01 अक्टूबर, 2018

अरविन्द केजरीवाल: मानसिक रोगी

अरविंद केजरीवाल को अगर विवेक तिवारी हत्याकांड पर राजनीति ही करनी थी तो उन्हें 1करोड़ रुपए का चेक लेकर मृतक के घर जाकर उनके परिजनों की बात सुनते हुए उनके साथ सहानुभूति प्रदर्शित करनी चाहिए थी... किन्तु उन्होंने इस मामले में भी अपनी गरिमा के प्रतिकूल प्रतिक्रिया की है। दिल्ली में अंकित सक्सेना और डॉ नारंग का भी कत्ल हुआ तब भी जनाब चयनित राजनीति कर रहे थे, उनको घोषित मुआवजा आज तक नही मिला है, किन्तु उसको धर्म का एंगल देकर अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक मेहत्वकांगशा के लिए अपने स्तर से गिर कर ओछी बयानबाज़ी करके ये आखिर साबित क्या करना चाहते है, या तो अब ये अपने राजनीतिक तिरस्कार को समझ रहे है और बौखलाहट में मानसिक संतुलन गवां बैठे है, या फिर अपने मरणासन राजनीतिक अस्तित्व को ज़िंदा रखने की जद्दो जहद में जल बिन मछली की तरह छटपटा रहे हैं। धर्म और जातिगत राजनीति को बदलने का दावा करने वाले आज उसी की गर्त में समा चुके है, धीरे धीरे करके झाड़ू की तीलियाँ बिखर रही हैं, जो ठूंठ बचा है वो शोर कर रहा है, बस कुछ समय और, फिर जो झाड़ू जिस राजनीतिक कचरे को साफ करने का दम दिखा रही थी, आखिरकार उसी कचरे में तिल्ली तिल्ली करके बिखर जाएगी...