26 नवंबर, 2020

विवाह समारोह

 कल देव उठनी एकादशी थी, विवाह एवं अन्य शुभ समारोह आरंभ हो गए... मैं आज तक जितनी शादियों में मैं गया हूँ, उनमें से करीब 90% में दूल्हा- दुल्हन की शक्ल तक नहीं देखी... उनका नाम तक नहीं जानता था... अक्सर तो विवाह समारोहों में जाना और वापस आना भी हो गया पर ख्याल तक नहीं आया और ना ही कभी देखने की कोशिश भी की, कि स्टेज कहाँ सजा है, युगल कहाँ बैठा है... भारत में लगभग हर विवाह में हम 75% फालतू जनता को invitation देते हैं... फालतू जनता वो है जिसे आपके विवाह में कोई रुचि नहीं.. जो आपका केवल नाम जानती है... जो केवल आपके घर की लोकेशन जानती है.. जो केवल आपकी पद- प्रतिष्ठा जानती है.. और जो केवल एक वक्त के स्वादिष्ट और विविधता पूर्ण व्यञ्जनों का स्वाद लेने आती है और गाहे बगाहे आपके लाखों रुपये के इंतजाम पर अपने स्वादानुसार नाक भौं सिकोड़ कर बुराई भी कर जाते हैं.. ये होती है फालतू जनता.. भाई विवाह कोई सत्यनारायण भगवान की कथा या लंगर का प्रसाद नहीं है कि हर आते जाते राह चलते को रोक रोक कर प्रसाद दिया जाए... केवल आपके रिश्तेदारों, कुछ बहुत नज़दीकी मित्रों के अलावा आपके विवाह में किसी को रुचि नहीं होती.. ये ताम झाम, पंडाल झालर, सजावट, सैकड़ों पकवान, आर्केस्ट्रा, DJ, दहेज का मंहगा सामान एक संक्रामक बीमारी का काम करता है.. लोग आते हैं इसे देखते हैं और "मैं भी ऐसा ही इंतजाम करूँगा, बल्कि इससे बेहतर".. और लोग करते हैं... चाहे उनकी चमड़ी बिक जाए.. लोग 75% फालतू की जनता को दिखावा करने में अपने जीवन भर की कमाई लुटा देते हैं.. लोन या उधार ले लेते हैं.. और उधर विवाह में आमंत्रित फालतू जनता, गेस्ट हाउस, पंडाल या बैंक्वेट के गेट से अंदर सीधे भोजन तक पहुंच कर, भोजन उदरस्थ करके, लिफाफा पकड़ा कर निकल लेती है.. आपके लाखों का ताम झाम उनकी आँखों में बस आधे घंटे के लिए पड़ता है, पर आप उसकी किश्तें जीवन भर चुकाते हो... इस कोरोना काल मे केवल 50 आमंत्रित मेहमानों एवं सीमित संसाधनों में ही विवाह प्रक्रिया को पूरा करने की मजबूरी को एक प्रचलन बनाया जा सकता है, कुछ लोग अभी भी इस पर आपत्ति कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए विवाह समारोह मान प्रतिष्ठा एवं लोक लुभावन ज़्यादा है किन्तु इस भ्रामक दिखावे से बचा जा सकता है..इस अपव्यय और दिखावे को रोकना होगा.. विचार अवश्य करिये.....

19 नवंबर, 2020

कोरोना का डर

 दीपावली पर एक उच्च कोटि के अतिथि का आगमन हुआ.. शुभकामनाओं के सिलसिले के बाद भाईसाहब डाइबिटीज की शिकायत के बावजूद चाय के साथ काजू की बर्फी, ड्राई फ्रूट्स एवं पिन्नी पर हाथ साफ कर गए.. बातचीत में बताया कि वो पहले ही 2-3 संबंधियों एवं मित्रगणों के यहां चाय एवं जूस छान कर आ रहे हैं.. चलो खैर थोड़े डर के साथ बीवी की तरफ देखा और कनखियों से मैं सैनिटाइजर को निहारने लगा, तभी जनाब एक छलांग के साथ उठ खड़े हुए जैसे पिन्नी खा कर सारे कार्बोहायड्रेट ने एक साथ ऊर्जा का संचार कर दिया हो और हाथ झाड़ते हुए बोले, "भाई ये कोरोना हाथ से निकल गया है, बाहर मत निकलना.. घर मे ही रहो, माहौल खराब है.. किसी पर विश्वास मत करो, त्योहारों का क्या है बस आप जैसे भाइयों से मिलना हो जाता है, अच्छा चलता हूँ अभी 2-1 घर और होता चलूं"... समझ नही आया कि कोरोना से डर ज़्यादा है या डराने वाले ज़्यादा है...

