31 जुलाई, 2020

अच्छा व्यक्ति (You are very nice)

आज बैठे बैठे सोच ही रहा था कि आखिर अच्छा व्यक्ति कैसा होता है और अच्छा व्यक्ति बने रहने के क्या खतरे हैं, तभी आदरणीय बब्बर जी का इसी संदर्भ में एक लेख पढ़ा तो सोचा ऐसा अनुभव तो अपने को भी बहुत है, किन्तु ऐसे अनुभव से सीख अंततः क्या मिलती है वो मेरे लिए ढाक के तीन पात के समान ही है , चलो खैर, हम अक्सर सुनते हैं कि आप बहुत अच्छे व्यक्ति हैं या you are very nice..  अक्सर ही किसी से भी यह सुनकर मुझे बहुत ख़ुशी होती थी, मुझे लगता था कि यह किसी भी व्यक्ति से मिलने वाली सबसे बढ़िया प्रशंसोक्ति है.. फिर मुझे अपने और अन्य “अच्छे व्यक्तियों” के जीवन को ध्यान से देखने पर यह अनुभव होने लगा कि इस लेबल का लग जाना अमूमन ही कोई बहुत प्रतिष्ठा या महत्व की बात नहीं है.. अब तक कुछ अनदेखे रह गए पैटर्न मेरे सामने उभरकर आने लगे और मैं यह समझने लगा कि दूसरों की नज़रों में “अच्छा” बने रहना किसी आदमी के लिए कितना तकलीफदेह हो सकता है.. और फिर मैंने ये कोशिश की कि मेरे ऊपर चढ़ चुका अच्छाई का मुखौटा कुछ उतरे और मैं भी दूसरों की तरह बेफिक्री से सांस ले सकूं.. सच बताऊं तो अपने साथ मैंने कभी कोई बेहतरीन चीज़ की है तो वह यही है.. कम्युनिकेशन कोच के तौर पर मैंने दूसरों को भी यह सिखाना शुरू कर दिया कि बहुत अच्छे बने बिना कैसे जियें.. जब कभी हम किसी व्यक्ति को किसी और व्यक्ति से यह कहते हुए सुनते हैं कि आप बहुत अच्छे आदमी हैं या वह बड़ी सज्जन महिला हैं तो हम समझ जाते हैं कि जिस व्यक्ति के बारे में बात की जा रही है वह दूसरों की दृष्टि में भला और अच्छा बने रहने के लिए हर तरह की दिक्कतें झेलता है और दूसरे उसका जमकर फायदा उठाते हैं.. अच्छा आदमी बनने का क्या अर्थ है ? मुझे लगता है कि जब कभी कोई आपको “अच्छा आदमी”, “नाइस गर्ल”, या “सज्जन पुरुष” कहता है तो इसके दो मतलब होते हैं.. कभी-कभी यह होता है कि सामनेवाले व्यक्ति के पास आपको कहने के लिए कोई उपयुक्त और सटीक पौज़िटिव शब्द नहीं होता। वे आपसे यह कहना चाहते हैं कि आप रोचक, या मजाकिया, या दयालु, या प्रभावशाली वक्ता हैं, पर ऐसे बेहतर शब्द नहीं सोच पाने के कारण वे कामचलाऊ अभिव्यक्ति के तौर पर आपको अच्छा, बढ़िया, या ओके कहकर काम चला लेते हैं.. यदि ऐसी ही बात है तो आप इसमें कुछ ख़ास नहीं कर सकते और आपको परेशान होने की ज़रुरत भी नहीं है। आपके बारे में कुछ पौज़िटिव कहने के लिए अच्छा या नाइस बहुत ही साधारण विकल्प हैं.. इन्हें सुनकर यदि आप बहुत अधिक खुश नहीं होते तो इसमें कोई बुरा मानने वाली बात भी नहीं है.. अब मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि अच्छा या नाइस का लेबल ऐसी चीज़ को दिखता है जो बाहरी तौर पर तो आपके बारे में पौज़िटिव बात कहती है पर सही मायनों में यह आपके खिलाफ जाती है.. दूसरों की बात बड़ी आसानी से मान जानेवाले और दूसरों के लिए खुद को तकलीफ में डालने के लिए हमेशा तैयार बैठे हुए आदमी को सभी भला मानस और नाइस कहते हैं.. तो ये शब्द सुनने में भले ही अच्छे लगें पर ये आपको मनोवृत्तियों और स्वभाव को दर्शाते हैं जिनसे आपको आगे जाकर बहुत नुक्सान भी उठाना पड़ सकता है.. अब बताता हूँ कि अच्छा आदमी बने रहने के खतरे क्या हैं.. हम लोगों में से अधिकतर यह मानते हैं कि हमें भले बने रहना चाहिए, दूसरों की सहायता के लिए तत्पर होना चाहिए भले ही इसके कारण कभी कुछ कष्ट भी उठाना पड़ जाए.. इससे समाज में हमारी छवि भी बेहतर बनी रहती है.. लेकिन यदि आप दूसरों की नज़र में हमेशा ही हद से ज्यादा भले बने हुए हैं तो यह इस बात का संकेत है कि आपने स्वयं की इच्छाओं का सम्मान करना नहीं सीखा है.. मैं दूसरों के प्रति उदारता बरतने और किसी की सहायता करने का विरोधी नहीं हूँ.. लेकिन मैं यह भी मानता हूँ कि कुछ लोग इस नीति के पालन के चक्कर में अपनी सुख-शांति को हाशिये पर रख देते हैं, मैं भी करता था.. वे यह मानते हैं कि उनके इस व्यवहार से दूसरे उनसे हमेशा खुश रहेंगे और ऐसा करने से उनकी समस्याएँ भी सुलझ जायेंगीं.. दुर्भाग्यवश, इस बात में बहुत कम सच्चाई है.. मनोविज्ञान के क्षेत्र में इस विषय पर हाल में ही बहुत शोध हुआ है और इसे nice guy syndrome के नाम से जाना जाता है..