25 मार्च, 2021

दिल्ली का असली मालिक

दिल्ली के स्वयंभू मालिक अरविंद केजरीवाल को समस्या केंद्र सरकार की नीतियों से नही बल्कि केंद्र सरकार से है, क्योंकि वो स्वयं भी जानता है कि नीति निर्माण पूर्णतया संवैधानिक तरीके से ही किया जाता है किंतु उसकी बेचारी मुफ्तखोर पलटन नही जानती और शायद जानना भी नही चाहती.. बेचारे अपने बिजली पानी मे पैसे बचा कर खुश हैं.. इसको अब ऐसे समझो कि ये जनाब जिस NCT_Act संशोधन बिल को लेकर शोर मचा रहे हैं कि हमारी शक्तियां छीन ली, LG को दिल्ली का मालिक बना दिया, वो बिल तो लोकसभा से और राज्यसभा से पास हो जाएगा और इस केजरीवाल को पता है कि ये संसोधन सुप्रीम कोर्ट में भी valid ही रहेगा क्योंकि इसमें संविधान की अवहेलना नही की गई है इसीलिए केजरीवाल परेशान है... अब इसको इस तरह से समझिए... तकनीकी रूप (संवैधानिक) से केंद्र में जो मोदी सरकार है वो राष्ट्रपति की ही सरकार है और उनके नाम से चलती है, इसीलिए तो संसद सत्र से पूर्व राष्ट्रपति जी का भाषण होता है जिसमे वो अपनी सरकार के काम काज के बारे में बताते है.. अब उसी तरह से सभी राज्य सरकार भी उंस प्रदेश के राज्यपाल के नाम से चलती हैं और विधान सभा का सत्र राज्यपाल के अभिभाषण से ही शुरू होता है.. इसी तरह केन्द्रशशित प्रदेशो में भी यही स्तिथि होती है.. वहां की सरकार उपराज्यपाल की सरकार कही जाती है.. दिल्ली की स्थिति देश की राजधानी भी होने के कारण थोड़ी से भिन्न है.. कुछ दिनों पूर्व सुप्रीमकोर्ट ने NCT एक्ट की धारा 239 AA में दिल्ली सरकार के अधिकार स्पष्ट कर दिए थे पर 239AA स्पष्ट ना होने के कारण उपराज्यपाल के अधिकारों की व्याख्या नही हुई थी जिसकी वजह से संवैधानिक भ्रम बना हुआ था.. जिसके परिणाम स्वरूप जो राज्यो और राज्यपालों के तथा केन्द्रशशित राज्यों में सरकार और उपराज्यपालो के सम्बंध थे वो दिल्ली में गायब हो गए थे.. इसी विसंगति को सरकार ने दूर किया है.. तकनीकी रूप से जैसे और केन्द्रशशित सरकार ,उपराज्यपाल की सरकार होती है अब दिल्ली में भी वो ही व्यवस्था लागू होगी... इसलिए केजरीवाल परेशान है, क्योंकि उसे अब वो सब करना होगा जो हर राज्य की विधानसभा गवर्नर के साथ करती है या उन सभी केन्द्रशासीत प्रदेशो में वहां की विधासभा उपराज्यपाल के साथ करती है... इसीलिए इन भाईसाहब के पेट मे मरोड़ उठ रही है कि अब इनकी मनमर्ज़ी की गुंडागर्दी, लूटखसोट, बंदरबाट और मुफ्तखोरी पर लगाम लगेगी... चमचों गुलाम मत बनो, थोड़ी समझदारी भी रखो...

12 मार्च, 2021

बंगाल में खेला होबे

आज सुबह 4-5 वामपंथी मच्छरों ने मेरे पैर पर हमला कर दिया, जिससे मेरे पैर में गंभीर सूजन आ गई है और मेरे सीने में भी दर्द हो गया है,अब मुझे भी पैर में टूटी हुई हड्डियों के माहिर सलीम पहलवान से पैर पर प्लास्टर चढ़वाना पड़ेगा तभी क्षेत्र के लोगों को मुझ से सहानुभूति होगी. ये विपक्ष की साजिश है क्योंकि मैं अपने मोहल्ले के RWA का चुनाव जीत रहा हूँ और विपक्ष मुझे मिलने वाले समर्थन से बौखला गया है.. इसीलिए ये उन्होंने मेरे खिलाफ साजिश की है.. . मेरी सुरक्षा में लगे आल आउट और काला हिट भी चुनाव आयोग ने बदल दिये.. मैं इसकी मलेरिया विभाग में शिकायत करूंगा... ई ना चोलबे...