11 नवंबर, 2020

मीडिया पर हमला या बोलने की आज़ादी का हनन

 अर्नब को बेल क्यों नहीं मिल रही है इसके पीछे का कारण समझिए, जो लोग मोदी जी को जानते हैं और समझते हैं उन लोगों को ही अच्छे से समझना चाहिए कि अगर कुछ ऐसा चल रहा है कि जो अप्रत्याशित है जो हमें समझ नहीं आ रहा है उसके पीछे का खास कारण या मकसद क्या है दरअसल हम लोग ने बहुत जल्दी विचलित हो जाते हैं..अर्नब को कुछ नहीं हुआ है वह एकदम स्वस्थ और सुरक्षित है, इसके लिए हम कभी सरकार, कभी न्यायपालिका को दोष देते है, इमोशनल हैं ना, हम लोग तो LED के ज़माने में भी लालटेन को चुन लेते हैं, चलो अब मैं इसको थोड़ा विस्तार से बताता हूं.. दरअसल मोदी जी की पॉलिसी आप लोग जानते ही हैं वह भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना चाहते हैं अब हम यूं कह सकते हैं कि इसकी शुरुआत उन्होंने पहले राजनीति से की और फिर बॉलीवुड पर आ गए, अब बॉलीवुड को हम लोग काले धन, ड्रग्स, विदेशी फंडिंग का एक बहुत बड़ा केंद्र मानते हैं कहने को यह फिल्मी सितारे को हम आइडल मानते हैं वह दरअसल पर्दे की जिंदगी और असल जिंदगी में बहुत विपरीत है... इस बॉलीवुड को साफ करने के लिए सुशांत सिंह राजपूत एक बहाना बना, अब उसकी आड़ में बॉलीवुड के अंदर इतनी गहराई तक सफाई होगी कि हम लोग आश्चर्यचकित रह जाएंगे, बॉलीवुड की सफाई के बाद अगला नंबर क्रिकेट का आएगा.. क्रिकेट एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हमारे राजनीति से और कॉरपोरेट हाउसेस से जुड़े बहुत बड़े बड़े नाम हैं यूं कहो कि कुछ राजनीतिक मजबूरियां हैं या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक किसी बड़े कॉर्पोरेट पर या बड़े नेता पर हाथ डालना इतना आसान नहीं होगा और अब उसका सच भी अगर सामने लाना है, की कैसे वह ब्लैक को व्हाइट करते हैं, कैसे टीमों को मैनिपुलेट किया जाता है, कैसे खेल के साथ खेला जाता है, अब इसमें सट्टेबाजी भी है पैसा भी है ग्लैमर भी है और क्रिकेट और बॉलीवुड का लिंक भी है.. फिर उसके बाद तीसरा नंबर आता है मीडिया का अब यू कह सकते हैं कि इसकी शुरुआत अर्नब से हुई, पहले टीआरपी के खेल से और अब अर्नब की गिरफ्तारी से.. मीडिया के इस खेल में भी कुछ बहुत बड़े नाम शामिल है अब अगर मोदी जी सीधा उन पर हाथ डालते हैं तो बहुत फजीता वाला काम हो जाएगा, अब उससे बचने के लिए यू कह सकते हैं कि अर्नब जैसे एक राष्ट्रवादी छवि के व्यक्ति को चुना गया, जो आर्मी की बैकग्राउंड से है या फिर जिसको कहने को आज मोदी का समर्थक माना जाता है और वही अगर आज कानून की गिरफ्त में है तो सभी लोग इस की आस लगाए बैठे हैं कि मोदी जी कुछ क्यों नहीं करते.. अमित शाह कुछ क्यों नहीं करते.. भाजपा धरातल पर क्या कर रही है.. तो इसका सीधा सा जवाब है कि अर्नब बिल्कुल सुरक्षित है, उसके साथ कुछ बुरा नहीं हो रहा उसको एक खेल के तहत समझ लो कि उसको पकड़वाया गया है ताकि कल को जब असली भेड़ियों को मीडिया के पकड़ा जाए तो उस उनके समर्थन में जो हमारे लिब्रेंडू और पत्रकारिता के नाम पर कलंक लोग हैं उनकी बोलती बंद हो जाए और वह यह ना कह पाए कि मोदी जी ने बदले की भावना से कुछ किया है क्योंकि बात तो फिर यह यह बन जाएगी ना कि मोदी जी या भाजपा ने अपने राष्ट्रवादी पत्रकार के लिए कुछ नहीं किया तो उनके लिए क्या करेंगे.. इससे उस विपक्ष का, उन पत्रकारिता के दलालों का मुंह बंद हो जाएगा और फिर मीडिया का सफाई अभियान अच्छे से चल पाएगा.. आज मीडिया में कुछ ऐसे रसूखदार लोग बैठे हैं जो यह समझते हैं कि कानून देश प्रशासन और सरकार उनके हाथ में है.. वह सब भी बेनकाब होंगे बॉलीवुड के कुछ बड़े नाम जल्दी सामने आने वाले हैं और उसके बाद क्रिकेट के अंदर हड़कंप मच आएगा और फिर मीडिया अपना मुंह छुपाता घूमेगा.. आज देश को वाकई इस बहुत बड़े सफाई अभियान की जरूरत है.. यह वह दीमक है जो हमारे देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है.. इसके लिए हमें कीटनाशक जड़ों तक डालना पड़ेगा तभी जाकर हम आने वाली अपनी पीढ़ियों को एक स्वच्छ सुंदर और सुरक्षित भारत दे पाएंगे.. इस सब के लिए हमें CAA NRC, धारा 370 इन सब का समर्थन करना होगा तभी हम देश को एक बड़े बदलाव की ओर लेकर जा सकते हैं.. भरोसा तो रखो... सब अच्छा ही होगा.. एक बदलाव की बयार है...बहने तो दो...

