दिल्ली में आज जीने के लिए हर सांस की कीमत चुकानी पड़ रही है, इस दम घोंटने वाले #प्रदूषण से शारीरिक,मानसिक और आर्थिक तीनो रूप से नुकसान हो रहा है, सरकारें जानती है किंतु जागती नही हैं। केले के छिलके को देख कर फिर फिसलन पड़ेगा वाली प्रवर्ति आ चुकी है किंतु वह छिलका ज्यों का त्यों बना हुआ है। #दिल्ली जैसे बड़ा सा शहर, चारों तरफ धूल,मिट्टी, धुआं,गंदगी, करोड़ो गाड़िया,धुँआ उगलती लाखों फैक्टरियां,हर तरफ AC, जेनेरेटर और इंजन, पावर प्लांट्स, बड़े बड़े लैंडफिल साइट, खुले हुए गंदे नाले, हर सौ कदम पर खुली कंस्ट्रक्शन साइट, और उस पर सोती और खाती हुई हमारी दिल्ली की सरकार, लेकिन पॉल्युशन के लिए बेचारा #हरियाणा और #पंजाब का किसान जिम्मेदार। पूरी दिल्ली के प्रदूषण के लिए केवल #पराली जलाना ही जिम्मेदार है, क्या केवल आरोप प्रत्यारोप की #राजनीति करने से इस सुरसा रूपी समस्या का हल है। आज दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में टॉप के 15 तो केवल हमारे है, अब इस पर गर्व करें या शर्म से डूब मरें ? कहने को विशाल आसमान तो है, उसमे अरबों तारें भी है लेकिन दिखाई नही देते। प्रदूषण से तो आंखों की चमक तक फीकी पड़ने लगी है। दिल्ली में डीटीसी कर्मचारियों पर काम ना करने और हड़ताल करने के वदले #केजरीवाल साहब उनपे अस्मा लगा कर बर्खास्त कर रहे हैं, लेकिन अगर मेरे नेता भी नालायक और नकारा हो तो मैं उस पर कौन सी धारा लगाऊं, 307 ? हमारी जान जोखिम में डालने के लिए और हमारे जीवन से खिलवाड़ करने के लिए। शायद केजरीवाल के मुंह से ये सुनना बाकी रह गया है कि इसके लिए भी भाजपा और संघ ज़िम्मेदार है, पर शायद हम भी उतने ही जिम्मेदार हैं इस जैसे निकम्मे को दिल्ली का मालिक बनाने के लिए... कायदे से तो केजरीवाल पर #ASMA भी लगना चाहिए और धारा 307 के अंतर्गत दिल्ली वासियों की हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज होने चाहिये.. हर साल ये प्रदूषण के नाम पर पराली पराली खेलना शुरू कर देता है, जबकि दिल्ली के प्रदूषण में पराली केवल 4% का योगदान देती है लेकिन बाकी का 96% ये भाई साहब खुद पाल कर बैठे हुए है, उसका कोई समाधान इनके पास नही है, बस 2 घंटे के प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए 75000 लीटर पानी छिड़काव करने में बर्बाद किया जाता है, कोई ठोस हल नही ढूंढा जाता, हर साल से समस्या यूं ही सुरसा की तरह विकराल रूप धर कर मुँह बाए खड़ी हो जाती है लेकिन इस नालायक को तो चुनाव लड़ना है, चंदा इक्कट्ठा करना है और दो कौड़ी की राजनीति करनी है, वैसे भी मुफ्तखोर दिल्ली को प्रदूषण भी तो खैर मुफ्त ही मिल रहा है लेकिन उनकी कीमत बहुतों को चुकानी पड़ रही है...हे ईश्वर अब तू ही हमे और हमारे बच्चो को बचा...
