19 मई, 2018

कर्नाटका का सच

जैसे हमने दिल्ली में देखा था कि आम आदमी पार्टी ने कैसे कांग्रेस को दिन रात कोस कर फाइलों के पुलिंदे दिख कर सत्ता हांसिल की थी और फिर सरकार में आते ही 49 दिन में कांग्रेस के खिलाफ सारे मामलों की फाइलों को गायब कर दिया, उसके बाद दोबारा सरकार बनाई और फिर उसके बाद लोगों को ही चैलेंज किया कि सबूत है तो दो, सबूत होते तो मिलते ... अब यही कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिल कर किया है, कर्नाटका कांग्रेस के लिए कमाई की दुकान है, रामासामी खुद खनन घोटाले में शामिल है और कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद इसको घेरने की तैयारी की थी, इसी तरह सिद्धारंमैया के घोटाले भी किसी से छुपे हुए नही है , अब डील ये है कि जब तक यानी महीने दो महीने में ये सब घोटाले से संबंधित दस्तावेज गायब करो और उसके बाद तो इनका गठबंधन भी इसी मुद्दे पर टूट जाएगा, फिर जब तक येदुरप्पा ओर भाजपा की सत्ता में वापसी होगी तब तक कोई सबूत छोड़ेंगे नही... थोड़ा और भुगतो कर्नाटका वालो तुम्हारी किस्मत में अभी खुशहाली नही है ...
#KarnatakaFloorTest

23 फ़रवरी, 2018

केजरीवाल के गुंडे

हम दिल्ली वालों ने नेता नहीं गुंडे पाल लिए है जो अब खुलेआम मार पिटाई करने और धमकी देने पर उतर आये हैं, सही है, और होना भी चाहिए क्यूंकि हम हैं ही पिटने लायक, मुफ्तखोरी की आदत जो है,पहले केजरीवाल साहब की मौजूदगी में विधायक मुख्य सचिव को पीटते है और अब फिर केजरीवाल की ही मौजूदगी में एक और विधायक नरेश बालयान धमकाते हैं... जो अधिकारी काम न करे उन्हें ठोेको... बद्तम्मीज़ी की हद है, जो पूरी दिल्लीदिल्ली में CCTV लगवाने का दावा करते हैं उसी CM के घर पर 21 CCTV कैमरे हैं. 14 काम कर रहे हैं. इनमें से भी 7 की रिकॉर्डिंग बंद थी, जिनमें रिकॉर्डिंग चालू थी, वो 40 मिनट पीछे थे.... ये सब क्या है? पूरी पार्टी, उसके नेता और आपिये चिल्ला रहे थे की राशन कार्ड को लेकर मीटिंग थी लेकिन अब खुद के चुने हुए सचिव ने सच्चाई बताई तो वो भी मिला हुआ है ? क्या है ये ??? इनका कहना है जो अधिकारी काम ना करेकरे उसकी ठुकाई कर दो तो क्या जो विधायक निकम्मा हो और काम ना करे उसकी क्या आरती उतारें ??

21 फ़रवरी, 2018

दिल्ली का गुंडा केजरीवाल

केजरीवाल साहब खुद कहते हैं की सच्चे व्यक्ति के साथ सारे कायनात की दृश्य और अदृश्य शक्तियां आ जाती हैं, लेकिन दिल्ली में केंद्र सरकार उनके खिलाफ, गवर्नर उनके खिलाफ, पुलिस उनके खिलाफ, कोर्ट उनके खिलाफ, ब्यूरोक्रेट्स उनके खिलाफ, सरकारी कर्मचारी उनके खिलाफ, टीचर उनके खिलाफ, बस कर्मचारी उनके खिलाफ, सफाई कर्मचारी उनके खिलाफ, सीबीआई उनके खिलाफ, जाँच एजेंसी उनके खिलाफ दिल्ली का "आम आदमी" उनके खिलाफ, उनके खुद की पार्टी के नेता उनके खिलाफ, उनके घर वाले उनके खिलाफ, तो इस हिसाब से इस बन्दे से बड़ा नालायक, नाकारा, निकम्मा, झूठा, मक्कार, लुटेरा, अनार्किस्ट कोई दूसरा नहीं है....
क्यूंकि जब सब लोग एक बन्दे के खिलाफ हों तो उसे सोचना चाहिए की गलत दुनिआ नहीं वो खुद है ...
वैसे अब इसके पास कुछ बचा नहीं है.... जा भाई जा, तू भी सुखी और हम भी सुखी ....