03 अक्तूबर, 2020

हाथरस की बलात्कारी राजनीती

 देश मे हर साल औसतन 32000 बलात्कार होते हैं किंतु विडंबना ये है कि केवल इक्का दुक्का ही उनमें से 'निर्भया" बन पाती है, बाकी केवल कागज़ों में दफन होकर रह जाती हैं.. बलात्कारी की घृणित मानसिकता जाति, धर्म, या उम्र नही देखती किन्तु उंस विक्षिप्त तार तार हो चुके शरीर मे कुछ राजनीतिक गिद्ध एवं भेड़िए अपने लिए जाति, धर्म एवं उम्र सबका आंकलन करके उसका सामाजिक, राजनीतिक एवं मानसिक बलात्कार करते हैं, रोज़ करते हैं... 'मेरा दलित तेरे दलित से भी घनघोर दलित है"... ये क्या है ? बलात्कारी हिन्दू है या मुसलमान ? क्यों ? बालिग है या नाबालिग ? कैसे ? क्या है ये सब, अरे बलात्कारी एक विकृत मानसिकता का अपराधी है, बस.. किन्तु हाथरस की घटना दोबारा सोचने पर मजबूर करती है, यहां मानसिकता उस लड़की के परिवार वालो की सोचनीय है, यहां मानसिक बलात्कार हुआ, मीडिया एवं राजनीतिक पार्टी ने सियासी बलात्कार किया, दुर्भावना है, द्वेष है, रंजिश है, वो सब दरकिनार करके परिवार भी उसी का शिकार हो रहा है, बच्ची जान से गयी तो चलो अब गयी तो गयी किन्तु उसके नाम पर दुकानदारी शुरू हो गयी, बोलियां लग रही है, 25 लाख, 50 लाख, पर मीडिया की टीआरपी करोड़ो की है और राजनीतिक नफा नुकसान अरबों का... कुछ दिन ये मंडी लगेगी, फिर सच सामने आएगा.. ये सियासी "प्रोडक्ट" किसके लिए फायदेमंद होगा... "पिपली लाइव" है.. देखते जाओ...


14 सितंबर, 2020

हिंदी दिवस

 हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली एवं सबसे उन्नत भाषा है। हमारे देश की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। सरकारी काम काज हिंदी भाषा में ही होगा । इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी-दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक हैं। संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है। हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दुनिया की सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से एक है। वह सच्चे अर्थों में विश्व भाषा बनने की पूर्ण अधिकारी है। हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नहीं है। हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त देवनागरी लिपि अत्यन्त वैज्ञानिक है। हिन्दी को संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है। लेकिन अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाएं। आज मैकाले की वजह से ही हमने अपने आप को मानसिक गुलामी बना लिया है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता। छोड़िए ना, अंग्रेज़ी हमारी कामवाली है, उसे रहने दो, हिंदी तो हमारी घर की है हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर उसका सर्वाधिक उपयोग करना चाहिए। जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो तो किसी-न-किसीको तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा समाज चल पड़ता है। हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ सम्मान और गौरव दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए। एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है। हमें अपने दैनिक जीवन में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए। राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन बननी चाहिए। आज सारे संसार की आशादृष्टि भारत पर टिकी है । हिन्दी की संस्कृति केवल देशीय नहीं सार्वलौकिक है क्योंकि अनेक राष्ट्र ऐसे हैं जिनकी भाषा हिन्दी के उतनी करीब है जितनी भारत के अनेक राज्यों की भी नहीं है। इसलिए हिन्दी की संस्कृति को विश्व को अपना अंशदान करना है। राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है। इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है। आओ, इसे सुदृढ़ बनाकर राष्ट्ररूपी भवन की सुरक्षा करें। आजादी मिले 70 वर्ष से भी अधिक समय हो गया, बाहरी गुलामी की जंजीर तो छूटी लेकिन भीतरी गुलामी, दिमागी गुलामी अभी तक नहीं गया.. आइये हिंदी को अपनाएं, अनेक स्थानीय बोलियों की जननी को उसका सम्मान दें.. हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...