आज World Malaria Day है, मलेरिया एक आपदा से कम नही है, हर साल लाखों लोग आज भी मच्छरों द्वारा मारे जाते हैं, दुनिया भर में इन मच्छरों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं की जड़ हैं.. उन प्रजातियों में एक प्रजाति राजनीतिक मच्छरों की भी है, ये भिनभिनाते भी है और काटते भी हैं, अक्सर इन मच्छरों से लड़ते लड़ते हम अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, बॉलीवुड के एक मशहूर अभिनेता का एक डायलॉग भी है कि "एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है".. इसका संदर्भ आपकी शारीरिक नपुंसकता से नही बल्कि उसको मारने के लिए किए गए आपके प्रयास के पीछे की मानसिक नपुंसकता के लिए है, केवल ताली बजाने, आल आउट या कछुआ अगरबत्ती जलाने से ये मच्छर नही मरता, इन मच्छरों को दरअसल हमने ही अपना खून पिला पिला कर इनकी इम्युनिटी इतनी बढ़ा दी है कि इनको कोई अस्त्र शस्त्र का कोई असर नही होता.. ये अक्सर भिनभिनाते है और मौका देखकर काट भी लेते है, आपको इनसे बचना होता है, शालीनता से, क्योंकि इसके काटने की क्रिया की प्रतिक्रिया में आप अंततः अपने को ही मार बैठते हैं.. ये मच्छर अपने पराए के भेद बिना उसी को अक्सर ज़्यादा काटते हैं जो इन्हें पानी पिलाता है, इन्हें अपने आस पास फलने फूलने का मौका देता है.. अब अगर खून पीना मच्छर का अधिकार है, भिनभिनाना उसकी अभिव्यक्ति की आज़ादी है तो उसको मारना यूँ तो मेरा भी नैतिक अधिकार है किंतु असहिष्णुता का हवाला देकर मुझसे लड़ने वाले बद्दुजीवी गैंग का क्या करूँगा, कहीं ये भी एक्सट्रीम देशद्रोह की श्रेणी में ना जाये, वैसे मच्छरों की भी अपनी मेहत्वकांगषाएँ है, सूक्ष्म जीवनकाल में ऊंची उड़ान के सपने हैं, हमारा क्या है हम तो एक सामान्य नागरिक है जिसको इन मच्छरों ने चूसना है, दरअसल इन पैरासाइट को पलने के लिए हमारे ही सहारे की ज़रूरत है, आम जनता आखिर कब तक सरकारों को उलाहना दे, अपने आस पास सफाई तो हमे ही रखनी है ना, इनको पालन पोसना नही है, नही तो मलेरिया देते देते ये कब डेंगू धारी बन जाते है पता नही चलता, फिर वो एक महामारी बन जाते हैं जिसका निदान शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना ही है... विश्व मलेरिया दिवस है, प्रण करते हैं साफ सफाई का, अपने क्षेत्र को, प्रदेश को, राज्य को और देश को मलेरिया मुक्त करने का...