहां झोला छाप कॉमरेड उतरे, कलाकार और प्राध्यापक बन कर, समाज की सोचने समझने की क्षमता का नाश किया... फिर न्याय के स्टेशन पर रुकी... वामपंथी उतर कर न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठ गया और समाज को न्याय के स्थान पर संघर्ष का नैरेटिव परोस दिया... फिर परिवार के स्टेशन पर रुकी... वहां फेमिनिस्ट दीदी उतरी और परिवार को तोड़ा, स्त्रियों को असुरक्षित और बच्चों को अनाथ किया.. युवाओं को समलैंगिक और बच्चों को ट्रांस बनने को प्रेरित किया... सबकुछ जिससे सभ्यता बनी है, समाज खड़ा हुआ है... एक एक ईंट तोड़ कर हटा रहे हैं.. पर अभी भी कुछ है जो देश को जोड़ता है... एक है सेना, दूसरा है खेल.. पूरा देश या तो भारत की सेना के साथ खड़ा होता है या फिर भारत की टीम के साथ.. अभी वामपंथियों के प्रयोग इन दोनों पर जारी हैं.. सेना के संगठन को सरकारी नौकरी का मुद्दा बना कर, अग्निवीर पर अफवाहें फैलाकर सेना का मनोबल तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है और अब क्षेत्र के नाम पर, जाति के नाम पर खेलों को निशाना बनाया जा रहा है...तो इस षड्यंत्र को पहचानें, सावधान रहें. ना सेना में बगावत की जगह है, ना खेल में.. हर सिपाही अपना है, हर खिलाड़ी अपना है... सोच को संकीर्ण मत करो.. दोयाम् दर्जे की मानसीकट से उपर उठ कर धर्म हित मे सोचो.. राष्ट्र हित मे सोचो..
जय हिंद 🇮🇳