13 मई, 2019

आएगा तो मोदी ही

मैं कहता हूँ चलो मत मानो कि इस व्यक्ति ने कभी चाय बेची होगी, यह भी मत मानो कि इनकी माँ ने कभी किसी दूसरों के घरों में बर्तन साफ़ किए होंगे, मत यकीन करो कि यह व्यक्ति कभी हिमालय में रहा होगा, यह भी मत मानो कि इस व्यक्ति ने #राजनीति में यह ऊँचाई हासिल करने के लिए पार्टी के कार्यक्रमों में कुर्सियां और फर्श बिछाए होंगे, पर यह तो मानोगे न कि यह व्यक्ति एक निहायत ही गरीब और पिछड़े परिवार में पैदा हुआ, यह भी कि इस व्यक्ति के परिवार और रिश्तेदारों में किसी का भी राजनीति और व्यापार से कोई वास्ता नहीं था, यह भी कि यह व्यक्ति किसी महँगे स्कूल और कॉलेज में पढ़ने नहीं गया और यह भी कि इनका कोई गॉड फादर नहीं था, जो इन्हें उंगली पकड़ कर जिन्दगी की गुजर बसर करने लायक मुकाम पर पहुँचाता. बावजूद इसके, आप इस व्यक्ति का #आत्मविश्वास#इरादे#हौसला और विजन देखो कि सार्वजनिक जीवन में कभी उसने ख़ुद को दीन-हीन, गरीब, पिछड़ा, अशिक्षित और दयनीय नहीं लगने दिया है. जीवन में जो हासिल किया, वह अपनी मेहनत और जिद से हासिल किया। इनके इरादों में जो टोन आज से 27 साल पहले थी, वही आज भी है. सोचने का ढंग जो तब था वह आज भी है, और यही वजह है कि बिना #हावर्ड और #ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री या डिप्लोमा लिए यह व्यक्ति एक गरीब मजदूर से लेकर #अमेरिका के राष्ट्रपति तक से #आत्मविश्वास से लबरेज होकर मिलता है. जो अपने परिधान और चाल-ढाल से देश और दुनिया में मजबूत, समृद्ध और उम्मीदों से भरे #भारत का प्रतिनिधित्व करता है, जो भाषा, ज्ञान और तकनीक की हर उस विधा के साथ आगे बढ़ता है, जिसे अपनाने में एक सामान्य इंसान को संकोच होता है. उन्होंने भारत की राजनीति के शीर्ष नेतृत्व को #ट्विटर#फेसबुक#इन्स्टाग्रामजैसे सोशल मीडिया माध्यमों में आने को विवश किया, वे अपने समय से चार कदम आगे चलते हुए आज टेली प्रोम्प्टर से बोलते हैं, वे तकनीक के माध्यम से मंच पर टहलते-टहलते देश के करोड़ों लोगों से संवाद स्थापित कर लेते हैं, वे देश के #गरीब#किसान#मजदूर#छात्र#महिलाओं और #पेशेवरों से टेली कांफ्रेंस के माध्यम से सीधा संवाद करते हैं, सवालों के जवाब देते हैं, वे #ब्लॉग लिखते हैं, लगातार टीवी और अखबारों को इंटरव्यू देते हैं, वे #रेडियो पर #मन की बात करते हैं और अब #नमो टीवी भी। पर वे जो नहीं करते हैं, वह भी जानने योग्य है...वे भरी जनसभा में अपने कुर्ते की फटी जेब में हाथ डालकर नहीं दिखाते हैं, वे कागज़ में देखकर भाषण नहीं पढ़ते, वे बुलेट प्रूफ शीशे के पीछे से भाषण नहीं देते, वे #विश्वेश्वरैया पर अटकते नहीं हैं, वे अपनी रैलियों के बाद बांस-बल्लियों से कूदने का स्टंट नहीं करते, वे सिक्यूलर नेताओं की तरह #गंगा -जमनी तहजीब में नहीं बल्कि एक मंजे हुए नेता की तरह बिना लाग-लपेट के अपनी बात कहते हैं. वे अपने किसी भी कार्यक्रम में बेतरतीब दाढ़ी, बाल और कपड़ों के साथ नहीं जाते और यह भी कि वे राजनीति में टाइम पास के लिए नहीं बल्कि एक निश्चित मिशन के लिए हैं, इसलिए उनकी राजनीति में ब्रेक, इंटरवल और अवकाश नहीं होता और यही वजह है कि अपने पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने 15 साल सरीखा काम करके दिखाया है, इसलिए आगामी नतीजों से अनजान मेरा यह मानना है कि मोदी ने भारत के लिए पांच साल में जो किया है, वह अगले पचास साल तक भी भुलाया नहीं जा सकता, वहीं उनको मिलने वाला एक और कार्यकाल भारत के लिए एक #स्वर्णिम युग को सुनिश्चित करने वाला होगा, यह व्यक्ति अपने काम, समय और योजनाओं को लेकर कितना जागरूक और पाबन्द है, उसकी झलक आप हर उस कार्यक्रम में देख सकते हैं, जिसमें इनकी उपस्थिति होती है. #मोदी जी की अपने हर एक्ट में किसी बारीक नक्काशी की तरह पकड़ रहती है, वे बेशक हार्ड टास्क मास्टर हैं, वे जितना आगे समय से खुद रहते हैं, उतना ही आगे देश को ले जाना चाहते हैं, तब भी कहूँगा कि मोदी भारत नहीं है, मोदी के पहले भी देश चल रहा था, मोदी नहीं होंगे तब भी देश चलेगा क्योंकि ऐसे चल तो #अफगानिस्तान और #पाकिस्तान भी रहा है...
#AyegaToModiHi 

