09 सितंबर, 2012

हमारी उपलब्धियां

हमारी एक और महान उपलब्धि की आज भारत ने अपना 100वा मिशन अन्तरिक्ष मैं भेजा, हम ने तो चाँद पर भी पानी ढून्ढ लिया है, मंगल पर जाने की तयारी भी जारी है लेकिन हम स्वयं आज भी गटर का मिला हुआ पानी ही पीते हैं, चाँद पर घर बनाने का सपना है लेकिन हमारे देश में सडकें आज भी नहीं हैं, परमाणु उर्जा से बिजली बन रही है पर वो बिजली जा कहाँ रही है पता ही नहीं क्यूंकि आज भी सैकड़ों गाँव हैं जिन्हे बिजली क्या होती है पता ही नहीं, आज जब हम अपनी मूलभूत सुविधाओं को ही नहीं पूरा कर सकते तो ऐसी उपलब्धियों का फायदा किसको मिल रहा है, हम दुनिया के नक्शे पर तो चमकना चाहते हैं लेकिन अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर सकते तो इस सब का क्या फायदा... ? लाखों करोडो के घोटाले हो रहे हैं, सीबीआई और पुलिस अगर पकडती भी है तो ठीक लेकिन वो पैसा कहाँ चला जाता है ये किसी को नहीं पता, घोटाले बाज़ पकडने के बाद उस पैसे को कहाँ और क्या कर देते हैं पता भी नहीं चलता, एक आम आदमी घर पर 10-20,000 भी रखे तो परेशां रहता है की कहाँ रखे लेकिन ये लोग उन लाखों करोडो को कहाँ दबा देते हैं की उसको सीबीआई और पुलिस भी ढून्ढ नहीं पाती।। अजीब है न ये सब कुछ , लेकिन यही सब कुछ तो हो रहा है, हमारी उपलब्धियां दरअसल क्या हैं ..?
एक ऐसा प्रधानमंत्री जो सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना रहता है।
एक मायावती जैसी नेता जो सिर्फ आरक्षण और दलित वर्ग के अलावा इस देश में किसी को रहने देना नहीं चाहती।
एक भारतीय जनता पार्टी जैसी पार्टी जो केवल हिंदुत्व के दम पर जीती है। 
एक राज ठाकरे जैसा गुंडा जो महाराष्ट्र को अपनी जागीर समझता है और चाहता है लोग उसकी शर्तों पर जीयें।
एक केजरीवाल और सहयोगी जैसे लोग जो जनता को बडे हे प्यार से मूर्ख बना देते हैं।
एक कर्नाटका सरकार के मंत्रियों जैसे लोग जो राज्य मैं सूखे के नाम पर केंद्र से पैसा मांगते हैं और फिर उस पैसे से परिवार सहित विदेश में यात्रा करते हैं।
एक वो समुदाय विशेष जो आज भी अल्पसंख्यक कहलाता है और उसी की आड़ में वो सभी कुछ कर जाता है जो इस देश के सविंधान के विरुद्ध है और उनका कोई कुछ नहीं कर सकता।
एक हमारे देश के वो नेता जो संसद नहीं चलने देते क्यूंकि उनको उनके हक का वो मोटा खाने को नहीं मिला जो सरकार के मंत्रियों ने अकले अकले ही खा लिया।
एक वो महान आम आदमी जो सब कुछ सह सकता है लेकिन इस सबके विरुद्ध आवाज़ नहीं उठा सकता क्यूंकि उसको इस देश मैं रहने की कीमत चुकानी है जो वो किश्तों में चुका  रहा है।
एक वो व्यापारी वर्ग भी है जो बड़ी बड़ी कम्पनियां चलते हैं और सरकार से अपने दिए हुए चंदे के बदले बडे बडे घोटालों में स्वयं भी खाते हैं और सरकार को उसका हिस्सा भी देते हैं।
एक वो युवा है जो अचानक जागता है फिर शोर मचाता है और अत्याचार से लडने की बात करता है और फिर शांत होकर अपने काम मैं लग जाता है।
एक वो बाबा है जो योग सिखाते हुए भोग के लालच में आकर अपने अस्तित्वा पर ही सवाल खडे कर देता है।
और अंत मैं एक ऐसा अन्ना है जो सभी सोये हुए लोगों को जगाता है और पूरे देश को झिंझोड़ देता है लेकिन अपनों के हाथों दबा दिया जाता है, कुचल दिया जाता है, और वो बेचारा भी शांत होकर अपने घर बैठ जाता है।
दरअसल ये हमारे इस देश की कुछ महान उपलब्धियां है, ये रोकेट वोकैट तो बेकार की चीजें है, हमारी असली पहचान तो इन सब से है,   और हमारा देश और देशवासी इतने महान है की इन उपलब्धियों को नगण्य समझते हैं ...


