कुछ लोगों को भारत चीन के रिश्ते को लेकर मतिभ्रम है तो उन्हें कुछ तथ्यात्मक बात बताना एवं समझाना चाहता हूँ, अब ये फिजिक्स है या जियोग्राफी ये आप स्वयं निर्णय करना.. कुछ लोग विशेषकर एक लुप्तप्राय प्रजाति के चमचे मोदी की काबिलियत को कमतर आंकते हैं, तो सुनो ये नरेन्द्र मोदी है, जिसके दिमाग को विश्व के चुनिन्दा, चतुर नेता भी नहीं समझ पा रहे हैं और देश में बैठी तथाकथित वामपंथियों और उनके साथियों की फ़ौज गरियाती डोल रही है.. ये ऐसी जगह ले जाकर छोड़ेगा, जहाँ से वापसी भी संभव नहीं होगी... अब सुनो, मोदी ने हिंद महासागर में बसाए हैं, भारत के दो '''सीक्रेट आइलैंड'''.. इस खबर के बारे में हमारे देश में, ज्यादातर लोगों को पता नहीं है, दरअसल यह भारत का एक सीक्रेट मिशन है, जिसने चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों की नींद उड़ा रखी है.. भारत की समुद्री सीमा से दूर हिंद महासागर में 2 फौजी अड्डे स्थापित किए जा चुके हैं, मतलब यह कि भारतीय सेना ने दो द्वीपों पर अपना मिलिट्री बेस बनाया है, दुनिया के नक्शे में, इन दोनों द्वीपों की लोकेशन इतनी ज़बर्दस्त है कि चीन और पाकिस्तान दोनों परेशान हैं.. इनके नाम हैं '''अगालेगा''' और '''अजंप्शन आइलैंड'''.. इन द्वीपों पर भारतीय सेना आधुनिक हथियारों और साज़ो-सामान के साथ मौजूद है, बेहद खुफ़िया तरीके से, यहां भारतीय सेना खुद को मजबूत बनाने में जुटी है.. अगालेगा आइलैंड पर तो भारत ने बाकायदा एयरपोर्ट भी बना लिया है, जबकि अज़ंप्शन आइलैंड पर आने जाने के लिए हवाई पट्टी बनाई गई है, इन दोनों आइलैंड्स को भारत को सौंपे जाने पर चीन और यहां तक कि भारत के वामपंथी पत्रकारों ने बहुत अड़ंगेबाजी की थी.. इस सैनिक समझौते के खिलाफ़ कई झूठी खबरें उड़वाई गईं, आज इन दोनों द्वीपों पर क्या चल रहा है, इसका बाकी दुनिया सिर्फ अंदाजा ही लगा सकती है, क्योंकि यहां भारतीय सेना के अलावा और किसी को जाने की परमिशन नहीं है.. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभालने के फौरन बाद, जिन देशों की यात्रा की थी, उनमें मॉरीशस और सेशेल्स भी थे.. सरकार ने औपचारिक तौर पर बताया कि ये दौरा दोनों देशों के आपसी रिश्ते सुधारने और काले धन पर बातचीत के लिए है, लेकिन असली मकसद कुछ और ही था.. इस यात्रा में मोदी ने सेशल्स और मॉरीशस को इस बात के लिए मना लिया गया कि वो अपने 1-1 द्वीप भारत को लीज़ पर देंगे, इसी दौरे में शुरुआती समझौते पर, दस्तखत भी कर लिए गए.. अगालेगा आइलैंड, मॉरीशस में पड़ता है, जबकि अजंप्शन द्वीप सेशेल्स देश का हिस्सा है, हिंद महासागर में ये वो लोकेशन थी, जिसके महत्व की चीन को भी कल्पना नहीं थी, डील पर दस्तखत होने के कुछ दिन बाद जब मामला मीडिया में आया, तो भारत में चीन के लिए प्रोपेगेंडा करने वाले पत्रकार और खुद चीन सरकार बुरी तरह बौखला गए.. यही वो समय था, जब मीडिया ने पीएम मोदी की विदेश यात्राओं की खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी थी, क्योंकि उन्हें लग गया था कि पीएम मोदी इन यात्राओं के जरिए कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिसे वो नहीं चाहते कि मीडिया को पता चले.. इन दोनों द्वीपों के लिए की गई संधियों को रद्द कराने के लिए, वहां के विपक्षी दलों के ज़रिए भी दबाव बनाए गए, इन्हीं का नतीजा था कि अज़ंप्शन आइलैंड के लिए आखिरी समझौते पर दस्तख़त जनवरी 2018 में हो सका.. अगालेगा आइलैंड मॉरीशस के मुख्य द्वीप से 1100 किलोमीटर दूर उत्तर में यानि भारत की तरफ़ है, ये सिर्फ 70 वर्ग किलोमीटर दायरे में है, इसी तरह सेशल्स का अज़ंप्शन आइलैंड, वहां के 115 द्वीपों में से एक है, ये सिर्फ़ 11 वर्ग कि.