27 मार्च, 2021

अरविन्द केजरीवाल, दिल्ली का मालिक या दिल्ली का किरायेदार

 अभी कुछ दिन पहले ही मैंने दिल्ली में लागू GNCTD एक्ट के संबंध में लिखा था जिसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उपराज्यपाल की प्रशासनिक शक्तियों की नीतिगत व्याख्या की गई है.. इसका फायदा क्या होगा इसको कुछ ऐसे समझिए कि पहले दिल्ली पुलिस अगर किसी क्रिमिनल , दंगाई या आतंकवादी को गिरफ़्तार करती थी तो chargesheet कोर्ट में दायर करने के लिए दिल्ली सरकार की पर्मिशन अनिवार्य थी , दिल्ली सरकार जानबूझकर बड़े केस में पर्मिशन नहीं देती थी जिस कारण समय पर चार्जशीट दायर न होने के कारण आरोपी को बेल मिल जाता था.. इसका उदाहरण जैसे JNU प्रकरण में हुआ, शाहीन बाग और फिर अभी पिछले साल हुए दिल्ली दंगे में पकड़े गए ज़्यादातर दंगाई के ख़िलाफ़ केजरीवाल सरकार के पर्मिशन न मिलने के कारण पुलीस चार्जशीट दायर नहीं कर पायी है और दंगाई को बेल मिल रही है , आप समझ सकते है केजरीवाल के द्वारा किसी धर्मविशेष को इसमें फ़ायदा पहुँचाया जा रहा है.. GNCTD amendment Bill पास होने के बाद अब केजरीवाल सरकार ऐसा नहीं कर पाएगी, अब दिल्ली पुलिस को गुंडे , आतंकवादी और दंगाई के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर करने के लिए केजरीवाल सरकार से पर्मिशन नहीं लेनी पड़ेगी, इसलिए केजरीवाल जी को मिर्ची लगना स्वाभाविक है... एक और उदाहरण देता हूँ, जैसे ये जनाब काम कम और उसका ढोल ज़्यादा पीटते हैं तो अब यूँ समझो कि केजरीवाल दिल्ली में एक गली में सीवरेज डालने का विज्ञापन युगांडा के अखबारों में नहीं दे सकेगा... ये भाईसाहब अवसरवादिता के कीड़े के शिकार हैं, पहले जब इसने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक खोले थे तो वो सभी इन्होंने अपने क्षेत्रीय नेताओ, पार्षदों या विधायको की प्रॉपर्टी किराए पर लेकर उन्हें ऊंचे किराए दे कर खोले थे, उसी तर्ज पर इसने अब दिल्ली के हर मंडल स्तर पर 3-3 प्राइवेट शराब के ठेके खोलने की अनुमति दी है पर शर्त ये है कि वो दुकान या प्रॉपर्टी भी किसी पार्षद, विधायक या मंत्री की होगी ताकि आने वाले चुनावों में इसका भरपूर फायदा भी उठाया जा सके.. ये अपने वोट बैंक के लिए दिल्ली की महिलाओं को मुफ्तखोरी की लत लगा रहा है, और जब दिल्ली का युवा अब इसके फ्री wifi के झांसे से निकल गया तो उसको शराब की लत लगाना चाहता है, इसने दिल्ली में महिलाओं के लिए भी प्राइवेट पिंक बार खुलवाए हैं.. ये नक्सली सोच का व्यक्ति देश की महिला शक्ति एवं युवाओं की जड़ो में मट्ठा डाल रहा है ताकि अपनी राजनीति की आड़ में विदेशी एजेंडा को चलाता रहे... पर अभी सिर्फ लगाम लगाई है, उसे कसना बाकी है.. जो अपने आप को दिल्ली का मालिक कहता था वो अब दिल्ली का किरायेदार बन कर रह गया...