09 मार्च, 2021

सोशल मीडिया की खेती

मैं भी सोशल मीडिया का किसान ही तो हूँ, मैं भी सारा दिन हल चलाता हूँ, अलग अलग विषयो पर सृजन के बीज बोता हूँ, सींचता हूँ... अपनी अभिव्यक्ति की, विचारों की फसल बोता हूँ.. मौका मिलते ही विपक्षियों की राष्ट्रवाद में घुन लगाने वाली फसलों में मट्ठा भी डाल आता हूँ.. लोग आते हैं मेरे विचारों की फसल देखने.. कोई ठेंगा दिखा जाता है, कोई मुस्कुरा के चला जाता है.. कोई कोई प्रेम भी बरसाता है.. पर कुछ विशिष्ट प्रजाति के प्राणी भी हैं जो नाक भों सिकोड़ कर जाते है, कुछ लोग बातें भी करते हैं, अपने विचार साझा करते हैं.. अच्छा लगता है.. मज़े की बात तो ये है कि मुझे मेरी फसल का MSP भी नही चाहिए, मैं इसके लिए लालकिले पर चढ़ाई नही करता, ना सड़क पर धरना देता हूँ..कभी कभी तो फसल चोरी भी हो जाती है, पर मैं अपनी फसल राजनीति की मंडियों में नही बेचता.. मैं विचारों की फसल बोता हूँ, सच कहता हूँ, कड़वा कसैला भी होता है, कुछ जानवर मुँह मारते हैं पर थूक कर चले जाते हैं.. मेरी फसल दरअसल बिकाऊ नही है.. मैं यूँ ही बांट देता हूँ.. जिसे चाहिए, जैसी चाहिए.. ले जाये..

20 फ़रवरी, 2021

पेट्रोल की राजनीती

 पेट्रोल की कीमतों को लेकर हमेशा से हो हल्ला मचता रहा है, चाहे सरकार किसी की भी रही हो किन्तु विपक्ष ने हमेशा इसकी बढ़ती कीमतों को मुद्दा बनाया है, और ये होना भी चाहिए क्योंकि इनकी कीमत बढ़ने का असर देश की अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों रूप से पड़ता है.. इसी समस्या का हल करने के लिए केंद्र सरकार ने इसको GST के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव रखा था जो विपक्ष द्वारा समर्थन नही किया गया, जैसा कि आप जानते ही हैं कि बिना विपक्ष या राज्य सरकारों की सहमति के ये संभव नही है.. अब इसको लेकर राज्य सरकारों की भी अपनी मजबूरियां हैं क्योंकि राजस्व का सबसे बड़ा हिस्सा उन्हें पेट्रोल, शराब एवं रेवेनुए डिपार्टमेंट से ही मिलता है जिसके दम पर ही वो अपने अपने राज्य में कोई तो विकास कार्यो पर खर्च करता है तो कोई मुफ्तखोरी के नाम पर सब्सिडी में देकर वाहवाही लूटता है और अपनी पीठ थपथपाता है.. अब वैसे वर्तमान परिस्तिथि में भी राज्य सरकार चाहे तो इस पर अपने हिस्से का वैट कम कर सकती है किंतु फिर अपने पोस्टर लगाने का खर्च कम हो जाएगा, इसका उदाहरण देकर समझाता हूँ.. जैसे..

पेट्रोल की कीमत 30.50 रु
केंद्र सरकार टैक्स 16.50 रु
राज्य सरकार टैक्स 38.50रु
डिस्ट्रीब्यूटर शेयर 06.50रु
टोटल हुआ 92.00 रु
अब मज़े की बात तो ये है कि केंद्र सरकार के इस हिस्से से भी राज्य सरकार को पैसा मिलता है.. तो अब केंद्र सरकार को रोने की बजाए या तो अपने जन प्रतिनिधि को पकड़ो और राज्य सरकार के हिस्से का टैक्स कम करने का दबाव बनाओ अथवा पेट्रोल को GST में लाने की सहमति बनवाओ.. ये किंचित तभी होगा जब इस सबके बदले मिलने वाली सब्सिडी भी छोड़ने को तैयार हो क्योंकि पेट्रोल तो 30 रु लीटर ही है बाकी के पैसे तो "सुब्सिडीजीवी" और उनके पालनहारो की जेब मे ही जा रहा है.. फैसला आपका.. क्योंकि सोच है आपकी.. अब वैसे भी पेट्रोल की कीमत बढ़ने पर हो हल्ला ज़्यादा वो ही मचाते हैं जिन्हें गाड़ी भी दहेज में मिली होती है... मचाओ.. इतना तो हक है आपका..

13 फ़रवरी, 2021

अंतराष्ट्रीय रेडियो दिवस

 विश्व मे मनोरंजन व संचार का सबसे पुराना माध्यम 'रेडियो' जन-जन तक अपनी बात पहुँचाने का सरल और किफायती माध्यम है। भले ही रेडियो एक शताब्दी पुराना हो लेकिन आज भी यह सामाजिक संपर्क का एक अहम स्रोत है। रेडियो ने संगीत और आपसी जुड़ाव के साथ-साथ हमें जागरुक करने का कार्य भी किया है, रेडियो के श्रोता व वो लोगो को जो रेडियो को मनोरंजक एवं उपयोगी बनाए रखने के लिए निरंतर नवाचार करते रहते हैं उनके प्रयास को प्रणाम करता हूँ, ये आज भी मेरी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है, सुबह की मॉर्निंग वॉक के साथ कभी कुछ पुराने नगमे और फिर RJ नावेद का मिर्ची मुर्गा ओर उंस पर पंजाबी तड़का.. लाजवाब है.. रौनक के बउवा का अलग ही टशन है.. जनसंचार के इस क्षेत्र से संबद्ध कलाकारों, तकनीशियनों तथा सुधी श्रोताओं सहित सभी हितधारकों को बधाई देता हूँ.. भारत जैसे सांस्कृतिक और भाषाई विविधता वाले देश में राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है... विश्व रेडियो दिवस पर सभी श्रोताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं... 

#WorldRadioDay #विश्व_रेडियो_दिवस 

RJ Naved RJ Praveen Sayema RJ Raunac