27 मई, 2013

देश की अस्मिता पर हमला


ये भी एक विडम्बना है की नक्सालियों के द्वारा देश के कुछ नेताओं की हत्या की गयी और उसके लिए सभी छोटे से लेकर बडे नेताओं की प्रतिक्रिया फ़ौरन आ गयी, लेकिन तीन वर्ष पूर्व दंतेवाडा मै तीस सी आर पी ऐफ जवानो की नृशंस हत्या की गई किसी काग्रेसी या सोनिया गांधी के मुह से ऐक शब्द साहनभूति का कभी नही निकला। और तब  क्या ये लोग देश के नागरिक या ईंसान नही थे? नेता की मौत लोकतंत्र पर हमला नहीं है लोकतंत्र पर हमला तो रोज होता है बलात्कार की हर घटना लोकतंत्र पर हमला है, हर एक घोटाला लोकतंत्र पर हमला है !क्या दिल्ली में में 7000 बेक़सूर सिखों का हुआ नसंहार लोकतंत्र पर हमला नहीं था? लोकतंत्र बचा कहाँ है लहूलुहान पड़ा हैअपनी अंतिम साँसे गिनता हुआ। एक नेता की मौत लोकतंत्र पर हमला बिलकुल नहीं है, हमारे देश के दिग्गज नेताओं की निष्ठां क्या सिर्फ उनकी पार्टी तक सीमित है ? उनकी पार्टी पर हमला देश की अस्मिता पर हमला है और स्वयं प्रधान मंत्री और सोनिया गाँधी तक जाकर उनसे मिलते हैं, ४ दिन पहले कश्मीर मैं भी आतंकी हमला हुआ और ४सैनिक मार दिए गए लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं, नक्सली हमले लगभग रोज़ होते हैं लेकिन आज वो आतंकी हमला क्यूँ हो गया ? जब खुद को लगती है न दर्द सिर्फ तभी होता है और महसूस भी होता है  ...