13 फ़रवरी, 2021

अंतराष्ट्रीय रेडियो दिवस

 विश्व मे मनोरंजन व संचार का सबसे पुराना माध्यम 'रेडियो' जन-जन तक अपनी बात पहुँचाने का सरल और किफायती माध्यम है। भले ही रेडियो एक शताब्दी पुराना हो लेकिन आज भी यह सामाजिक संपर्क का एक अहम स्रोत है। रेडियो ने संगीत और आपसी जुड़ाव के साथ-साथ हमें जागरुक करने का कार्य भी किया है, रेडियो के श्रोता व वो लोगो को जो रेडियो को मनोरंजक एवं उपयोगी बनाए रखने के लिए निरंतर नवाचार करते रहते हैं उनके प्रयास को प्रणाम करता हूँ, ये आज भी मेरी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है, सुबह की मॉर्निंग वॉक के साथ कभी कुछ पुराने नगमे और फिर RJ नावेद का मिर्ची मुर्गा ओर उंस पर पंजाबी तड़का.. लाजवाब है.. रौनक के बउवा का अलग ही टशन है.. जनसंचार के इस क्षेत्र से संबद्ध कलाकारों, तकनीशियनों तथा सुधी श्रोताओं सहित सभी हितधारकों को बधाई देता हूँ.. भारत जैसे सांस्कृतिक और भाषाई विविधता वाले देश में राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है... विश्व रेडियो दिवस पर सभी श्रोताओं को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं... 

