मेरे एक मित्र ने लिखा की 5 किसानो को गोली मार दी वो क्या कोई दैवीय प्रकोप है या सरकार की साजिश तो मैने कहा दैविक प्रकोप से तो केवल 45 ट्रको में आग लगी है, लोगों और दुकानदारों को पीटा गया है, सरकारी सम्पत्ति को नुक्सान पहुँचाया है और ये सब तो वो बेचारा गरीब किसान कर रहा है जिसके घर में खाने को भी नहीं है और वो अपना क़र्ज़ भी नहीं चूका पा रहा, हाँ फसल को दिन रात अपने हांथो से सींच कर खुद ही वो उसको सड़क पर फेंक रहा है, उसके बच्चो को दूध मिले न मिले लेकिन वो सड़को पर दूध बहा रहा है, वो गाड़ी में बैठ कर आता है और मीडिया चैनल्स को इंटरव्यू देता है ....ये सब दैवीय प्रकोप से होता है हाँ जो 6 (किसान) मरे हैं वो पुलिस की ही गोली से मरे हैं .... दरअसल ये सेना नहीं थी ना जो चुपचाप पत्थर खा कर आ जाती ...
दोस्त जिस गरीब किसान की बात कर रहे हो न वो हमारा अन्नदाता है और उस बेचारे को तो फुर्सत भी नहीं है की वो इन सब बातों को जान सके, वो तो आजतक भी सरकारी योजनाओं के बारे में नहीं जानता और इसीलिए वो अपने क़र्ज़ से परेशान है लेकिन ज़रा सोच कर देखो की अगर ये अन्नदाता रूठ गया तो क्या होगा ....
ये गरीब किसान है और इस किसान का नाम "अमिताभ बच्चन" नहीं है ....