मुश्किलें कुछ इस कदर ठहर गयी है जिंदगी में जैसे अजिंक्य रहाणे और स्टीव स्मिथ की कल की पार्टनरशिप... खुशियाँ है की रोहित शर्मा का टैलेंट हो गयी, ज़माने बीते पर मिली ही नहीं.. गम चारो तरफ से यूं उमड़ते है जैसे डी विलियर्स की बैटिंग का वैगन व्हील.. तनख्वा आती है द्रविड़ की स्ट्राइक रेट की तरह, जाती है क्रिस गेल की तरह.. दोस्त यार तो गंभीर और धोनी हो गए.. जिनके जाने का न गम रहा, न आने का इंतज़ार.. एक पुरानी मोहब्बत थी गांगुली दादा की कवर ड्राइव सी खूबसूरत, जाते जाते उसका हश्र भी कुछ युवराज के पुल शॉट सा हो गया.. कभी हुआ करते थे हम भी शिखर धवन की मूछ जैसे, आज तबियत ऐसी झुकी है जैसे अज़हरुद्दीन की कमर.. बस जिए जा रहे है रविंद्र जडेजा की स्पिन जैसे, न कोई क्लास, न वैरायटी, न घुमाव.. सीढ़ी सपाट बेफिजूल.. और ऊपर से आकाश चोपड़ा जैसे ये रिश्तेदार जब पूछ लेते है जिंदगी में क्या चल रहा है है तो जी करता है किसी दिन खोल के बोतल पूछ लू की उनके स्टुअर्ट बिन्नी ने क्या उखाड़ लिया.. पर मेरी माँ की बुमराह सी डायलाग डिलीवरी का ख़याल मुझे वैसे ही बेबस कर देता है जैसे आईपीएल में रॉयल चैलेंजर बंगलोर और विराट कोहली.....
23 अप्रैल, 2019
22 अप्रैल, 2019
भगवा आतंकवाद एवं साध्वी प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा ने ठीक कहा या गलत इसका आंकलन आप स्वयं करें, किसी महिला को आतंकवादी का तमगा दे कर पुरुष पुलिस वालों के द्वारा एक कट्टर अपराधी की तरह पीटना, प्रताड़ित करना और गाली गलौच एवं अभद्र भाषा का प्रयोग करना। फिर उस पर अनेक धाराओं में झूठे केस दर्ज करना, 9 साल शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना देना, केवल इसलिए कि वो एक संगठन विशेष राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी हुई थी और एक पार्टी विशेष कांग्रेस को अपनी साख बचाने के लिए एवं हिंदुत्व को नीचा दिखाने के लिए भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़नी थी। अशोक चक्र विजेता शहीद हेमन्त करकरे जो इस केस पर काम कर रहे थे, जिनकी बनाई चार्जशीट पर स्वयं न्यायपालिका ने सवाल उठाया था, जो खुद इस हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी पर काम कर रहे थे, जो खुद इस संबंध में ग्रह मंत्रालय को रिपोर्ट ना करके स्थानीय नेता दिग्विजय सिंह को रिपोर्ट कर रहे थे वो खुद इन षड्यंत्र का शिकार हुए। आश्चर्य की बात ये है कि जो ATS मालेगांव ब्लास्ट की जांच करते हुए गुजरात से होकर मध्य प्रदेश पहुंच गई वो अपनी नाक के नीचे बैठे मुम्बई हमले में गुनहगारों को नही सूंघ पाई, क्योंकि वो ISI ओर भारत मे उनके सहयोगियों के षड्यंत्र का शिकार हो चुके थे, क्योंकि वो पूरी ताकत से भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने में लगे हुए थे, वो तो भला हो अशोक चक्र विजेता शहीद तुकाराम ओम्बले का जिन्होंने अजमल कसाब को ज़िंदा पकड़ा वरना टी ये भगवा आतंकवाद गढ़ा गया था, शहादत ये थी। रही बात मालेगांव ब्लास्ट की तो हमले का सूत्र एक स्कूटर जो साध्वी प्रज्ञा के नाम पर था, किन्तु क्या कोई साजिशकर्ता बम्ब ब्लास्ट में अपने नाम का रेजिस्टर्ड स्कूटर का इस्तेमाल करेगा, कोई मज़ाक है या किसी जासूसी उपन्यास की कहानी, हेमंत करकरे जो अपना डिनर कर रहे थे, शराब भी पी हुई थी अचानक मुम्बई हमले की जानकारी मिली, चल दिये और मारे गए, हो गयी शहादत, ठीक है, किन्तु उस महिला का क्या जिसने 9 साल सब कुछ झेला, वो उस पुलिस वाले को गाली भी ना दे, कोसे भी ना, उसकी व्यक्तिगत क्षति के बारे में सोचो, कोई कश्मीरी उस सेना के जवान को सल्यूट नही करता जिसने उसके आतंकी बेटे को मारा हो, ये उनकी व्यक्तिगत पीड़ा है, साध्वी प्रज्ञा ने तो ये सब झेला है वो तो बोलेगी फिर चाहे वो करकरे हो, दिग्विजय हो या फिर चिदंबरम...