#WorldRadioDay #विश्व_रेडियो_दिवस 

RJ Naved RJ Praveen Sayema RJ Raunac

13 जनवरी, 2021

किसान आंदोलन और नरेंद्र मोदी

 एक पुराने चिरपरिचित सज्जन जो कभी कट्टर कांग्रेसी हुआ करते थे और अब रजिस्टर्ड आपिये हैं मिले तो पूछ बैठे ये मोदी इस किसान आंदोलन से खत्म हो जाएगा, उसको बोलो है हिम्मत तो किसानों को हाथ लगा के दिखाए, मैंने कहा कुछ समय पहले तुमने यही सवाल सोनिया गांधी और राहुल के संदर्भ में भी पूछा था, सवाल वही है तो भाई जवाब भी वही है कि जो सड़ सड़ के खत्म होने वाला हो उसको लाठी से खत्म करके बदनामी क्यों लें.. मतलब किसानों के नाम पे नेतागिरी चमकाने वाले लोग लगभग तीन महिने से जनजीवन को अस्त व्यस्त किये हुए हैं, इसमें से सिर्फ एक महिना दिल्ली बॉर्डर पे हुआ है इसके पहले ये ही लोग पंजाब के रेल्वे मार्गों पे धरना दे के दो महिने से जाम किये हुए थे, आंदोलन में कोई जनता की भावना की कोई बात होती है तो वो अपने आप जंगल की आग की तरह फैलता है, ऐसा कुछ नहीं हो रहा है, जितने लोग जोश से जुड़े थे पंजाब से उनको भी रोकना मुश्किल हो रहा है और वो खुद ही वापस जाने लगे हैं, दूसरे राज्यों में आग फैल नहीं रही है बल्कि उसको उकसा के फैलाने की कोशिश की जा रही है इस 130 करोड़ लोगों के देश को जाम करने के लिये 1% मतलब डेढ़ करोड़ लोगों की भी जरूरत नहीं है उस 1% का सौवां हिस्सा मतलब डेढ़ लाख लोग भी काफी है, शर्तिया कह सकता हूं की पूरे हिन्दुस्तान के सब तथाकथित किसान आंदोलनकारियों की गणना कर लो तो भी डेढ़ लाख नहीं होंगे, इसका मतलब 10000 लोगों में से अगर एक आदमी चाहे तो 9999 लोगों को उनकी मर्जी के खिलाफ भी रोक सकता है और ये ही कमजोरी है हमारे लोकतंत्र में, क्योंकि Violent minority overpowers silent majority... यहाँ हिंसक अल्पसंख्यक मूक बहुमत को मात देते हैं, क्या तरीका है एक पूर्ण बहुमत चुनी हुई सरकार के पास जिसको 20 करोड़ से ज्यादा वोट मिलें हों.. जो एक के बाद एक चुनाव जीत के अपनी लोकप्रियता साबित किये जा रही हो उसके पास इस तरह के आंदोलन से निपटने का एक तरीका लाठी का है.. बॉर्डर खाली कराना कोई इतना बड़ा काम नहीं है, 24 घंटे के अंदर सब साफ हो सकता है.. मुश्किल ये है की इस तरीके का फायदा आज होगा लेकिन उस जोर जबरदस्ती के फोटो दशकों तक दिखाये जाएंगे किसानों को भड़काने के लिये, लोग भूल जाएंगे की सिर्फ कुछ हज़ार किसान या अड़ियल धरने बाज लोगों को सरकार ने हटाया ताकि करोड़ों लोगों को होने वाली असुविधा से बचाया जा सके.. पर क्या सरकार का ये तरीका सही है? सही गलत तय करने के कई पैमाने होते हैं.. पर मोदी का ये ही तरीका है की सड़ा सड़ा के मारो ताकि वो खत्म भी हो जाये और कोई उसको याद भी ना रखे.. उसने शाहीन बाग के साथ ये ही किया था, याद है भाजपा के जो नेता बागी हो के अनर्गल बोलना चालू करते हैं उसके साथ भी भाजपा ये ही करती है.. शत्रुघ्न सिन्हा उसका अच्छा नमूना है.. बजाय पार्टी छोड़ने के उसने एक दो साल बकवास पार्टी के अंदर रह के चालू रखी, किसी ने ना उसको निकाला ना कुछ किया, थक के वो कॉंग्रेस, आरजेडी, समाजवादी सब पार्टियों मे भटका और आज राजनैतिक रूप से सड़ के खत्म हो गया.. खुद भी हारा, पत्नी भी हारी और बेटा एमएलए का चुनाव तक हार गया, अब उसको कोई नहीं पूछता है उसका भोंकना रिरियाना में और अब सब बिल्कुल बंद हो गया है.. ऐसा ही अरुण शोरी के साथ किया और ये ही जसवंत सिंह के साथ किया.. और तो और मोदी पाकिस्तान के साथ भी यही कर रहा है.. बजाय कोई सीधी कारवाई करने के जब तक की पाकिस्तान कोई गलत हरकत ना करे उसको अंतर्राष्ट्रीय रूप से सड़ा रहा है.. पाकिस्तानी चैनल देखो तो पता लगेगा रोज का ये ही रोना है की भारत ने हमसे हमारे दोस्त छीन लिये, OIC उनकी सुनता नहीं है सऊदी अरब, UAE ने पाकिस्तानियों का घुसना बंद सा कर दिया है, अरबों डॉलर अब अरब से नहीं आयेंगे, कर्जा मिलना अब नहीं मिल रहा है,भारत के आर्मी प्रमुख का सऊदी दौरा तो जैसे जले पे नमक छिड़कने का काम था, पता लग गया आगे आगे क्या होने वाला है, पाकिस्तान को सड़ा सड़ा के खत्म किया जाएगा... भारत जबरदस्त रूप से हथियार खरीदेगा और बनायेगा जिसको मैच करने के लिये दिवालिए पाकिस्तान को बर्बादी की कगार पे जाना पड़ेगा या चुपचाप बैठना पड़ेगा.. देश बहुत बड़ा है तो कहीं ना कहीं तो कोई ना कोई आंदोलन चलता रहेगा.. और फिर विपक्ष झुंझलाहट में खुद ही नंगा हो जाएगा, जो इस आंदोलन की आड़ में खालिस्तान और चीन की नाजायज़ औलाद कम्युनिस्टों का एजेंडा है वो ख़ुद देश के सामने होगा, ना सरकार की गति रुकेगी ना सरकार विचलित होगी.. और जहां भाजपा की सरकार है वहां ठुकाई कुटाई और दिल्ली में आप पार्टी के सरकार का आनंद वहां की जनता को तो मिलना ही चाहिए.. अभी हाल ही में जीएसटी का रिकॉर्ड आंकड़ा आया है 1,15,000 करोड़ का जो पिछले दिसम्बर, जब सब कुछ सामान्य था उससे 12% ज्यादा है.. और ये तो हालात तब है जबकि टूरीज्म, जेम, ज्वेलरी, होटल, एन्टरटेनमेन्ट, शादी, हवाई यात्रा, रेलवे आदि कई सेक्टर ऐसे हैं जिनपे अभी भी रोक लगी हुई है.. वो रोक हटने पे 10-20% और उछाल आएगा.. साफ साफ दिखता है की भारत प्रगति के रास्ते पे निर्बाध रूप से आगे बढ़ रहा है तो फिर क्यों जो सड़ सड़ के खत्म होने वाला है उसको लाठी मार के खत्म करने की बदनामी मोल लें... भाई साहब सिर खुजाते हुए झुंझला कर निकाल लिए.. बेचारे चमचों को क्या क्या सहना पड़ता है...

