कश्मीर में हमारे अपने नौ जांबाज़ योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए, दिल दुखता है.. दिल और ज़्यादा दुःखता है जब कुछ लोग इस बलिदान को अन्यथा लेते हैं, अपनी ओछी राजनीति करते हैं, अपनी पत्रकारिता की दुकान चलाते हैं, कुछ तो मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों की पैरवी करते हुए उन्हें गरीब मास्टर का भटका हुआ नौजवान बताते हैं.. करो जी भर के करो... पर इसका जवाब तुम्हारे आकाओं को दिया जाएगा, क्योंकि यदि चार दिन पहले तीनो सेनाध्यक्ष, CDS, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोवाल एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मिलते हैं, विचार विमर्श करते हैं तो वो केवल तीनो सेनाओं द्वारा कोरोना वारियर्स को सम्मान देने के लिए फूल बरसाने, सेना द्वारा बैंड बजाने, नौसेना द्वारा आतिशबाजी करने के लिए ही नही होता, बल्कि इसके पीछे की रणनीति को समझने की ज़रूरत है... वायु सेना ने देशव्यापी फ्लाई पास्ट किया जो कि एक रिहर्सल थी, या फिर यूँ कहूँ की पड़ोसी सूअर से रिश्तों में जमी बर्फ तो नही पिघली किन्तु पहाड़ो की बर्फ पिघलने लगी है, अब लोहा भी गरम होने लगा है, बस सही समय, सही जगह, सही ताकत से सही प्रहार करना है... मार दो हथौड़ा... जय हिंद, जय भारत..