08 अप्रैल, 2019
नेहरू गाँधी परिवार की महानता
देश के महान निशानची श्री मान राहुल गाँधी ने कहा है की मोदी जी एयर स्ट्राइक का श्रेय ले रहे हैं और उन्हें राइफल भी पकड़नी नहीं आती, सही है क्यूंकि गाँधी परिवार के लगभग सभी किसी न किसी कला में पारंगत थे जैसे महान जिमनास्ट राजीव गाँधी के नाम पर खेल रत्न दिया जाता है। महान कैंसर स्पेशलिस्ट राजीव गाँधी के नाम पर अस्पताल हैं। महान बँदूकची राहुल गाँधी ने विशेष शूटिंग कोटा में कॉलेज में प्रवेश पाया था। महान नाविक नोहा ने प्रलय काल मे सृष्टि की रक्षा की। बर्मन दा की धुन पर वे ‘ओ नोहा रे’ की धुन पर नाव खे रहे थे। ‘नोहा रे’ कालांतर में अपभ्रंश होकर ‘नेहरू’ कहलाया। मनुष्य जाति उनकी सदैव ऋणी रहेगी।श्रीमति इंदिरा गाँधी ने बक बक करने वाली अफ़सरशाही की शब्द-सीमा ‘जी’ और ‘यस’ तक निर्धारित की। इंदिरा जी द्वारा स्थापित परंपरा मे आगे ‘जी’ ‘यस’ की परंपरा मे धर्मात्मा जीजस हुए, और उनके उत्तराधिकारियों ने जनेऊ धारण कर के हिंदुत्व का उद्धार किया।राहुल जी के चाचाजी और इंदिरा जी के प्रतापी पुत्र सँजय गाँधी हुए जिन्हें वन्य जीवों से अगाध प्रेम था। अपने जीवन काल मे देश को चिड़ियाघर बनाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किए, जिसके कारण कृतज्ञ राष्ट्र ने अनेकानेक प्राणी अभयारण्यों का नाम सँजय गाँधी प्राणी उद्यान रखा।विवाह के पंद्रह वर्ष बाद सोनिया जी के भारतीय नागरिकता लेने के निर्णय से चक्रवर्ती राजीव जी चौंक गए थे, इसीलिए उनके नाम पर दिल्ली मे राजीव चौक बनाया गया। सँघी लोग अफ़वाह फैलाते हैं कि राजीव जी कनॉट प्लेस पर ट्रैफ़िक हवलदार थे जो पूर्णतया असत्य है। पर्यावरण प्रेमी राजीव जी विशाल वृक्षों से बहुत प्रेम करते थे, और जब भी कोई बड़ा पेड गिरता था तो उनका हृदय आहत हो जाता था इसी कारण कर्नाटक मे उनके नाम पर वन संपदा का नाम रखा गया।सोनिया जी ने जेंडर इक्वालिटी के लिए अभूतपूर्व कार्य किया और प्रथम बार एक महान नदी का लिंग निरपेक्ष नामकरण ‘नर-मादा’ के नाम पर किया जिसके लिए मध्यप्रदेश अनंत काल तक महिषि का आभारी रहेगा। नमन है ।सोनिया जी की महानता थी कि एक कबाड़ी को भद्रलोक मे प्रतिष्ठित कर के राष्ट्रीय कृषक का स्थान दिया। उन्ही भूमिपुत्र नरश्रेष्ठ राबर्ट भद्र का नाम आगे चल के राबर्ट वाड्रा पड़ा।ये तो इस महान गाँधी परिवार सम्बन्ध में केवल तुच्छ सा आंकलन है, ये सभी तो विभिन्न कलाओं में निपुण महान व्यक्तित्वों से भरा हुआ परिवार है, इनको कोटि कोटि नमन है....
03 अप्रैल, 2019
मैं भी चौकीदार हूँ
एक #सिपाही, इस देश का प्रहरी है, इस देश और देशवासियों का रक्षक है, हमारी सीमाओं का #चौकीदार है, एक पुलिस अफसर हमारा और हमारे समाज का प्रहरी, रक्षक एवं चौकीदार है, एक नेता हमारे #संविधान, हमारे देश के कार्य तंत्र के रक्षक है, चौकीदार हैं, और मैं, चौकीदार हूँ अपने घर का, अपने #परिवार का, अपने #समाज का, अपने #धर्म का और अपने #देशका... मैं दो कौड़ी का आदमी नही हूँ, मैं अपनी कीमत जानता हूँ, अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझता हूँ, अपने #स्वाभिमान के साथ जीता हूँ, मैं अपना देश बेचने वालों पर नज़र रखता हूँ, मैं भ्रष्टाचारियों, कालाबाज़ारियों और आपराधिक प्रवर्ति के लोगो पर नज़र रखता हूँ, मैं अपने धर्म, अपने समाज, अपने परिवार के खिलाफ उठने वालों से उनकी रक्षा करता हूँ... मैं सजग हूँ, सक्षम हूँ, मजबूत हूँ, हाँ.. मैं भी चौकीदार हूँ...
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