एक पुराने चिरपरिचित सज्जन जो कभी कट्टर कांग्रेसी हुआ करते थे और अब रजिस्टर्ड आपिये हैं मिले तो पूछ बैठे ये मोदी इस किसान आंदोलन से खत्म हो जाएगा, उसको बोलो है हिम्मत तो किसानों को हाथ लगा के दिखाए, मैंने कहा कुछ समय पहले तुमने यही सवाल सोनिया गांधी और राहुल के संदर्भ में भी पूछा था, सवाल वही है तो भाई जवाब भी वही है कि जो सड़ सड़ के खत्म होने वाला हो उसको लाठी से खत्म करके बदनामी क्यों लें.. मतलब किसानों के नाम पे नेतागिरी चमकाने वाले लोग लगभग तीन महिने से जनजीवन को अस्त व्यस्त किये हुए हैं, इसमें से सिर्फ एक महिना दिल्ली बॉर्डर पे हुआ है इसके पहले ये ही लोग पंजाब के रेल्वे मार्गों पे धरना दे के दो महिने से जाम किये हुए थे, आंदोलन में कोई जनता की भावना की कोई बात होती है तो वो अपने आप जंगल की आग की तरह फैलता है, ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, जितने लोग जोश से जुड़े थे पंजाब से उनको भी रोकना मुश्किल हो रहा है और वो खुद ही वापस जाने लगे हैं, दूसरे राज्यों में आग फैल नहीं रही है बल्कि उसको उकसा के फैलाने की कोशिश की जा रही है इस 130 करोड़ लोगों के देश को जाम करने के लिये 1% मतलब डेढ़ करोड़ लोगों की भी जरूरत नहीं है उस 1% का सौवां हिस्सा मतलब डेढ़ लाख लोग भी काफी है, शर्तिया कह सकता हूं की पूरे हिन्दुस्तान के सब तथाकथित किसान आंदोलनकारियों की गणना कर लो तो भी डेढ़ लाख नहीं होंगे, इसका मतलब 10000 लोगों में से अगर एक आदमी चाहे तो 9999 लोगों को उनकी मर्जी के खिलाफ भी रोक सकता है और ये ही कमजोरी है हमारे लोकतंत्र में, क्योंकि Violent minority overpowers silent majority... यहाँ हिंसक अल्पसंख्यक मूक बहुमत को मात देते हैं, क्या तरीका है एक पूर्ण बहुमत चुनी हुई सरकार के पास जिसको 20 करोड़ से ज्यादा वोट मिलें हों.. जो एक के बाद एक चुनाव जीत के अपनी लोकप्रियता साबित किये जा रही हो उसके पास इस तरह के आंदोलन से निपटने का एक तरीका लाठी का है.. बॉर्डर खाली कराना कोई इतना बड़ा काम नहीं है, 24 घंटे के अंदर सब साफ हो सकता है.. मुश्किल ये है की इस तरीके का फायदा आज होगा लेकिन उस जोर जबरदस्ती के फोटो दशकों तक दिखाये जाएंगे किसानों को भड़काने के लिये, लोग भूल जाएंगे की सिर्फ कुछ हज़ार किसान या अड़ियल धरने बाज लोगों को सरकार ने हटाया ताकि करोड़ों लोगों को होने वाली असुविधा से बचाया जा सके.. पर क्या सरकार का ये तरीका सही है? सही गलत तय करने के कई पैमाने होते हैं.. पर मोदी का ये ही तरीका है की सड़ा सड़ा के मारो ताकि वो खत्म भी हो जाये और कोई उसको याद भी ना रखे.. उसने शाहीन बाग के साथ ये ही किया था, याद है भाजपा के जो नेता बागी हो के अनर्गल बोलना चालू करते हैं उसके साथ भी भाजपा ये ही करती है.. शत्रुघ्न सिन्हा उसका अच्छा नमूना है.. बजाय पार्टी छोड़ने के उसने एक दो साल बकवास पार्टी के अंदर रह के चालू रखी, किसी ने ना उसको निकाला ना कुछ किया, थक के वो कॉंग्रेस, आरजेडी, समाजवादी सब पार्टियों मे भटका और आज राजनैतिक रूप से सड़ के खत्म हो गया.. खुद भी हारा, पत्नी भी हारी और बेटा एमएलए का चुनाव तक हार गया, अब उसको कोई नहीं पूछता है उसका भोंकना रिरियाना में और अब सब बिल्कुल बंद हो गया है.. ऐसा ही अरुण शोरी के साथ किया और ये ही जसवंत सिंह के साथ किया.. और तो और मोदी पाकिस्तान के साथ भी यही कर रहा है.. बजाय कोई सीधी कारवाई करने के जब तक की पाकिस्तान कोई गलत हरकत ना करे उसको अंतर्राष्ट्रीय रूप से सड़ा रहा है.. पाकिस्तानी चैनल देखो तो पता लगेगा रोज का ये ही रोना है की भारत ने हमसे हमारे दोस्त छीन लिये, OIC उनकी सुनता नहीं है सऊदी अरब, UAE ने पाकिस्तानियों का घुसना बंद सा कर दिया है, अरबों डॉलर अब अरब से नहीं आयेंगे, कर्जा मिलना अब नहीं मिल रहा है,भारत के आर्मी प्रमुख का सऊदी दौरा तो जैसे जले पे नमक छिड़कने का काम था, पता लग गया आगे आगे क्या होने वाला है, पाकिस्तान को सड़ा सड़ा के खत्म किया जाएगा... भारत जबरदस्त रूप से हथियार खरीदेगा और बनायेगा जिसको मैच करने के लिये दिवालिए पाकिस्तान को बर्बादी की कगार पे जाना पड़ेगा या चुपचाप बैठना पड़ेगा.. देश बहुत बड़ा है तो कहीं ना कहीं तो कोई ना कोई आंदोलन चलता रहेगा.. और फिर विपक्ष झुंझलाहट में खुद ही नंगा हो जाएगा, जो इस आंदोलन की आड़ में खालिस्तान और चीन की नाजायज़ औलाद कम्युनिस्टों का एजेंडा है वो ख़ुद देश के सामने होगा, ना सरकार की गति रुकेगी ना सरकार विचलित होगी.. और जहां भाजपा की सरकार है वहां ठुकाई कुटाई और दिल्ली में आप पार्टी के सरकार का आनंद वहां की जनता को तो मिलना ही चाहिए.. अभी हाल ही में जीएसटी का रिकॉर्ड आंकड़ा आया है 1,15,000 करोड़ का जो पिछले दिसम्बर, जब सब कुछ सामान्य था उससे 12% ज्यादा है.. और ये तो हालात तब है जबकि टूरीज्म, जेम, ज्वेलरी, होटल, एन्टरटेनमेन्ट, शादी, हवाई यात्रा, रेलवे आदि कई सेक्टर ऐसे हैं जिनपे अभी भी रोक लगी हुई है.. वो रोक हटने पे 10-20% और उछाल आएगा.. साफ साफ दिखता है की भारत प्रगति के रास्ते पे निर्बाध रूप से आगे बढ़ रहा है तो फिर क्यों जो सड़ सड़ के खत्म होने वाला है उसको लाठी मार के खत्म करने की बदनामी मोल लें... भाई साहब सिर खुजाते हुए झुंझला कर निकाल लिए.. बेचारे चमचों को क्या क्या सहना पड़ता है...