ये पैसा लेकर बोर्ड मेंबर बनाना कोई नयी बात नहीं है। ये सब काफी पहले से चलता आ रहा है। मैं भी कुछ ऐसे बोर्ड मेंबर्स को जानता हूँ जो यही काम करते हैं की कुछ पैसा लेकर लोगों को बेवकूफ बनाते हुए उन्हे किसी भी मंत्रालय मैं बोर्ड मेम्बर बनवा देते हैं जो की एक तरह से laisining करना ही है . आपको ढूँढने पर ऐसे ढेरों दलाल मिल जाएंगे जो की आपको लुभावने सपने दिखाते हैं जो दरअसल नेताओं के दलाल ही होते हैं। ये भी नेताओं का अपने चमचों को रिझाने और उनके द्वारा कमी करने का एक कहा जाए तो approved तरीका है। हर मंत्रालय में एक बोर्ड बनाया जाते था जिसका अर्थ था की जनता से लिए गए या समाज के कुछ प्रठिस्तित प्रतिनिधि लाकर उनके द्वारा सम्बंधित मंत्रालय के काम काज को सुधर जा सके और उनके सुझावों को लिया जा सके लेकिन अब ये सब न होकर ये एक हाई क्लास धन्दा बन गया है और अब बोर्ड मेम्बर बनानी के नाम पर सरेआम ये सब कुछ होता है, और हिंदुस्तान मैं सभी कुछ होता है और हमारी अंकों के सामने ही होता है लेकिन अगर कोई पकड़ा जाए तो चोर नहीं तो साहूकार तो है ही।