09 मई, 2019

आईएनएस विराट व कांग्रेस की अय्याशियां

कल #रामलीला मैदान की रैली में #प्रधानमंत्री #मोदी ने #राजीवगांधी के ताबूत में एक और कील ठोक दी, ये कहकर की 1987 में गांधी परिवार ने देश के तत्कालीन इकलौते विमानवाहक युद्धपोत #आईएनएसविराट को एक टैक्सी की तरह, या यूं कहें कि एक प्राइवेट याच की तरह अपनी पारिवारिक छुट्टियां मनाने के लिए इस्तेमाल किया। सवाल ये उठता है कि देश की सुरक्षा से इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों ? इस सबका ज़िम्मेदार कौन ? इसको ऐसे समझो, की राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उनके साथ #सोनिया गांधी, बच्चे #राहुल और #प्रियंका गांधी, चलो ठीक है, लेकिन साथ मे उनके ससुराल वाले यानी सोनिया गांधी की माँ, उनका भाई और मामा भी, सोने पे सुहागा अपने #अमिताभ बच्चन साहब भी सपरिवार ओर तो ओर भाई अजिताभ की बेटी भी साथ, वही अजिताभ जिसके बंगले के पता राहुल गांधी ने अपने लंदन निवास और बैकऑप्स कंपनी के स्थायी पाते के रूप में दिया हुआ है, और साथ मे थे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण सिंह के भाई बिजेंद्र सिंह और वो भी परिवार सहित। ये सब हुआ एक द्वीप #बंगाराम पर, जहां आबादी नही है, अब ये समझो।कि आईएनएस विराट अकेला नही चलता, उसके साथ एक बेड़ा होता है जंगीजहाज़ों का, यहां तक कि एक पनडुब्बी भी साथ होती है, अब ये द्वीप सुनसान था तो 10 दिन रहने का प्रबंध जल सेना ने #लक्षद्वीप सरकार के साथ मिल कर किया, संसाधन नही थे तो हर छोटी बडी चीज़ के लिए हैलीकॉप्टर लगाए गए, क्या इस परोक्ष लूट की कल्पना की जा सकती है ? करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा दिए गए, क्या यही वो सर्जिकल स्ट्राइक है जिनका #कांग्रेस अक्सर जिक्र करती है, की राजीव गांधी अपने लाव लश्कर, और इटालियन योद्धाओं के साथ युद्धपोत लेकर मछलियां पकड़ने गए थे। वैसे ये केवल राजीव गांधी के समय ही नही बल्कि #नेहरू के समय भी ऐसा ही था, वो भी राजीव, संजय और इंदिरा के साथ ऐसे ही छुट्टियों पर जाते थे, परंपरा कहो या फिर कांग्रेसियो की बाप की जागीर, ये देश ऐसे ही चला है...

