25 जुलाई, 2018

पेट्रोल पंप का गड़बड़ झाला

कई बार हम लोग परिस्तिथि के हिसाब से समस्या का सही या गलत आंकलन कर लेते हैं, मेरे साथ भी हुआ, अभी 21 तारीख को ही मैंने जनक पुरी डिस्ट्रिक्ट सेण्टर स्थित पेट्रोल पंप से अपनी बाइक में 200 रु का पेट्रोल डलवाया, अब दरसल हीरो हौंडा पैशन है तो इतना ही पीती है, और वहां से निकल पड़ा, कुछ दूर चलते ही वो झटके खाने लगी लगा जैसे उसको हार्ट अटैक हुआ है लेकिन आम आदमी की समस्या है ना की हम अपने दिल पर हाथ रख कर समझा लेते हैं "All is Well" वही मैंने भी सोचा और समझया कुछ नहीं गैस बन रही होगी, आखिरकार उसने मुझे मेरी मंज़िल मेरे घर तक मुझे पहुंचा दिया, मैंने भी उसे छोड़ कर धन्यवाद किया और लगा बारिश का आनंद लेने, अगले दिन बिटिया को लेकर जाना था तो बाइक महारानी का हाल चाल पुछा तो लगा ठीक है, तो लेकर निकल लिए, लेकिन कुछ दूर चलते ही फिर वही दौरा पड़ा और अब हालत नाज़ुक हो चली, फ़ौरन लेकर मेकानिक के पास ICU में भर्ती करवाया, जांच हुई और मेडिकल रिपोर्ट में आया की पेट में पानी भरा हुआ है, चिंता हुई की बाइक महारानी ने तेल की जगह पानी पीना कब से शुरू कर दिया, कोई बात नहीं, इलाज की प्रक्रिया शुरू हुई और थोड़ी ही देर में तकरीबन 1 लीटर पानी बाहर आ गया, और मेरे साथ साथ इनकी जान में जान आ गयी, ICU का बिल चुकाया 780 रु, बड़ा दुःख हुआ और फिर मेकानिक से कारण पुछा तो दंग रह गया, पता चला की पेट्रोल पंप पर कुछ गड़बड़ झाला हुआ है, बस आग बबूला हो गया, और सीधा शिकायत इंडियन आयल और तेल मंत्रालय को कर दी, सौभाग्य मेरा की सुनवाई भी फ़ौरन हुई और कार्यवाही शुरू, अगले ही दिन बुलावा भी आ गया की घटनास्थल यानि पेट्रोल पंप पर पहुंचिए, हम भी फ़ौरनफ़ौरन सेसे पहले बाइक महारनी को लेकर पहुँच गए, अधिकारीयों ने जांच की प्रक्रिया शुरू की और विस्तार पूर्वक मेरी सभी शंकाओं को सुना और जांचा गया, मैं भी अचंभित सा और विस्मय की स्थिति में, कुछ सवाल जवाब करते हुए उस प्रक्रिया का हिस्सा रहा, खैर शिकायत के अनुसार वैसा तो कुछ नहीं निकला किन्तु जानकारी का इजाफा हुआ, और अधिकारीयों और पेट्रोल पंप मालिकों के व्यवहार एवं ग्राहक की संतुष्टि तक की गयी कार्यवाही अतुलनीय थी, पता लगा प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा अब पेट्रोल में मिलाये जाने वाले एथीनोल की मात्रा 10% कर दी गयी है और वो पानी के संपर्क में आने से खुद पानी बन जाता है, ये मेरे लिए शोध का विषय है जो ज़रूर करूँगा, किन्तु सारी बातें ख़त्म होने के बाद जब वहां से विदा ली तो मन में ये शंका खड़ी रही की 10% अगर पानी होता भी है तो मेरी बाइक में तकरीबन सवा लीटर कहाँ से आया ? ये तो निकटवर्ती दुकानों पर मिलने वाला (खुला तेल) फास्टफूड भी नहीं खाती, चलो खैर मैंने भी इसके कान मरोड़े और घर को लौट आये, लौट के बुद्धू घर को आये नहीं कहूंगा क्यूंकि कुछ ज्ञान लेकर ही वापस आया था... खैर 780रु तो लगे मगर कुछ सीख भी लिया....