दिल्ली के स्वयंभू मालिक अरविंद केजरीवाल को समस्या केंद्र सरकार की नीतियों से नही बल्कि केंद्र सरकार से है, क्योंकि वो स्वयं भी जानता है कि नीति निर्माण पूर्णतया संवैधानिक तरीके से ही किया जाता है किंतु उसकी बेचारी मुफ्तखोर पलटन नही जानती और शायद जानना भी नही चाहती.. बेचारे अपने बिजली पानी मे पैसे बचा कर खुश हैं.. इसको अब ऐसे समझो कि ये जनाब जिस NCT_Act संशोधन बिल को लेकर शोर मचा रहे हैं कि हमारी शक्तियां छीन ली, LG को दिल्ली का मालिक बना दिया, वो बिल तो लोकसभा से और राज्यसभा से पास हो जाएगा और इस केजरीवाल को पता है कि ये संसोधन सुप्रीम कोर्ट में भी valid ही रहेगा क्योंकि इसमें संविधान की अवहेलना नही की गई है इसीलिए केजरीवाल परेशान है... अब इसको इस तरह से समझिए... तकनीकी रूप (संवैधानिक) से केंद्र में जो मोदी सरकार है वो राष्ट्रपति की ही सरकार है और उनके नाम से चलती है, इसीलिए तो संसद सत्र से पूर्व राष्ट्रपति जी का भाषण होता है जिसमे वो अपनी सरकार के काम काज के बारे में बताते है.. अब उसी तरह से सभी राज्य सरकार भी उंस प्रदेश के राज्यपाल के नाम से चलती हैं और विधान सभा का सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से ही शुरू होता है.. इसी तरह केन्द्रशशित प्रदेशो में भी यही स्तिथि होती है.. वहां की सरकार उपराज्यपाल की सरकार कही जाती है.. दिल्ली की स्थिति देश की राजधानी भी होने के कारण थोड़ी से भिन्न है.. कुछ दिनों पूर्व सुप्रीमकोर्ट ने NCT एक्ट की धारा 239 AA में दिल्ली सरकार के अधिकार स्पष्ट कर दिए थे पर 239AA स्पष्ट ना होने के कारण उपराज्यपाल के अधिकारों की व्याख्या नही हुई थी जिसकी वजह से संवैधानिक भ्रम बना हुआ था.. जिसके परिणाम स्वरूप जो राज्यो और राज्यपालों के तथा केन्द्रशशित राज्यों में सरकार और उपराज्यपालो के सम्बंध थे वो दिल्ली में गायब हो गए थे.. इसी विसंगति को सरकार ने दूर किया है.. तकनीकी रूप से जैसे और केन्द्रशशित सरकार ,उपराज्यपाल की सरकार होती है अब दिल्ली में भी वो ही व्यवस्था लागू होगी... इसलिए केजरीवाल परेशान है, क्योंकि उसे अब वो सब करना होगा जो हर राज्य की विधानसभा गवर्नर के साथ करती है या उन सभी केन्द्रशासीत प्रदेशो में वहां की विधासभा उपराज्यपाल के साथ करती है... इसीलिए इन भाईसाहब के पेट मे मरोड़ उठ रही है कि अब इनकी मनमर्ज़ी की गुंडागर्दी, लूटखसोट, बंदरबाट और मुफ्तखोरी पर लगाम लगेगी... चमचों गुलाम मत बनो, थोड़ी समझदारी भी रखो...