23 अप्रैल, 2019

IPL का बुखार

मुश्किलें कुछ इस कदर ठहर गयी है जिंदगी में जैसे अजिंक्य रहाणे और स्टीव स्मिथ की कल की पार्टनरशिप... खुशियाँ है की रोहित शर्मा का टैलेंट हो गयी, ज़माने बीते पर मिली ही नहीं.. गम चारो तरफ से यूं उमड़ते है जैसे डी विलियर्स की बैटिंग का वैगन व्हील.. तनख्वा आती है द्रविड़ की स्ट्राइक रेट की तरह, जाती है क्रिस गेल की तरह.. दोस्त यार तो गंभीर और धोनी हो गए.. जिनके जाने का न गम रहा, न आने का इंतज़ार.. एक पुरानी मोहब्बत थी गांगुली दादा की कवर ड्राइव सी खूबसूरत, जाते जाते उसका हश्र भी कुछ युवराज के पुल शॉट सा हो गया.. कभी हुआ करते थे हम भी शिखर धवन की मूछ जैसे, आज तबियत ऐसी झुकी है जैसे अज़हरुद्दीन की कमर.. बस जिए जा रहे है रविंद्र जडेजा की स्पिन जैसे, न कोई क्लास, न वैरायटी, न घुमाव.. सीढ़ी सपाट बेफिजूल.. और ऊपर से आकाश चोपड़ा जैसे ये रिश्तेदार जब पूछ लेते है जिंदगी में क्या चल रहा है है तो जी करता है किसी दिन खोल के बोतल पूछ लू की उनके स्टुअर्ट बिन्नी ने क्या उखाड़ लिया.. पर मेरी माँ की बुमराह सी डायलाग डिलीवरी का ख़याल मुझे वैसे ही बेबस कर देता है जैसे आईपीएल में रॉयल चैलेंजर बंगलोर और विराट कोहली.....

22 अप्रैल, 2019

भगवा आतंकवाद एवं साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा ने ठीक कहा या गलत इसका आंकलन आप स्वयं करें, किसी महिला को आतंकवादी का तमगा दे कर पुरुष पुलिस वालों के द्वारा एक कट्टर अपराधी की तरह पीटना, प्रताड़ित करना और गाली गलौच एवं अभद्र भाषा का प्रयोग करना। फिर उस पर अनेक धाराओं में झूठे केस दर्ज करना, 9 साल शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना देना, केवल इसलिए कि वो एक संगठन विशेष राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी हुई थी और एक पार्टी विशेष कांग्रेस को अपनी साख बचाने के लिए एवं हिंदुत्व को नीचा दिखाने के लिए भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़नी थी। अशोक चक्र विजेता शहीद हेमन्त करकरे जो इस केस पर काम कर रहे थे, जिनकी बनाई चार्जशीट पर स्वयं न्यायपालिका ने सवाल उठाया था, जो खुद इस हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पर काम कर रहे थे, जो खुद इस संबंध में ग्रह मंत्रालय को रिपोर्ट ना करके स्थानीय नेता दिग्विजय सिंह को रिपोर्ट कर रहे थे वो खुद इन षड्यंत्र का शिकार हुए। आश्चर्य की बात ये है कि जो ATS मालेगांव ब्लास्ट की जांच करते हुए गुजरात से होकर मध्य प्रदेश पहुंच गई वो अपनी नाक के नीचे बैठे मुम्बई हमले में गुनहगारों को नही सूंघ पाई, क्योंकि वो ISI ओर भारत मे उनके सहयोगियों के षड्यंत्र का शिकार हो चुके थे, क्योंकि वो पूरी ताकत से भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने में लगे हुए थे, वो तो भला हो अशोक चक्र विजेता शहीद तुकाराम ओम्बले का जिन्होंने अजमल कसाब को ज़िंदा पकड़ा वरना टी ये भगवा आतंकवाद गढ़ा गया था, शहादत ये थी। रही बात मालेगांव ब्लास्ट की तो हमले का सूत्र एक स्कूटर जो साध्वी प्रज्ञा के नाम पर था, किन्तु क्या कोई साजिशकर्ता बम्ब ब्लास्ट में अपने नाम का रेजिस्टर्ड स्कूटर का इस्तेमाल करेगा, कोई मज़ाक है या किसी जासूसी उपन्यास की कहानी, हेमंत करकरे जो अपना डिनर कर रहे थे, शराब भी पी हुई थी अचानक मुम्बई हमले की जानकारी मिली, चल दिये और मारे गए, हो गयी शहादत, ठीक है, किन्तु उस महिला का क्या जिसने 9 साल सब कुछ झेला, वो उस पुलिस वाले को गाली भी ना दे, कोसे भी ना, उसकी व्यक्तिगत क्षति के बारे में सोचो, कोई कश्मीरी उस सेना के जवान को सल्यूट नही करता जिसने उसके आतंकी बेटे को मारा हो, ये उनकी व्यक्तिगत पीड़ा है, साध्वी प्रज्ञा ने तो ये सब झेला है वो तो बोलेगी फिर चाहे वो करकरे हो, दिग्विजय हो या फिर चिदंबरम...