02 नवंबर, 2019
19 अक्टूबर, 2019
वीर सावरकर का माफीनामा
वीर #सावरकर के बारे में देश के कुछ #कुशिक्षित और #असभ्य राजनीतिक व्यवसायी उन्हें #गांधी जी की हत्या और 1921 में उन्हें अंग्रेजों द्वारा कारामुक्ति के आदेश को दुष्प्रचारित कर रहे हैं... इन लोगों को यह शायद ही ज्ञात हो कि वीर सावरकर को किस कारण 2 आजीवन कारावासों का तानाशाही आदेश सुनाया गया था, वीर सावरकर की पुस्तक "भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम" ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई और उन्हें #ब्रिटेन में सक्रिय इंडिया हॉउस की #क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के आरोप में 2 आजीवन कारावासों का तानाशाही आदेश सुनाकर 1910 में #अंडमान के #सेल्युलर जेल में रखा गया और 1920-21 के आते आते वहां की यातनाओं से कारावासित #स्वतंत्रता सेनानियों की मृत्यु होने लगी... इसी अवधि में पूरे देश में व्यापक जन #आंदोलन, मजदूरों की हड़ताल हो रही थी... #रौलेट एक्ट के विरोध में पूरे देश में आक्रोश और आंदोलन सशक्त हो चुका था... 1919 में #जलियांवालाबाग में हज़ारों लोगों के नरसंहार से पूरा देश उबल रहा था... सिर्फ 1921 में ही 400 हड़ताले हो चुकी थीं, तब अंग्रजों की सरकार ने अपनी जान बचाने के चक्कर में और #भारत में व्यापक विद्रोह से बचने के लिए सेल्युलर जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों से उन्हें बिना साक्ष्य दंडित करने की अपनी गलती स्वीकार करते हुए #clemency के एक ऐसे औपचारिक फॉर्म पर हस्ताक्षर लिया जो यह साबित करने के लिए किसी कैदी से लिया जाता था कि उसे गलती से दंड दे दिया गया था... clemency को समझने के लिए #न्यायशास्त्र का इतिहास पढ़िए कि clemency की कितनी परिभाषाएं हैं..... क्योंकि, clemency एक शब्द नहीं न्यायशास्त्र का एक पारिभाषिक शब्द है... देश कुशिक्षित राजनीतिक व्यवसायियों को यह जानना चाहिए कि सेल्युलर जेल में कारावासित क्रांतिकारियों के अपराध को अंग्रेज़ सरकार साबित ही नहीं कर पाई थी इसलिए एक बहाने से #वीरसावरकर और अन्य क्रांतिकारियों को स्वयं क्षमा मांगते हुए मुक्त कर दिया क्योंकि यही ऐसा नहीं होता तो 1921 के आंदोलन क्रम #चौरीचौरा ही नही भारतीय वीरों ने वायसरॉय के घर को भस्म कर दिया होता, इसलिए वीर सावरकर पर बोलते हुए बकिए मत, अपनी औकात देख लीजिए कि आप हैं कौन और आपके आराध्यों ने देश के साथ क्या क्या किया था...
16 अक्टूबर, 2019
आस्था या अन्धविश्वास
आजकल हम लोग आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी के युग मे यदि अपनी आस्था और विश्वास को अपनी धार्मिक परंपराओं एवं संस्कृतियों से जोड़ते हुए कोई कार्य करते हैं तो आज उसे अंधविश्वास की संज्ञा दी जाती है, किन्तु मेरा मानना है कि विश्वास या भक्ति या आस्था बंद आंखों से इसीलिए किया जाता है है क्योंकि इसमें पूर्ण समर्पण है, जहां शंका होगी वहां भक्ति और आस्था डगमगा जाएंगे । आधुनिक चिकित्सा के एक बड़े मंदिर सर् गंगा राम हॉस्पिटल के सुपर स्पेशलिटी विभाग में बना ये सर्व धर्म पूजा स्थल शायद एक अपवाद है, जहां हमारी अत्याधुनिक चिकित्सा प्रणाली भी उसी आस्था, विश्वास एवं भक्ति की उंगली पकड़े जीवन मृत्यु के संघर्ष में आशा की एक किरण देखती है। विभिन्न धर्म गुरुओं, भगवान, ईश्वर, गॉड, का समन्वय एवं एक स्थान पर बिना किसी भेद के एक आलौकिक ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करता है, एवं जीवन चक्र में आगम से प्रस्थान तक यूँ ही थामे रहता है, परंतु कुछ लोगों के दो निम्बू से ही दिमाग और दांत दोनो खट्टे हो जाते हैं...