08 जनवरी, 2021

भाजपा की वैक्सीन

 मैंने अक्सर अपनी बातचीत में और लेख में अनेकों बार आपको बताया कि दुनिया भर के देश केवल ओर केवल व्यापार और पैसे के लिए एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, कोई किसी का सैद्धांतिक दोस्त या दुश्मन नही है,वैश्विक तीन मौलिक व्यवसाय हैं.. हथियार, फार्मा सेक्टर और तेल.. आज हम जो देखते हैं वह फार्मा युद्ध है.. भारत बायोटेक पर हमला इसी की कड़ी है, यह दूसरों की तुलना में और अधिक सस्ती कीमत पर बेहतर समाधान दे रही है। इसके कारण 187 देशों ने बुकिंग के लिए लाइन लगा दी है, दूसरा मुख्य बिंदु है कि यूपीए के समय में, भारत ने चीन को दवा बनाने की अपनी क्षमता बेच दी थी, हम चीन से 95% जीवन रक्षक दवाओं के आयात का उपयोग करते थे, मोदी सरकार के बाद, यह उलट है.. यदि भारत बायोटेक वैक्सीन सफल है और दुनिया के हर कोने में पहुँचती है, तो पूरी चीनी फार्मा योजना बर्बाद होकर जमीन पर गिर जाएगी इसलिए हो सकता है देश मे बैठे उनके सूत्रधार आने वाले दिनों में कुछ मुद्दों को इससे जोड़ कर देखें जैसे टीकाकरण के बाद एक आदमी की मौत हो गई, या फिर किसी पुरुष के शुक्राणुओं में कमी आ गयी या फिर किसी महिला का गर्भपात हो गया, तो अपना खुद का दिमाग़ लगाइये, आमतौर पर किसी भी दवाई को बनने की पूरी प्रक्रिया कुछ साल ले लेती है, उसके पीछे गहन परीक्षण एवं अनुसंधान होते है, यहाँ वो सब सीमित समय मे किया गया है.. दुनिया में कुल 190 से अधिक देश हैं.. कुल 50 के लगभग विकसित देश हैं.. करीब 20 देश अति विकसित श्रेणी में हैं.. उनमें भी 7 देश अति-अति विकसित है.. भारत एक विकासशील देश हैं.. अब ये सोचो कि कोरोना वैक्सीन मात्र 5 देशों ने बनाई उनमें से एक हमारा देश हैं.. अर्थात हमनें विकासशील देश होकर भी अति-अति विकसित देशों को पछाड़ दिया.. वह भी कोई साधारण वैक्सीन निर्माण में नही बल्कि सदी की सबसे बड़ी महामारी के वैक्सीन निर्माण में.. सभी 5 देशों की वैक्सीन में भारत की वेक्सीन सबसे अधिक प्रभावी बतायी जा रही हैं क्योंकि ये कोविड के नये स्ट्रेन पर भी कार्य करेगी.. ब्रिटेन जैसे अति-अति विकसित देश जहाँ नया स्ट्रेन हाहाकार मचा रहा हैं, वह भी भारत की वैक्सीन का बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहा हैं। कुल 32 छोटे-बड़े देश भारत को वैक्सीन के लिए प्री ऑर्डर का प्रस्ताव रख चुके हैं। पर कुछ लोगो को हर चीज़ में विदेशी सर्टिफिकेट चाहिए होता है, यदि वैक्सीन विदेशी होगी तो अच्छी है, कोई वैक्सीन में धर्म ढूंढ रहा है तो कोई राजनीतिक पार्टी, कोई सूअर की चर्बी तो कोई गाय का खून, अबे छोड़ो दकियानूसी बकवास, अब पूरी दुनिया में भारत और हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धि के नाम का डंका बज रहा है.. दुनिया भारत की और आशा भरी नजरों से टक-टकी लगाए देख रही हैं... गर्व करना सीखिए अपने देश पर.. अपने देश के नेतृत्व पर...अपने वैज्ञानिकों पर..

