कुछ लोगों को #कांग्रेस को लेकर एक भ्रम है, ये आज की कांग्रेस की तुलना उस #नेहरू #गांधीकी कांग्रेस से करते हैं जिसने #आज़ादी की लड़ाई लड़ी, किन्तु इस फर्क को भी समझना जरूरी है कि 1969 में #इंदिरागांधी को मूल कांग्रेस से बाहर निकाल दिया गया था जिसके बाद इंदिरा ने कांग्रेस (आई) का गठन किया था, असली और पुरानी कांग्रेस पार्टी ने तो 1977 में #जनसंघमें विलय कर लिया था जो आज की #भाजपा है, तो परोक्ष रूप से भाजपा भी आज़ादी की लड़ाई में अपने अस्तित्व से पहले ही भागीदार रही है और कांग्रेस (आई) नही... इसका उदाहरण आप यूं भी समझ सकते हैं कि यदि आप मे से किसी कांग्रेसी महानुभाव ने कभी कांग्रेस के अपने #संस्थापक सदस्यों दादा भाई #नौरोजी, ऐ ओ #ह्यूम या फिर #दिनशावाचा की कोई फ़ोटो देखी व इनके संदर्भ में कोई आयोजन देखा कभी ? कांग्रेस पार्टी मूलतः कोई #राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित नही हुई थी, ये कुछ कुलीन वर्ग के लोगों का संगठन था जो 1857 की क्रांति के बाद #ब्रिटिश सरकार की नीतियों को देश की जनता के समक्ष रख सके एवं भारत को ब्रिटिश उपनिवेश के अंतर्गत बनाये रखने में सक्षम हो। और उस कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य ही ब्रिटिश राज के अंतर्गत ही स्वशासन करना था ना कि पूर्ण #स्वराज्य और यही से कांग्रेस में पहला #विभाजन शुरू हुआ था...
29 जून, 2019
20 जून, 2019
भारत माता की जय
आज #सांसदों के #शपथग्रहण समारोह के दौरान जब #संसद में #वन्देमातरम, #भारत माता की जय के नारे लग रहे थे तो पीड़ा हो रही थी, जिस माँ #भारती के छोटे छोटे लाल #बिहार में तड़प तड़प कर जान दे रहे हो वो स्वयं कितनी #पीड़ित और #दुखी होगी, छोटे छोटे सैकड़ों #नौनिहालों की #मौत पर दुख से उनकी छाती फटी जा रही होगी और ये सांसद एक बनावटी #मुखौटा लगा कर उसी रोती बिलखती मां का जय जय कार कर रहे हैं। ये उस राज्य का हाल है जिसके सर्वे सर्वा #सुशासन बाबू के नाम से विख्यात है, किन्तु सुशासन का नंगा नाच इन #हस्पतालों की #कुव्यस्था में खुल के दिखा । #चिकित्सा जगत में चमत्कारों का दावा करने वाले आज इस बीमारी का ना तो नाम ही जानते है और ना कारण तो इलाज तो दूर की बात है। अबकी बार जब वन्दे मातरम और भारत माता की जय बोलो तो #भारत की उन माताओं की पीड़ा भी देखना और यदि संवेदनायें बाकी हो तो #महसूस भी करना जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े गंवा दिए...