07 अक्टूबर, 2019
डेंगू का प्रकोप एवं प्रदुषण
समस्या विकट है, बरसात खत्म हो चली हैं और डेंगू का प्रकोप मुँह बाए खड़ा है, विचारणीय ये है कि आज भी दुनिया मे सबसे ज़्यादा मौतें मच्छर के काटने से ही होती हैं, बित्ति भर का मच्छर एक परमाणु हमले जितनी प्रजाति को नष्ट करने की क्षमता रखता है, यूँ तो सरकारें प्रयास कर रही हैं किंतु कुछ सकारात्मक होता दिख नही रहा, वैसे देखा जाए तो श्री लंका जैसा छोटा सा देश जो चारो तरफ पानी से घिरा हुआ है अपने को डेंगू मुक्त एवं मच्छर मुक्त घोषित कर चुका है, तो भारत मे भी राजनीतिक होड़ के चलते इसके नाम पर कुछ उल्टा पुल्टा होता ही रहता है, अब ये फोगिंग ही ले लो, वैसे तो प्रदूषण से दिल्ली का दम घुट रहा है, प्रदूषण के नाम पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी जारी है, कहीं ओड इवन, तो कहीं यातायात नियंत्रण के नाम पर तमाशा, अंततः दिल्ली की बदनसीबी है घुट घुट के जीना, ये फोगिंग करने के नाम पर तो सरकारी कर्मचारी आम जनता की आंखों में धूल के रूप में धुंआ झोंक रहे हैं, प्रदूषण की दुहाई देने वाली सरकारें खुद डीजल के धुएं से मच्छर मारने और डेंगू से लड़ने का दावा करते हैं और हमारे घरों में घुस कर एक बार मे इतना धुंआ छोड़ जाते हैं जो शायद हम सड़क पर चलते हुए साल भर में भी नही लेते, और अनजान और बेबस जनता इस पर भी ताली पीटती है और छुटभैये नेता अपनी वाह वाही लूटते हैं, क्यों हम कुछ सकारात्मक नही करते, अरे अपने घर के आस पास पानी जमा मत होने दो ना, यदि होता है तो उसके लिए सरकार से लड़ो, भगाओ इन फोगिंग के नाम पर तमाशा करने वालों को... आदतें बदलो
25 सितंबर, 2019
Father Of India
#FatherOfIndia का विशेषण नरेंद्र मोदी को कैसे बोल पड़े राष्ट्रपति ट्रम्प इसको समझने की आवश्यकता है, वो इसलिए क्योंकि सारे अमरीकी अखबारों में हमारे प्रधानमंत्री जी के लिए एक यह भी मुख्यशीर्षक था.. PM Modi's down to earth gesture at Houston Airport is winning hearts... मोदी जी जब ह्यूस्टन में एयरपोर्ट पर उतरे और वहां पंक्तिबद्ध स्वागतार्थियों से मिलने लगे तो उन्हें एक गुलदस्ता भेट किया गया जिससे एक फूल की छोटी टहनी खिसक कर ज़मीन पर गिर पड़ी..उन्होंने तुरंत स्वयं झुककर बाएं हाथ से उसे उठाया जिसे साथ चल रहे सुरक्षाकर्मी को दे दिया.. यह दृश्य अमरीका के लिए असाधारण और अकल्पनीय था और इस दृश्य को विभिन्न सकारात्मक व्याख्याओं के साथ अमरीकी अखबारों में प्रकाशित किया गया.. इस समाचार ने संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में आए हुए सभी राष्ट्राध्यक्षों को सम्मोहित किया... और उस तर्कसंगत सम्मोहन के उद्रेक में राष्ट्रपति ट्रम्प ने सत्य उद्गार व्यक्त किया कि "Modi is Father of India ..." यहां यह ध्यान रखने की बात है कि इण्डिया का अर्थ भारत नहीं है... इंडिया , भारत में रहने वाली एक विचारधारा का नाम है जो स्वयं को सदा ही ऊंचा समझता है, जिसे फूलों के कुचले जाने की कोई चिंता नहीं रहती ... जो फूल ज़मीन पर गिरे तो गिरे , हुआ तो हुआ के कुविचारों से मदांध रहता है .. किन्तु हमारा भारत तो भारत माता है .. जो स्वच्छता को हर जनमानस का नैतिक अधिकार समझती है, जो देश की उन्नति और विकास को प्राथमिकता देती है, जो एक नए भारत की कल्पना करती है, राष्ट्रपति ट्रम्प के इस उद्गार से जिसे सीखना है वह सीखे, जिसे रोना ही है वह रोये...
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