देश मे हर साल औसतन 32000 बलात्कार होते हैं किंतु विडंबना ये है कि केवल इक्का दुक्का ही उनमें से 'निर्भया" बन पाती है, बाकी केवल कागज़ों में दफन होकर रह जाती हैं.. बलात्कारी की घृणित मानसिकता जाति, धर्म, या उम्र नही देखती किन्तु उंस विक्षिप्त तार तार हो चुके शरीर मे कुछ राजनीतिक गिद्ध एवं भेड़िए अपने लिए जाति, धर्म एवं उम्र सबका आंकलन करके उसका सामाजिक, राजनीतिक एवं मानसिक बलात्कार करते हैं, रोज़ करते हैं... 'मेरा दलित तेरे दलित से भी घनघोर दलित है"... ये क्या है ? बलात्कारी हिन्दू है या मुसलमान ? क्यों ? बालिग है या नाबालिग ? कैसे ? क्या है ये सब, अरे बलात्कारी एक विकृत मानसिकता का अपराधी है, बस.. किन्तु हाथरस की घटना दोबारा सोचने पर मजबूर करती है, यहां मानसिकता उस लड़की के परिवार वालो की सोचनीय है, यहां मानसिक बलात्कार हुआ, मीडिया एवं राजनीतिक पार्टी ने सियासी बलात्कार किया, दुर्भावना है, द्वेष है, रंजिश है, वो सब दरकिनार करके परिवार भी उसी का शिकार हो रहा है, बच्ची जान से गयी तो चलो अब गयी तो गयी किन्तु उसके नाम पर दुकानदारी शुरू हो गयी, बोलियां लग रही है, 25 लाख, 50 लाख, पर मीडिया की टीआरपी करोड़ो की है और राजनीतिक नफा नुकसान अरबों का... कुछ दिन ये मंडी लगेगी, फिर सच सामने आएगा.. ये सियासी "प्रोडक्ट" किसके लिए फायदेमंद होगा... "पिपली लाइव" है.. देखते जाओ...
03 अक्टूबर, 2020
14 सितंबर, 2020
हिंदी दिवस
हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली एवं सबसे उन्नत भाषा है। हमारे देश की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। सरकारी काम काज हिंदी भाषा में ही होगा । इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक हैं। संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है। हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है। वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है। हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नहीं है। हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। लेकिन अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाएं। आज मैकाले की वजह से ही हमने अपने आप को मानसिक गुलामी बना लिया है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता। छोड़िए ना, अंग्रेज़ी हमारी कामवाली है, उसे रहने दो, हिंदी तो हमारी घर की है हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर उसका सर्वाधिक उपयोग करना चाहिए। जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसीको तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है। हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए। एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है। हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए। राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए। आज सारे संसार की आशादृष्टि भारत पर टिकी है । हिन्दी की संस्कृति केवल देशीय नहीं सार्वलौकिक है क्योंकि अनेक राष्ट्र ऐसे हैं जिनकी भाषा हिन्दी के उतनी करीब है जितनी भारत के अनेक राज्यों की भी नहीं है। इसलिए हिन्दी की संस्कृति को विश्व को अपना अंशदान करना है। राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है। इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है। आओ, इसे सुदृढ़ बनाकर राष्ट्ररूपी भवन की सुरक्षा करें। आजादी मिले 70 वर्ष से भी अधिक समय हो गया, बाहरी गुलामी की जंजीर तो छूटी लेकिन भीतरी गुलामी, दिमागी गुलामी अभी तक नहीं गया.. आइये हिंदी को अपनाएं, अनेक स्थानीय बोलियों की जननी को उसका सम्मान दें.. हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...
31 जुलाई, 2020
अच्छा व्यक्ति (You are very nice)
22 जुलाई, 2020
String of Flowers भारत की कूटनीति
जय भारत...