15 अगस्त, 2012

क्या हम सचमुच आज़ाद हैं?

स्वतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें , आज़ादी के 65 वर्षों के उपरान्त आज क्या हम सचमुच आज़ाद हैं? क्या हमे आज़ादी है अपनी अभिव्यक्ति की? क्या हमे आज़ादी है अपने देश मैं कहीं भी रहने और जीने की? क्या हमे आज़ादी है अपने हक के लिए आवाज़ उठाने की? क्या हमे आज़ादी है आज़ादी से जीने की ... ?अगर नहीं तो फिर इस आज़ादी के मायने क्या हैं? हमारे लिए 15 अगस्त मतलब क्या सिर्फ राश्ट्रीय छुट्टी होना ही है ? ये आज़ादी हमे तोहफे मैं नहीं मिली, ये हमे उन लाखों शहीदों की कुर्बानियों के बाद मिली है जिन्होने अपनी जान दी सिर्फ और सिर्फ हमे आज़ाद देखने के लिए, जिनमे से कई तो गुमनामी की मौत मारे गए और कुछ जो आज भी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाणित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि सरकार उनकी दी हुई कुर्बानियों के एवज  मैं उन्हे पेंशन दे  सकें और वो अपनी जिंदगी गुज़ार सके और गर्व से कह सकें की हाँ उन्होने आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी, लेकिन आज उनको भी गर्व की जगह शर्मिंदगी महसूस होती होगी की आखिर हम लडे भी तो किन लोगों के लिए जिनको न तो आज़ादी का मतलब मालुम है और न ही  उसकी कीमत का अंदाजा हैं.  पर ये इस देश की विडम्बना है की हम आज़ाद तो हुए पर अपनों के हाथों ही फिर गुलाम हो गए और आज हम अपनों की ही गुलामी झेल रहे हैं , लेकिन इस गुलामी में  जीने मैं वो दर्द नहीं है एक मजबूरी है और एक लाचारी है शायाद इसीलिए हमे उस दर्द का एहसास नहीं हैं और हम उसी लाचारी और मजबूरी मैं जीए जा रहे हैं, हम सोचते हैं सिर्फ बर्दाश्त करो मगर आवाज़ मत उठाओ क्यूंकि हमारा क्या जा रहा है , सब चल रहा है ना , हम सब चाहते हैं की भगत सिंह, चंदर शेखर आज़ाद जैसे बच्चे फिर से पैदा तो हों लेकिन वो हमारे यहाँ न हों किसी पडोसी के यहाँ हो जायें, हम कुर्बानियां देना नहीं चाहते लेकिन चाहते हैं की कोई तो कुर्बानी दे , दरअसल हम सब मर चुके हैं और हमारी आत्मायें भी मर चुकी हैं और हम सिर्फ खाने और पहनने के लिए जी रहे हैं, हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है न देश के प्रति और न ही समाज के प्रति, और जो लोग अन्ना या रामदेव की तरह कुछ साहस भी करते हैं तो हम उनको भी स्वार्थी कह कर उनका मज़ाक उड़ाते हैं क्यूंकि हम खुद अक्षम हैं और हममे वो साहस और जज्बा नहीं है , हम डरते हैं और इसी तरह जीना चाहते हैं क्यूंकि आदत पड़ चुकी है और जब हम अपनी आदत ही नहीं बदल सकते तो इस देश को बदलने की बात कहाँ से करंगे ... ज़रा सोचिये 

