12 नवंबर, 2019

शिवसेना की राजनीती

शिवसेना जो आज अपनी विचारधारा से उलट सत्ता के लालच में केवल मुख्यमंत्री पद के लिए इतना बड़ा समझौता करने जा रही है, हिंदूवादी विचारधारा और हिन्दू राष्ट्र के सपने दिखाने वाली पार्टी के नेता आज जाकर अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर भी चढ़ा रहे है और साथ साथ राम मंदिर बनाने का दावा की कर रहे हैं। अटल आडवाणी की बीजेपी को बाल ठाकरे कमला बाई बोलता था ,एक छेत्रिय पार्टी का छुटभय्या नेता एक राष्टीय पार्टी को बोलता था "कमला बाई वही करेगी जो मैं चाहूंगा " ये था एक उदंड नेता की भाषा शरीफो की पार्टी बीजेपी के लिए ,दरअसल ठाकरे ने राजनीती मराठी टी स्टाल से शुरू कर हिन्दू ढाबे तक की ,बीजेपी चुकी हिन्दुओ की पार्टी मानी जाती है ,ठाकरे उससे हमेशा चिढ़ता रहा उसको हमेशा लगता रहा मेरे नकली हिन्दू ढाबे पे खतरा केवल असली हिन्दू पार्टी बीजेपी ही पैदा कर सकती है, उसी मानसिकता के शिकार उसकी औलादे भी है और वो वही कर रही है जो उन्हें बिरासत में मिली है , जिस दिन उद्धव ने ममता के साथ कोलकत्ता में मंच साझा किया था उसी दिन गठबंधन तोड़ लेना था , बिना जनाधार के नेतावो को सर पे चढ़ाना मतलब कोठे वाली के सामने असहाय हो जाना है, ये वही बब्बर शेर ठाकरे थे जो पश्चिम सभ्यता का पक्ष लेते हुए माइकल जैक्सन का स्वागत में समारोह करते थे ,परन्तु वेलेंटाइन का खुलेआम विरोध करते थे और ऊपर से शिव सैनिको का उत्पाद ? जावेद मियादाद को घर पर बुलाकर सायं कालीन भोजन दे सकते थे ,लेकिन पाकिस्तानी टीम को इंडिया में खेलने के नाम पर पिच तक खुदवा दे। सत्तर के दशक में किसान आंदोलन जोर शोर से था ,सूती मिलो के मालिको पर मजदूरो का शोषण उग्र था ,दुनिया जानती है किसान नेता कृष्णा देशाई की हत्या शिव सैनिको ने की ,क्या ये देश हित और किसान हित की बात थी ? इमरजेंसी में कांग्रेश की सहायता इन्होने खुलेआम की ,जबकि ये काम किसी विचार धरा से प्रेरित नहीं थी ,बल्कि इन्हें डर था की कही इंदिरा हमें जेल में ना डाल दे | हजारो राजनेता ,सैकड़ो पत्रकार ,लाखो लोग जेलों में ठूस दिए गए लेकिन डरपोक बब्बर शेर इंदिरा चालीसा पढ़के अपनी खाल बचाता रहा .. कथनी करनी दिखती है ,जवाब मांगे जायेगे तुलना की जायेगी.. एक कायर ,बुजदिल जो मुम्बई से बाहर डरके नहीं निकला उसको शेर क्यों बोला गया ?