11 दिसंबर, 2017

मैक्स हॉस्पिटल का गोरखधंदा

दिल्ली जैसी राजधानी क्षेत्र का एक बेहतरीन और नामचीन हॉस्पिटल अगर इतनी बड़ी लापरवाही करता है तो ज़िम्मेदार कौन है ? वो डॉक्टर, उसका प्रशाशन या फिर पूरा हॉस्पिटल ? आनन फानन में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हॉस्पिटल ला लाइसेंस रद्द करके वाहवाही लूट ली। सरकार इस से बेहतर निर्णय ले सकती थी। अस्पताल का अधिग्रहण शायद बेहतर फैसला होता। मैक्स अस्पताल के जिस किसी भी डॉक्टर ने यह अक्षम्य अपराध किया, उसे बख्सा नहीं जाना चाहिये। मेरा तो मानना है कि ऐसे व्यक्ति को फांसी पर चढ़ा दिया जाना चाहिये। लेकिन सरकार ने क्या किया, मीडिया में नाम चमकाने की कोशिश में एक बड़े अस्पताल को बंद करवा दिया। एक अस्पताल में 500 से ज्यादा लोग काम करते हैं, और 1-2 लोगों की गलती की वजह से सबकी नौकरी चली गई। रही बात उन 'अपराधियों' की, तो उनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई, वो डॉक्टर के तौर पर, एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर किसी और अस्पताल से जुड़ेंगे, और कई और जिंदगियों से खिलवाड़ करेंगे। उनके लाइसेंस कौन रद्द करेगा साहब? इनकी गलती की सजा बाकी सैकड़ों लोगों के परिवारों को क्यों दी जा रही है? रही बात मैसेज देने की, तो जिस ग्रुप का यह अस्पताल है, उसके कई अस्पताल हैं। एक अस्पताल के बंद होने से उन्हें क्या और कितना फर्क पड़ेगा? वैसे भी, शेयर मार्केट में लिस्टेड इन कंपनियों में सरकारी संस्थाओं, बैंकों और आम लोगों का ही पैसा लगा रहता है, तो नुकसान किसका हुआ? इस मामले में 1-2 लोगों की गलती की सजा सैकड़ों परिवारों को दी जा रही है, और अपराधियों को एक और अपराध करने का मौका दिया जा रहा है। जैसे दिल्ली सरकार के मंत्री ने बलात्कार किया तो क्या इनकी पूरी सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए था ? इस से बेहतर होता कि सरकार अस्पताल का टेकओवर करती (जैसे केंद्र सरकार ने कल ही यूनिटेक का टेकओवर किया है), और इसके संसाधनों का इस्तेमाल कर के गरीबों को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराती। 

03 नवंबर, 2017

हिन्दू आतंकवाद की राजनीती

अभिनेता कमल हासन दरअसल अपने राजनितिक जीवन में एक ब्लॉकबस्टर शुरुआत चाहते हैं, दरअसल वो असमंजस में हैं की इसको मसालेदार कैसे बनाया जाये, इसीलिए जब वो कांग्रेस के नेताओं से मिलते हैं तो "GST और नोटबंदी" के खिलाफ बोलते हैं, जब केजरीवाल से मिलते हैं तो "भ्रष्टाचार" के खिलाफ लड़ाई बताते हैं, और अब कम्युनिस्टों से मिले तो उन्हें "हिन्दू आतंकवाद" याद आ गया .... हासन साहब फ़िल्मी किरदार और असल जीवन में फर्क होता है, आप लोगों के लिए एक आइडियल हो, जो आप कहते हो उसका लोगों पर प्रत्यक्ष या परोक्ष असर होता है, तो अपने थोड़े से राजनितिक फायदे के लिए आप देश, जनता और धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ ना करें। तालमेल बैठा कर बयानबाज़ी करें, राजनीती करो किसने रोका है लेकिन घटिया राजनीति मत करो...
आपको हिन्दू आतंकवाद दीखता है तो दुनिया भर में फैले असल आतंकवाद का क्या धर्म है वो भी बताओ, औकात पता चल जाएगी ....