मी. की जमीन है, जो कि मेडागास्कर के उत्तर में हिंद महासागर में है.. अब ये भी समझो कि भारत अरब देशों से कच्चा तेल खरीदता है, ये तेल हिंद महासागर के रास्ते ही आता है, कच्चा तेल जिस रूट से आता है, वो उन जगहों से काफ़ी क़रीब है, जहां पर चीन बीते कुछ साल में अपना दबदबा बना चुका है, वो इन जगहों पर बैठे-बैठे जब चाहे भारत की तेल की सप्लाई लाइन काट सकता है.. ऐसे में भारत को समंदर में एक ऐसी लोकेशन की जरूरत थी, जहां से वो न सिर्फ़ अपने जहाजों को सुरक्षा दे सके, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर, चीन की सप्लाई लाइन पर भी वार कर सके, ये वो रणनीति थी, जिसकी कल्पना चीन भी नहीं कर सका था.. उसे भरोसा था कि भारत की सरकारें, हिंद महासागर पर कब्जे की चीन की रणनीति को कभी समझ नहीं पाएंगी, चीन के रणनीतिकार अपने इस प्लान को '''स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स''' (मोतियों की माला) कहते हैं.. ये वो रणनीति है, जिससे उसने एक तरफ़ भारत को घेर लिया था, साथ ही अमेरिका के लिए भी मुश्किल हालात पैदा कर दिए थे.. पीएम मोदी ने इस ख़तरे को भांपते हुए, चीन के जवाब में '''स्ट्रिंग ऑफ फ्लावर्स''' (फूलों की माला) नाम से रणनीति बनाई, इसी के तहत सबसे पहले अज़म्प्शन और अगलेगा आइलैंड को लीज़ पर लिया गया.. ये दोनों द्वीप, आज चीन की आंखों में किरकिरी बने हुए हैं, क्योंकि वहां से भारत ने पूरे हिंद महासागर पर घेरा बना लिया है, फ़िलहाल इन द्वीपों पर बुनियादी ढांचा विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है, दोनों द्वीपों पर कुछ लोग रहते भी थे, जिन्हें भारतीय सेना ने ही दूसरी जगहों पर घर बनाकर बसा दिया है, अब इन दोनों द्वीपों पर भारतीयों के अलावा अन्य किसी को जाने की इजाज़त नहीं है.. पिछले दिनों अमेरिका ने भारत को 22 गार्जियन ड्रोन देने पर, रज़ामंदी जताई है, इन ड्रोन से इस पूरे इलाके के समुद्र पर निगरानी रखी जाएगी, अमेरिका भी चाहता है कि हिंद महासागर के इस इलाके में चीन को बहुत ताकतवर न होने दिया जाए, लिहाज़ा वो भारत के साथ सहयोग कर रहा है.. दरअसल भारत से दूर दुनिया भर में मिलिट्री बेस बनाने का आइडिया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का था, उनकी सरकार के वक्त इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू भी किया गया था। लेकिन इसी दौरान 2004 में वो चुनाव हार गए, इसके बाद आई मनमोहन सरकार ने इस पूरे प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया.. 10 साल तक इस पर एक क़दम भी काम आगे नहीं बढ़ा, 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी, तो उन्होंने सबसे पहले जो फाइलें क्लियर कीं, उनमें से एक इसके बारे में भी थी, वाजपेयी की सोच थी कि दुनिया में ताकतवर मुल्क बनना है, तो कुछ ऐसा करना होगा, जिससे कोई दुश्मन आंख उठाकर देखने की भी हिम्मत न करे.. अमेरिका, रूस, ब्रिटेन जैसे देशों ने पूरी दुनिया में ऐसे द्वीपों पर मिलिट्री बेस बना रखे हैं, वाजपेयी के वक्त ही ताज़िकिस्तान के फारखोर में भारत ने अपना पहला एयरफोर्स बेस स्थापित किया था, लेकिन हिंद महासागर पर दबदबे का उनका सपना अधूरा ही रह गया था, जिसे अब मोदी जी ने पूरा किया है.. अगालेगा और अज़ंप्शन आइलैंड पर फ़िलहाल सिर्फ भारतीय सेना को जाने की छूट है, ये दोनों द्वीप बेहद खूबसूरत हैं, चारों तरफ नीले समुद्र से घिरे इन द्वीपों पर अब तक बहुत कम आबादी रही है। सेना की कोशिश है कि यहां की कुदरती खूबसूरती को बनाए रखते हुए, यहां के बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए... अबभी कुछ समझ नही आया हो तो थोड़ा दिमाग लगाओ और गूगल करो, किंचित उसका कहा समझ आ जाये और हाँ व्हाट्सएप्प से या यहाँ वहाँ से कुछ कॉपी पेस्ट मत उठा लाना, राष्ट्रहित में लिए फैसलों के सम्मान करना सीखो, राष्ट्र को सम्मान दो.. दुश्मन पड़ोसी या अपने यहां के किसी अनारकिस्ट की गुलामी से कुछ नही मिलेगा...
जय भारत...
जय भारत...