लोकतंत्र और भीड़तंत्र, ज़्यादा फर्क नही है, बस भीड़तंत्र की पहचान नही है, और अक्सर होती भी नही है, भीड़ किसी भी रूप में हो सकती है, संगठित भी और छितरी हुई भी, और जैसे हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है वैसे ही भीड़तंत्र है, बिना सत्य को जाने-पहचाने या विवेचना के ये तुरंत प्रतिक्रिया करती है, सभ्य भाषा मे इसे #MobLynching कहा जाता है, सदियों से ये होती रही है, कभी संगठित और कभी देखा देखी, ज़्यादा पुराने इतिहास में नही जाऊँगा, आज़ादी के बाद से ही ले लो, महात्मा गाँधी की हत्या की प्रतिक्रिया में ही सैकड़ों लोगों को कत्ल कर दिया गया, कश्मीर से पंडितों को मार कर निकाला गया, हत्याएं हुई, बलात्कार हुए, और संगठित भीड़तंत्र के द्वारा हुए, इंदिरा की हत्या के बाद हज़ारों सिखों का संगठित भीड़ तंत्र के द्वारा कत्ले आम हुआ, फिर वैसे ही गुजरात मे गोधरा की प्रतिक्रिया के स्वरूप दंगे हुए, लगभग हर माह देश के किसी ना किसी हिस्से में संगठित भीड़तंत्र द्वारा आगजनी, लूटपाट, हत्याएं जैसे जघन्य अपराध होते हैं जिन्हें हम आंदोलन का नाम देकर सभ्यता के दायरे में लाने का प्रयत्न करते हैं, आखिर क्यों हम और हमारी सरकारें इतनी चयनात्मक तरीके से भीड़तंत्र का विश्लेषण करते हैं ? क्यों हम जाति, धर्म, राजनीतिक मेहत्वाकांगशा, पार्टी पॉलिटिक्स, गाय, अंतरजातीय विवाह, बच्चाचोरी, अंधविश्वास और झूटी खबरों के नाम पर की जाने वाली हत्याओं को लेकर चयनित बयानबाज़ी, मीडिया कवरेज, या राजनीतिक मुद्दा बनाते रहेंगे, क्यों नही कानून और अदालतों को इस पर सख्ती से कदम उठाने चाहिए, क्यों सरकारों का लचर रवैया हमे उग्र होने या सोचने पर मजबूर करता है कि सरकार कहीं ना कहीं इसके लिए दोषी होने के दायरे में आती है, फिर क्यों हम किसी राज्य विशेष या सरकार विशेष के विषय मे चयनात्मक प्रतिक्रिया देते हैं, कानून का डर और सम्मान दोनो समान रूप से सभी के लिए ज़रूरी है, फिर वो चाहे कोई नेता हो, अभिनेता हो, आम नागरिक या फिर कोई भीड़तंत्र का हिस्सा...
24 जुलाई, 2018
18 जुलाई, 2018
अग्निवेश का आडम्बर
आजकल देश में एक अलग परंपरा चल निकली है,राजनितिक द्वेष के चलते धर्म का आडम्बर ओढ़ कर किसी भी दुसरे धर्म को या यूँ भी कहें की उसी धर्म को बदनाम करने की साजिश की जा रही है, मैं हमेशा से कहता रहा हूँ की कोई भी धर्म इतना छोटा नहीं होता की वो किसी ऐसे लोगों की गिरी हुई हरकतों से हीन हो जाये, चाहे वो मिशनरीज़ में होने वाले कुकर्म हों या चर्च में होने वाले बलात्कार, चाहे वो मदरसों में होने वाला यौन शोषण हो या किसी बाबा की गुफा में होने वाला चमत्कार, ये व्यक्तिगत अपराध है और अपराधी को सजा मिलनी चाहिए। किन्तु कुछ स्वयंभू आचार्य प्रमोद किशन या स्वामी अग्निवेश जैसे लोग भी हैं जो धर्म का लबादा ओढ़ कर अपनी राजनितिक महत्वकांगशा के लिए धर्म को गाली देना, देशद्रोहियों का समर्थन करना, और अनर्गल राजनितिक बयानबाज़ी करके अपने ओछे होने का उदाहरण देते हैं, लोगों की धार्मिक भावनाओं को ढेस पहुंचाते हैं तो लोगों को गुस्सा होना भी जायज़ है, और मैं तो कहता हूँ ऐसे लोगों का भांडाफोड़ होना चाहिए और लगे हाथों पिटाई भी ताकि उनके "अहम् ब्रह्म अस्मि" वाला अहंकार की चूर चूर हो जाए.....
