केजरीवाल साहब खुद कहते हैं की सच्चे व्यक्ति के साथ सारे कायनात की दृश्य और अदृश्य शक्तियां आ जाती हैं, लेकिन दिल्ली में केंद्र सरकार उनके खिलाफ, गवर्नर उनके खिलाफ, पुलिस उनके खिलाफ, कोर्ट उनके खिलाफ, ब्यूरोक्रेट्स उनके खिलाफ, सरकारी कर्मचारी उनके खिलाफ, टीचर उनके खिलाफ, बस कर्मचारी उनके खिलाफ, सफाई कर्मचारी उनके खिलाफ, सीबीआई उनके खिलाफ, जाँच एजेंसी उनके खिलाफ दिल्ली का "आम आदमी" उनके खिलाफ, उनके खुद की पार्टी के नेता उनके खिलाफ, उनके घर वाले उनके खिलाफ, तो इस हिसाब से इस बन्दे से बड़ा नालायक, नाकारा, निकम्मा, झूठा, मक्कार, लुटेरा, अनार्किस्ट कोई दूसरा नहीं है....
क्यूंकि जब सब लोग एक बन्दे के खिलाफ हों तो उसे सोचना चाहिए की गलत दुनिआ नहीं वो खुद है ...
वैसे अब इसके पास कुछ बचा नहीं है....
जा भाई जा, तू भी सुखी और हम भी सुखी ....