19 जून, 2019
मुखर्जी नगर का काण्ड
आखिर हम समाज को और समाज हमे किस और लेकर जा रहा है, क्यों हम अपनी संवेदनाओं में कुतर्कों के साथ संगठनों के प्रति संवेदनहीन हो जाते हैं। समुचित इलाज ना मिले तो डॉक्टर का सर फोड़ दो ? ओर यदि पुलिस कार्यवाही करे तो तलवार से काट दो ? फिर तो उन लोगो को कश्मीर के पत्थरबाजों का भी समर्थन करना चाहिए जो हमारी सेना पर हमला करते है, फिर तो उन आतंकियों का भी समर्थन करना चाहिए जो अपने धार्मिक मकसद के लिए निर्मम हत्याएं करते है। हम दरअसल अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर सही गलत का आंकलन कर लेते हैं, हमे सबसे कमज़ोर पुलिस लगती है इसीलिए आज कल, कोई तलवार से मारे ,कोई शराब की बोतल दे मारे लेकिन ग़लती पुलिस की हमेशा क्यूँकि इन लोगों का कोई संघठन नहीं है ,ये वोट बैंक नहीं है, इनको पिटा हुआ देख कर ख़ुश होने वाले सोच कर देखे अगर ये ना हो तो हालत क्या होगी ? केवल डॉक्टर जान नहीं बचाते पुलिस भी दिन रात हमें बचाती हे लेकिन वोट की राजनीति के चलते इन लोगों को आसानी से शिकार बना दिया जाता हे। मुझे पता है कई नकारात्मक टिप्पणी होगी लेकिन कल अगर सरदार की जगह मुस्लिम होते तो ?? सोच कर बताना सारा सोशल मीडिया लग जाता देश को बचाने में । धर्म का सम्मान हो ,क़ानून का सम्मान हो ,केवल बलि का बकरा ना बनाया जाए पुलिस को अगर ये लोग नहीं होंगे तो आप मैं और राजनीति करने वाले कोई नहीं होंगे। हमे अपनी सुरक्षा एजेंसियों का सम्मान करना ही होगा, चलो कोई ये बताएगा की उस ऑटो ड्राइवर ने गाड़ी में तलवार किस लिए रखी हुई थी ? क्या वो व्यक्ति अपराधी मानसिकता का था ? या कोई राजनीतिक संगरक्षण प्राप्त गुंडा ? एक ऑटो ड्राइवर के समर्थन में सैकड़ों लोगों ने एकत्र होकर तोड़फोड़ की, पुलिस अफसरों को मारा, क्या बिना किसी संगरक्षण के ? जब यही ऑटो वाले सड़क पर बेतरतीब तरीके से चलते हैं, घंटो जाम की स्तिथि पैदा करते हैं तब हम ही इन्हें गालियां देते है और पुलिस व्यस्था को कोसते है और जब पुलिस कार्यवाही करती है तो पुलिस पर झुकने का दबाव बनाया गया किन्तु घायल पुलिस वालों के प्रति कोई संवेदना नही ? क्यों हम अपराधियो को किसी धर्म के चश्मे से देखते है, बंगाल में हमलावरों को मुस्लिम और तृणमूल का होने का लाभ दिया गया, क्यों ? अब जो धर्म विशेष पर मुझे ज्ञान देने की सोच रहे है वो कृपया स्वयं का आंकलन करें और ये अवसरवादी राजनीति का शिकार होने के बजाए सही गलत का आंकलन करे ताकि समाज मे सुरक्षा एजेंसियों, सरकारी तंत्र एवं न्यायप्रणाली पर विश्वास बना रहे....
05 जून, 2019
विश्व पर्यावरण दिवस
आज विश्व पर्यावरण दिवस है, आज गहन विचारणीय विषय है जल संकट एवं धरती का बढ़ता तापमान। हमारी अपनी ही गलतियों और लापरवाही का नतीजा है ये की आज धरती जल रही है और सूख रही है। आधुनिकरण एवं औद्योगिकरण के चलते हमने वन संपदा, पहाड़ों, नदियों, यहां तक कि प्राणवायु तक का दोहन किया। हमने अपने बच्चो को कभी इनके महत्व को नही समझाया अपितु उनके ही भविष्य को बर्बाद किया। आज भी अगर हम नही चेते तो सब खत्म हो जाएगा, प्रकृति को विकृत करके हम अपने संसाधनों के बल पर नही जी सकते, हमे प्रयास करना होगा, जल संचयन का, हम आज पौधा लगाएंगे तो कम से कम 5 वर्षो में वो वृक्ष बनेगा, केवल पौधे ही ना लगाएं अपितु उनका पालन पोषण भी करें। पीने लायक पानी का संचयन करें, सरकार को भी जलाशयों को संगरक्षित करना चाहिए, अरबो लीटर नदियों का पानी समुद्र में जा मिलता है, यदि नदियों को आपस मे जोड़ा जाए तो सूखी नदियों में उस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है, कृषि एवं पशुपालन को छोटी नहरों से जोड़ा जा सकता है। प्रयास करें, मानव होने के नाते, मानवता के नाते...
सदस्यता लें
संदेश (Atom)