08 अप्रैल, 2019

नेहरू गाँधी परिवार की महानता

देश के महान निशानची श्री मान राहुल गाँधी ने कहा है की मोदी जी एयर स्ट्राइक का श्रेय ले रहे हैं और उन्हें राइफल भी पकड़नी नहीं आती, सही है क्यूंकि गाँधी परिवार के लगभग सभी किसी न किसी कला में पारंगत थे जैसे महान जिमनास्ट राजीव गाँधी के नाम पर खेल रत्न दिया जाता है। महान कैंसर स्पेशलिस्ट राजीव गाँधी के नाम पर अस्पताल हैं। महान बँदूकची राहुल गाँधी ने विशेष शूटिंग कोटा में कॉलेज में प्रवेश पाया था। महान नाविक नोहा ने प्रलय काल मे सृष्टि की रक्षा की। बर्मन दा की धुन पर वे ‘ओ नोहा रे’ की धुन पर नाव खे रहे थे। ‘नोहा रे’ कालांतर में अपभ्रंश होकर ‘नेहरू’ कहलाया। मनुष्य जाति उनकी सदैव ऋणी रहेगी।श्रीमति इंदिरा गाँधी ने बक बक करने वाली अफ़सरशाही की शब्द-सीमा ‘जी’ और ‘यस’ तक निर्धारित की। इंदिरा जी द्वारा स्थापित परंपरा मे आगे ‘जी’ ‘यस’ की परंपरा मे धर्मात्मा जीजस हुए, और उनके उत्तराधिकारियों ने जनेऊ धारण कर के हिंदुत्व का उद्धार किया।राहुल जी के चाचाजी और इंदिरा जी के प्रतापी पुत्र सँजय गाँधी हुए जिन्हें वन्य जीवों से अगाध प्रेम था। अपने जीवन काल मे देश को चिड़ियाघर बनाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किए, जिसके कारण कृतज्ञ राष्ट्र ने अनेकानेक प्राणी अभयारण्यों का नाम सँजय गाँधी प्राणी उद्यान रखा।विवाह के पंद्रह वर्ष बाद सोनिया जी के भारतीय नागरिकता लेने के निर्णय से चक्रवर्ती राजीव जी चौंक गए थे, इसीलिए उनके नाम पर दिल्ली मे राजीव चौक बनाया गया। सँघी लोग अफ़वाह फैलाते हैं कि राजीव जी कनॉट प्लेस पर ट्रैफ़िक हवलदार थे जो पूर्णतया असत्य है। पर्यावरण प्रेमी राजीव जी विशाल वृक्षों से बहुत प्रेम करते थे, और जब भी कोई बड़ा पेड गिरता था तो उनका हृदय आहत हो जाता था इसी कारण कर्नाटक मे उनके नाम पर वन संपदा का नाम रखा गया।सोनिया जी ने जेंडर इक्वालिटी के लिए अभूतपूर्व कार्य किया और प्रथम बार एक महान नदी का लिंग निरपेक्ष नामकरण ‘नर-मादा’ के नाम पर किया जिसके लिए मध्यप्रदेश अनंत काल तक महिषि का आभारी रहेगा। नमन है ।सोनिया जी की महानता थी कि एक कबाड़ी को भद्रलोक मे प्रतिष्ठित कर के राष्ट्रीय कृषक का स्थान दिया। उन्ही भूमिपुत्र नरश्रेष्ठ राबर्ट भद्र का नाम आगे चल के राबर्ट वाड्रा पड़ा।ये तो इस महान गाँधी परिवार सम्बन्ध में केवल तुच्छ सा आंकलन है, ये सभी तो विभिन्न कलाओं में निपुण महान व्यक्तित्वों से भरा हुआ परिवार है, इनको कोटि कोटि नमन है....