19 नवंबर, 2020

कोरोना का डर

 दीपावली पर एक उच्च कोटि के अतिथि का आगमन हुआ.. शुभकामनाओं के सिलसिले के बाद भाईसाहब डाइबिटीज की शिकायत के बावजूद चाय के साथ काजू की बर्फी, ड्राई फ्रूट्स एवं पिन्नी पर हाथ साफ कर गए.. बातचीत में बताया कि वो पहले ही 2-3 संबंधियों एवं मित्रगणों के यहां चाय एवं जूस छान कर आ रहे हैं.. चलो खैर थोड़े डर के साथ बीवी की तरफ देखा और कनखियों से मैं सैनिटाइजर को निहारने लगा, तभी जनाब एक छलांग के साथ उठ खड़े हुए जैसे पिन्नी खा कर सारे कार्बोहायड्रेट ने एक साथ ऊर्जा का संचार कर दिया हो और हाथ झाड़ते हुए बोले, "भाई ये कोरोना हाथ से निकल गया है, बाहर मत निकलना.. घर मे ही रहो, माहौल खराब है.. किसी पर विश्वास मत करो, त्योहारों का क्या है बस आप जैसे भाइयों से मिलना हो जाता है, अच्छा चलता हूँ अभी 2-1 घर और होता चलूं"... समझ नही आया कि कोरोना से डर ज़्यादा है या डराने वाले ज़्यादा है...