19 नवंबर, 2018

पंजाब, खालिस्तान और देश की राजनीती

पंजाबी भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य की मांग की शुरुआत पंजाबी सूबा आंदोलन से हुई थी. कह सकते हैं कि ये पहला मौका था जब पंजाब को भाषा के आधार पर अलग दिखाने की कोशिश हुई. अकाली दल का जन्म हुआ और कुछ ही वक्त में इस पार्टी ने बेशुमार लोकप्रियता हासिल कर ली. अलग पंजाब के लिए जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हुए और अंत में 1966 में ये मांग मान ली गई. भाषा के आधार पर पंजाब, हरियाणा और केंद्र शाषित प्रदेश चंडीगढ़ की स्थापना हुई. 'खालिस्तान' के तौर पर स्वायत्त राज्य की मांग ने 1980 के दशक में जोर पकड़ा. धीरे-धीरे ये मांग बढ़ने लगी और इसे खालिस्तान आंदोलन का नाम दिया गया. अकाली दल के कमजोर पड़ने और 'दमदमी टकसाल' के जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ये आंदोलन हिंसक होता गया.जरनैल सिंह भिंडरावाला के बारे में कहा जाता है कि वो सिख धर्म में कट्टरता का समर्थक था. सिखों के शराब पीने, बाल कटाने जैसी चीजों के वो सख्त खिलाफ था. भिंडरावाले ने पूरे पंजाब में अपनी पकड़ बनानी शुरू की और फिर शुरू हुआ अराजकता का दौर.. ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सिख समुदाय के लोग इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्से में थे, कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई सिख नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. खुशवंत सिंह समेत कई लेखकों ने अपने अवॉर्ड वापस कर दिए.. अगले दो सालो में इस ऑपरेशन से जुड़े इंदिरा गांधी, जनरल ए एस वैद, और तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गयी.. अब आते हैं वर्तमान राजनीती और खालिस्तान के सम्बन्ध पर, वर्तमान में खालिस्तान ने अपनी जड़ें कनाडा,ब्रिटैन और जर्मनी मेंं जमाई हुई हैं, आम आदमी पार्टी जिसने पंजाब का चुनाव ही इनके दिए पैसों से लड़ा था इनका खालिस्तान को समर्थन जग जाहिर है, क्या कोई आपिया मेरी किसी बात को झुटला सकता है ? क्या सीसोदिअ के यूरोप ट्रिप के दौरान समीर ने खालिस्तानियों से पैसे का लेन देन नहीं किया था ? 2015 में गुरदासपुर हमला पंजाब चुनाव से पहले खालिस्तान की आपियों को समर्थन देने की शुरुआत थी, अपनी फ़िनलैंड यात्रा के दौरान सीसोदिआ खुद एक खालिस्तानी समर्थक के साथ रहा था, खालिस्तान की कनाडा की राजनीती में अच्छी पकड़ है और यहाँ तक की इनके दो मिनिस्टर तक है, इसीलिए इनके समर्थक कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन तारदेओ का भारत आगमन पर विरोध हुआ था, क्यों पंजाब के ड्रग माफिया, खालिस्तान समर्थक गुट जिनका सीधा सम्बन्ध पाकिस्तान के लश्कर और जैश जैसे संगठनो से है क्यों वो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से चाहते हैं की किसी भी तरह पंजाब में आम आदमी पार्टी का संगठन खड़ा हो जाये, कुछ समय पहले जब आशुतोष अपनी "प्राइवेट" छुटियों पर यूरोप में था तब वो भी वो खालिस्तानियों के संपर्क में था, वो दबिंदर जीत सिंह सिंधु और रेखि से नीदरलैंड में क्यों मिला था? क्या लेन देन हुआ था ? याद है पंजाब चुनाव के समय केज्रीवाल ने खालिस्तानी आतंकी भुल्लर के माफीनामे के लिए राष्ट्रपति तक को पत्र लिखा था, क्यों ? अभी कल अमृतसर में निरंकारी मिशन पर हुए ग्रेनेड के पीछे भी खालिस्तान का ही हाथ है और इसका ध्यान भटकाने के लिए तुरंत आप के विधायक एच एस फुल्का इसका सम्बन्ध सीडी भारतीय सेना और सेना प्रमुख से जोड़ते हैं और पाकिस्तान, आई एस आई, और खालिस्तान को सेना के खिलाफ बोलने का मौका देते हैं, क्या कोई बताएगा की ये फुल्का अगर आम आदमी पॉर्टी से इस्तीफ़ा दे चूका ये है तो केज्रीवाल के साथ दुबई किस लिए गया था ? बहुत परतें खुलनी हैं इन देशद्रोहियों की .....