एक कहावत है की सांप कभी अपनी फितरत नहीं छोड़ता चाहे उसे कितना भी दूध पिला लो, अब ये सब पढ़ और देख सुन कर बड़ा ही दुःख होता है की न तो इस देश में नागरिको की और न हे देश के रक्षको की कोई भी कीमत है। अगर कोई कीमती है तो सिर्फ इस देश के स्वयंभू नेता, अभिनेता, संत और उनके परिवारजन जो आम नागरिको की श्रेणी मैं नहीं आते। देश की सुरक्षा मैं तैनात भारतीय सेना की एक पेट्रोलिंग पार्टी पर पाकिस्तानी सेना के द्वारा घात लगा कर हमला करना और बर्बरतापूर्वक उनका सर काट कर साथ ले जाना इंसानियत और हवानियत की हद है। हमारे देश की सभी राजनैतिक पार्टियां चाहे वो कांग्रेस ,SP,BSP,JDU,NCP,DMK,TMC,RJD जेसी सभी पार्टी के नेताओं को बधाई जो पुरजोर कोशिश करते हैं की वो पाकिस्तान जैसे अपने बिच्च्ड़े हुए भाई के साथ मेल मिलाप रखें, BCCI,राजीव शुक्ला ,भारत की क्रिकेट टीम को भी वहुत वहुत वधाई जो ये सोचते हैं की अगर हिन्दुस्तान में क्रिकेट का भविष्य है तो वो सिर्फ पाकिस्तान के साथ ही है और वो उनको बुलाकर जीत भी तोहफे के रूफ मैं परोस कर देते हैं। यहाँ तक की दिल्ली में हो रहे मैच के दोरान भी पाकिस्तानी सेना की बॉर्डर पर गोलीबारी जारी थी और हम उनके साथ खेलकर खुश हो रहे थे। देश का मीडिया भी दोगले पने से खिलाडियों को स्टार बना रहा था परन्तु देश के असली स्टार उसी दुश्मन से लोहा ले रहे थे।
आखिर हम किस देश मैं जी रहे हैं, जहां आज भी अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे कट्टरपंथी नेता बन कर जहर उगल रहे हैं और देश को बांटने की सोच रखते हैं और सरेआम धमकी देते हैं। हम तो घिरे हुए हैं दुश्मनों से घर मैं भी और बाहर भी। और जब अपने ही रक्षंहार और पालन हार दुश्मन हो जायें तो बहार वालों से क्या गिला? आखिर ऐसी वो कोन सी चीज़ है या सत्ता का वो कोन सा नशा है जो इंसान और इंसानियत की कीमत हे ख़तम कर देता है। जब हमे मालूम है की ये एक ऐसा दुश्मन है जो कभी नहीं सुधर सकता फिर भी हम उसके लिए पलक पावडे बिछा कर रखते हैं, आखिर ऐसा कोन सा काम है हमारा जो उसके बिना नहीं चल सकता। सरकार की ऐसी ही बेरुखी की वजह से आज देश का युवा सेना मैं भर्ती नहीं होता और देश प्रेम और सेवा को वो जस्बा आज भटक गया है। सेना की ये मजबूरी हो जाती है की भारत एक ऐसा देश है जिसने अपने इतिहास मैं कभी किसी देश पर अतिक्रमण नहीं किया और सेना इसका पालन करने के लिए मजबूर है वर्ना अपने साथियों को यूँ बर्बरतापूर्वक कत्ले आम देख कर क्या उनका खून नहीं खोलता और क्या वो नहीं चाहते की उनके घर मैं घूस कर मार जाए, पर हमारी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति हमे ये करने की इजाज़त नहीं देती लेकिन वो कहती है की मेहमाननवाज़ी मैं लगे रहो , सहो और चुप रहो घर के अन्दर भी और घर के बाहर भी ...
आखिर हम किस देश मैं जी रहे हैं, जहां आज भी अकबरुद्दीन ओवैसी जैसे कट्टरपंथी नेता बन कर जहर उगल रहे हैं और देश को बांटने की सोच रखते हैं और सरेआम धमकी देते हैं। हम तो घिरे हुए हैं दुश्मनों से घर मैं भी और बाहर भी। और जब अपने ही रक्षंहार और पालन हार दुश्मन हो जायें तो बहार वालों से क्या गिला? आखिर ऐसी वो कोन सी चीज़ है या सत्ता का वो कोन सा नशा है जो इंसान और इंसानियत की कीमत हे ख़तम कर देता है। जब हमे मालूम है की ये एक ऐसा दुश्मन है जो कभी नहीं सुधर सकता फिर भी हम उसके लिए पलक पावडे बिछा कर रखते हैं, आखिर ऐसा कोन सा काम है हमारा जो उसके बिना नहीं चल सकता। सरकार की ऐसी ही बेरुखी की वजह से आज देश का युवा सेना मैं भर्ती नहीं होता और देश प्रेम और सेवा को वो जस्बा आज भटक गया है। सेना की ये मजबूरी हो जाती है की भारत एक ऐसा देश है जिसने अपने इतिहास मैं कभी किसी देश पर अतिक्रमण नहीं किया और सेना इसका पालन करने के लिए मजबूर है वर्ना अपने साथियों को यूँ बर्बरतापूर्वक कत्ले आम देख कर क्या उनका खून नहीं खोलता और क्या वो नहीं चाहते की उनके घर मैं घूस कर मार जाए, पर हमारी अंतर्राष्ट्रीय राजनीति हमे ये करने की इजाज़त नहीं देती लेकिन वो कहती है की मेहमाननवाज़ी मैं लगे रहो , सहो और चुप रहो घर के अन्दर भी और घर के बाहर भी ...