27 जून, 2018
मेरा भारत महान
आप देश की 130 करोड़ आबादी का हिस्सा हैं, अगर पूछा जाए कि कभी किसी भी सर्वे में हिस्सा लिया है तो लगभग 99% लोग कहेंगे कि नही, तो फिर ये चुनावो के पूर्वानुमान, सर्वश्रेष्ठ नेता, सुरक्षा या असुरक्षा पर डेटा कहाँ से लिया जाता है ? अभी थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन ने भी 130 करोड़ लोगों में से लगभग 500 लोगो का एक सर्वे किया और उसके मुताबिक भारत दुनिया मे महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित है, हो सकता है इन 500 महिलाओं में सोनिया गांधी,प्रियंका चतुर्वेदी, किरण राव, अरुंधति राय, वृंदा करात, रंजना कुमारी सरीखी महिलायें हो, दरअसल मोदी जे के NGO को होने वाली विदेशी फंडिंग बंद करने के कारण अब इनकी दुकान बंद होने के कगार पर हैं, इसलिए अचानक कुछ ऐसी संस्थायें जो इन NGO से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी होती है वो एक अस्थिरता का माहौल बनाने के लिए सक्रिय हो जाती हैं, आज अमेरिका की UN में एम्बेसडर निक्की हेली भी भारत आ रही हैं और उनके एजेंडा में भी कुछ NGO से मिलना शामिल है, दरअसल आने वाला समय देश के लिए बहुत बड़े पैमाने पर भ्रम फैलाने वाला है, अस्थिरता का माहौल बनाया जा रहा है कि आने वाले चुनावों में देश मे बनी विपरीत परिस्तिथियों के अनुसार माहौल बनाया जा सके, भारत में महिलाएं असुरक्षित, दलित असुरक्षित, अल्पसंख्यक असुरक्षित, कश्मीरी असुरक्षित, असल में सबसे ज़्यादा असुरक्षित देश के कुछ तथाकथित पत्रकार है, बावजूद इसके इन "सच्चे" पत्रकारों ने विदेशों में छपी हर भारत विरोधी एजेंडा वाली रिपोर्ट को सच साबित करने में जान की बाज़ी लगा रखी है, विवेक से काम लीजिए और सोचिए कि हम सोशल मीडिया में फैलने वाली सभी अच्छी बुरी बातों को बिना जांचे परखे उनका अंधानुकरण करते है जो हमारे भविष्य के लिए घातक है...
19 मई, 2018
कर्नाटका का सच
जैसे हमने दिल्ली में देखा था कि आम आदमी पार्टी ने कैसे कांग्रेस को दिन रात कोस कर फाइलों के पुलिंदे दिख कर सत्ता हांसिल की थी और फिर सरकार में आते ही 49 दिन में कांग्रेस के खिलाफ सारे मामलों की फाइलों को गायब कर दिया, उसके बाद दोबारा सरकार बनाई और फिर उसके बाद लोगों को ही चैलेंज किया कि सबूत है तो दो, सबूत होते तो मिलते ... अब यही कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिल कर किया है, कर्नाटका कांग्रेस के लिए कमाई की दुकान है, रामासामी खुद खनन घोटाले में शामिल है और कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद इसको घेरने की तैयारी की थी, इसी तरह सिद्धारंमैया के घोटाले भी किसी से छुपे हुए नही है , अब डील ये है कि जब तक यानी महीने दो महीने में ये सब घोटाले से संबंधित दस्तावेज गायब करो और उसके बाद तो इनका गठबंधन भी इसी मुद्दे पर टूट जाएगा, फिर जब तक येदुरप्पा ओर भाजपा की सत्ता में वापसी होगी तब तक कोई सबूत छोड़ेंगे नही... थोड़ा और भुगतो कर्नाटका वालो तुम्हारी किस्मत में अभी खुशहाली नही है ...
#KarnatakaFloorTest
#KarnatakaFloorTest
23 फ़रवरी, 2018
केजरीवाल के गुंडे
हम दिल्ली वालों ने नेता नहीं गुंडे पाल लिए है जो अब खुलेआम मार पिटाई करने और धमकी देने पर उतर आये हैं, सही है, और होना भी चाहिए क्यूंकि हम हैं ही पिटने लायक, मुफ्तखोरी की आदत जो है,पहले केजरीवाल साहब की मौजूदगी में विधायक मुख्य सचिव को पीटते है और अब फिर केजरीवाल की ही मौजूदगी में एक और विधायक नरेश बालयान धमकाते हैं... जो अधिकारी काम न करे उन्हें ठोेको... बद्तम्मीज़ी की हद है, जो पूरी दिल्लीदिल्ली में CCTV लगवाने का दावा करते हैं उसी CM के घर पर 21 CCTV कैमरे हैं. 14 काम कर रहे हैं. इनमें से भी 7 की रिकॉर्डिंग बंद थी, जिनमें रिकॉर्डिंग चालू थी, वो 40 मिनट पीछे थे.... ये सब क्या है? पूरी पार्टी, उसके नेता और आपिये चिल्ला रहे थे की राशन कार्ड को लेकर मीटिंग थी लेकिन अब खुद के चुने हुए सचिव ने सच्चाई बताई तो वो भी मिला हुआ है ? क्या है ये ??? इनका कहना है जो अधिकारी काम ना करेकरे उसकी ठुकाई कर दो तो क्या जो विधायक निकम्मा हो और काम ना करे उसकी क्या आरती उतारें ??
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