13 अगस्त, 2012

India At Olympics

After spending more then $60 millions overall on the preparation of the 83 participants who took part in 13 different games, India this time improved its medal tally to 2 silver and 4 bronze medals and which is a record this time of highest medals tally at olympics so far. our sports minister immediately responded to the media that by 2020 olympics India's medal tally will improve to about 25 medals.
Isn't it ironical that out of the country of more than 1.2 billion people we can produce just a countable athletes and most of them cant even perform at the international levels. Our athletes just looks like they are there just to be the part of the game. winning six medals can be a big achievement for the individuals but as a country its a very poor performance where billions of rupees are spend annually on the name of sports which actually is not used to the potential and wasted by the authorities or is been used by our respected politicians who feel very proud to be associated to the sports arena just to be a part of an international contingent or they just wanted to improve their portfolio without actually having any concerns about the sports they are concerned to. Their motive behind all this is not to improve the quality of trainning or sports. Many of the concerned authorities are not even aware of the technicalities of the game they are heading. Problem is that its not like that we dont have the talent, we actually have lots n lots of talent and potential in our country but either the lack of infrastructure or facilities and then the politics behind the screen just damages the whole process. the money spent is not used with proper channel rather its been misused by the authorities for their own sake. many of our athletes are living their life with adversity. India is a country where cricket is considered as a national game and even the 14th player of the team being an extra still has an identity but we dont even know the name of other games played in india. every parent wants that if their child will be in sports then it should be cricket, nothing less. we have enormous talent but all we need is that we should promote them from the grass roots level and help them shine on the international levels so that India can prove its worth  at every part of the game.

03 अगस्त, 2012

Team Anna Zinda - Abaad

Anna's decision of making a political party and being a part of this dirty politics to clean the system is killing the people's hope and the strength of the promising people behind this movement. it gives a feeling that anna has been used by the team members as they themselves have lost their charm n identity as an individual and now their motive to be in politics is very clear and has been fulfilled now. The team members while they were on agitation dint get that much response from the people which they actually got when anna joined them and that clearly shows that people are there for that man and not the entire team. this decision has been taken as win for the congress party which from the day one have the aligation on team anna as they want to be in politics and team anna has proved that now. now my question is that is there any kind of gurantee that they wont be a part of this dirty politics or they are going to make a change. but to make that change they have to change the entire system which seems impossible atleast in my age span and hope that my children could see a better india when they grow up and have their life ahead. secondly they demands they have raised with the current government cannot be fulfilled by themselves as the way they want to impliment this could not be possible by themselves on that much scale, third is that team anna could not form a government on their own and they have to be a part of this mix match government and due to that this bill cannot be passed again. the things will linger on like this only and we might have to adjust with the team members as well as we are adjusting with the other politicians now.
so now i must say that this movement has lost the track and path of building a nation with hundreds of dreams shattered and lost hopes but still we can pray for our country and motherland and who knows their could be a miracle....

22 जुलाई, 2012

New President of India

Pranab Da has now been formally selected and elected president of india, lets see if this could make any difference or will this be another mistake by the elected representatives of this country. Congrats anyways Pranab Da....now its your turn to prove yourself as a distinguished president or like any other president of India. As being the first citizen of this democracy, we people have many hopes from you that some of your financial and social reforms might make a difference but if you keep working like the way you do and your work may not be influenced by the party you belonged to. for the next five years we would love to read from you and hear from you through the media and the press as like the earlier president about whom we only get to know when ever she had gone for a foreign trip. We hope that you might know your responsibilities better and help this country to make a difference on the globe..
congrats once again and Jai Hind..