मैंने अक्सर अपनी बातचीत में और लेख में अनेकों बार आपको बताया कि दुनिया भर के देश केवल ओर केवल व्यापार और पैसे के लिए एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, कोई किसी का सैद्धांतिक दोस्त या दुश्मन नही है,वैश्विक तीन मौलिक व्यवसाय हैं.. हथियार, फार्मा सेक्टर और तेल.. आज हम जो देखते हैं वह फार्मा युद्ध है.. भारत बायोटेक पर हमला इसी की कड़ी है, यह दूसरों की तुलना में और अधिक सस्ती कीमत पर बेहतर समाधान दे रही है। इसके कारण 187 देशों ने बुकिंग के लिए लाइन लगा दी है, दूसरा मुख्य बिंदु है कि यूपीए के समय में, भारत ने चीन को दवा बनाने की अपनी क्षमता बेच दी थी, हम चीन से 95% जीवन रक्षक दवाओं के आयात का उपयोग करते थे, मोदी सरकार के बाद, यह उलट है.. यदि भारत बायोटेक वैक्सीन सफल है और दुनिया के हर कोने में पहुँचती है, तो पूरी चीनी फार्मा योजना बर्बाद होकर जमीन पर गिर जाएगी इसलिए हो सकता है देश मे बैठे उनके सूत्रधार आने वाले दिनों में कुछ मुद्दों को इससे जोड़ कर देखें जैसे टीकाकरण के बाद एक आदमी की मौत हो गई, या फिर किसी पुरुष के शुक्राणुओं में कमी आ गयी या फिर किसी महिला का गर्भपात हो गया, तो अपना खुद का दिमाग़ लगाइये, आमतौर पर किसी भी दवाई को बनने की पूरी प्रक्रिया कुछ साल ले लेती है, उसके पीछे गहन परीक्षण एवं अनुसंधान होते है, यहाँ वो सब सीमित समय मे किया गया है.. दुनिया में कुल 190 से अधिक देश हैं.. कुल 50 के लगभग विकसित देश हैं.. करीब 20 देश अति विकसित श्रेणी में हैं.. उनमें भी 7 देश अति-अति विकसित है.. भारत एक विकासशील देश हैं.. अब ये सोचो कि कोरोना वैक्सीन मात्र 5 देशों ने बनाई उनमें से एक हमारा देश हैं.. अर्थात हमनें विकासशील देश होकर भी अति-अति विकसित देशों को पछाड़ दिया.. वह भी कोई साधारण वैक्सीन निर्माण में नही बल्कि सदी की सबसे बड़ी महामारी के वैक्सीन निर्माण में.. सभी 5 देशों की वैक्सीन में भारत की वेक्सीन सबसे अधिक प्रभावी बतायी जा रही हैं क्योंकि ये कोविड के नये स्ट्रेन पर भी कार्य करेगी.. ब्रिटेन जैसे अति-अति विकसित देश जहाँ नया स्ट्रेन हाहाकार मचा रहा हैं, वह भी भारत की वैक्सीन का बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हैं। कुल 32 छोटे-बड़े देश भारत को वैक्सीन के लिए प्री ऑर्डर का प्रस्ताव रख चुके हैं। पर कुछ लोगो को हर चीज़ में विदेशी सर्टिफिकेट चाहिए होता है, यदि वैक्सीन विदेशी होगी तो अच्छी है, कोई वैक्सीन में धर्म ढूंढ रहा है तो कोई राजनीतिक पार्टी, कोई सूअर की चर्बी तो कोई गाय का खून, अबे छोड़ो दकियानूसी बकवास, अब पूरी दुनिया में भारत और हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धि के नाम का डंका बज रहा है.. दुनिया भारत की और आशा भरी नजरों से टक-टकी लगाए देख रही हैं... गर्व करना सीखिए अपने देश पर.. अपने देश के नेतृत्व पर...अपने वैज्ञानिकों पर..