भलामानस बने रहने के नुकसान धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। इनमें से कुछ ये हैं, जैसे कि दूसरों को खुश रखने के लिए खुद को हलकान कर लेना, या स्वयं को नज़रंदाज़ करना, क्योंकि यह स्पष्ट है कि यदि आप हमेशा दूसरों का ही ध्यान रखते रहेंगे तो आपको अपनी देखरेख और आराम के लिए समय नहीं मिलेगा। यही कारण है कि ज्यादातर भलेमानस थकेमांदे, तनावग्रस्त, और बुझे-बुझे से रहते हैं। उनमें से कई अवसाद के शिकार हो जाते हैं.. इसी तरह दूसरों द्वारा आपका अनुचित लाभ उठाना, एक बहुत खतरनाक झूठ है जिसमें हम लोगों में से ज्यादातर यकीन करते हैं और वह यह है कि यदि हम दूसरों के लिए अच्छे बने रहेंगे तो वे भी हमसे अच्छा बर्ताव करेंगे। व्यवहार में ऐसा कभी-कभार ही होता है.. अधिकांश मौकों पर आपकी अच्छाई के कारण आपका गलत फायदा उठाया जाता है.. लोग आपसे बिना पूछे या जबरदस्तीआपकी चीज़ें मांग लेते हैं आप संकोचवश ना नहीं कहते, यहाँ तक कि आपसे अपनी ही चीज़ें दोबारा मांगते नहीं बनता क्योंकि आप किसी को नाराज़ नहीं करना चाहते और फिर हम इसी छवि में सिमटकर रह जाते हैं.. किन्तु अच्छी बात यह है कि ‘सज्जन पुरुष’ की छवि से बाहर निकला जा सकता है.. इसका सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपनी बेहद विनीत और मुलायम छवि में परिवर्तन लायें.. ऐसा करने के ये तीन तरीके हैं.. जैसे.. अपनी ज़रूरतों को पहचानें, उसके लिए यह ज़रूरी है कि आपको उनका पता चले.. दूसरों के प्रति हमेशा अच्छे बने रहने वाले व्यक्तियों की यह मानसिकता होती है कि हमेशा औरों के मनमुताबिक चलकर सबकी नज़रों में भले बने रहते हैं पर यह सच है कि उनकी भी बहुत सी भावनात्मक और दुनियावी ज़रूरतें होतीं हैं। उनके लिए यह बहुत ज़रूरी है कि वे अपनी ज़रूरतों की कद्र करें और खुद से बेहतर सम्बद्ध होकर जियें.. अपना आत्मविश्वास को जगाएं.. मेरे अनुभव में यह देखने में आया है कि बहुत ‘भलेमानुषों’ में आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी होती है.. उन्हें अपने बंधनकारी विचारों को तोड़कर संकोच और चिंताओं से उबरना चाहिए.. यदि आपके साथ ऐसा हो रहा हो अपने भीतर घट रहे परिवर्तनों का ध्यानपूर्वक अवलोकन करें और आत्मविश्वास जगाएं.. फिर अपने काम को प्राथमिकता दें, अपने काम में व्यस्त रहे,  आपको जो कुछ भी करना अच्छा लगता हो उसे करने में भरपूर समय लगायें और दूसरों के लिए समय नहीं होने पर उन्हें खुलकर मना कर दें.. ऐसे में यदि आपके और दूसरों के बीच संबंधों में खटास भी आती हो तो इसमें कोई हर्ज़ नहीं है क्योंकि आप दूसरों को हद से ज्यादा अपना फायदा नहीं उठाने दे सकते.. शुरू में यह सब करना आसान नहीं होगा लेकिन आपके बेहतर निजी जीवन के लिए यह सब करना ज़रूरी है.. हर समय लोगों को खुश रखने के बजाय जब आप ज्यादा निश्चयात्मक (assertive) रुख अख्तियार कर लेते हैं तो आपके आसपास मौजूद लोग आपके समय और काम की कद्र करना सीख जाते हैं और आपसे अपना काम निकलवाने के लिए सोचसमझकर ही प्रयास करते हैं.. अब हो सकता कि लोग आपको परोपकारी या देवता स्वरूप संबोधनों से नवाज़ना कम कर दें.. लोग आपको रूखा या स्वार्थी भी कह सकते हैं, पर यह तय है कि इन सभी लेबलों से अलगआपके औरों से संबंध अधिक परिपक्व व प्रोफेशनल होंगे और आपके जीवन में सुधार होगा.. वैसे मैं भी कोशिशें कर रहा हूँ, आप भी करके देखो, अब खुद को बेहतरीन बनाते हैं...