11 दिसंबर, 2020

किसान आंदोलन या षड्यंत्र

 एक बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है, किसान आंदोलन से विपक्षी यानी सोनिया / केजरीवाल / और बाकी के ठगबंधन क्या चाहते हैं ? इसका उत्तर है कि सरकार को इतना दबाव बनाओ की वो सिर्फ एक गोली से एक सिख को मार दें... क्योंकि 2024 के चुनावों के लिए कांग्रेस के नियंत्रण से पंजाब फिसल रहा है, महाराष्ट्र तो पहले से ही विदूषक को रखने के बाद खो गया है.. वे एक उलटफेर चाहते हैं और यह केवल भारी भावनाओं के साथ आ सकता है.. वे सभी चाहते हैं कि सिख भाजपा के खिलाफ जाएं और इसे दूसरा सिख नरसंहार कहें.. याद रखिए खालिस्तानियों ने पहले ही 1984 के दंगों और सिख हत्याओं के लिए भाजपा, आरएसएस को दोषी ठहराया था.. खालिस्तानियों के पोस्टर देखलो, कि अगर कोई सिख विरोध में मारा जाता है, तो नरेंद्र मोदी अपने हाथों इंदिरा की किस्मत देखेंगे, इसका उदाहरण एक आंदोलनकारी के वीडियो में भी आपने देखा होगा, इरादा बहुत स्पष्ट है.. वे पूरे प्रकरण को भाजपा बनाम सिखों में बदलना चाहते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे का पूरी तरह से ध्रुवीकरण करना चाहते हैं.. कौन उनका साथ दे रहा है? भारत और विदेश में खालिस्तानियों, जेएनयू झोलावालों और पूरे टुकडे टुकडे गैंग की तंत्र, सोनिया की राजदार पेशी, केजरीवाल की चालाकी, बाकी ठगबन्धन जो मोदी को हटाने से लाभान्वित होते हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2024 के चुनावों में जिहादियों का क्या हश्र होना है ये मोदी ने इसे कितनी अच्छी तरह से निभाया है... शाहीन बाग के समान, उन्होंने आंदोलनकारी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए किसी भी बल का उपयोग नहीं किया, जो अन्यथा एक बेकाबू दंगे में बदल सकता था.. इस बार, खतरे दो गुना हैं, क्योंकि जिहादी और खालिस्तान एक साथ हैं.. मोदी को खतरों का पता है और उन्होंने इन जिहादियों के इरादों का उनके दृष्टिकोण से आकलन किया है.. उसे बहुत सतर्क रहना होगा क्योंकि इस बात की अच्छी संभावना है कि कुछ सिखों को पुलिस से भिड़ने या आग लगाने के लिए भुगतान किया जाएगा (शाहीन बाग वाले सलमान को याद रखें ?) और पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कार्यवाही वापस करने के लिए मजबूर किया जाएगा.. क्या अब आप समझ गए हैं, कि दिल्ली पुलिस को केंद्र के गृह मंत्रालय के तहत रखना महत्वपूर्ण क्यों था? क्योंकि दिल्ली जमीन पर होने वाले सभी का उपकेंद्र है.. यह आंदोलन हो, विरोध हो या रैलियों का समर्थन.. ऐसी परिस्थितियों में केजरीवाल आंदोलनकारी किसानों को मारने का सबसे खतरनाक खेल (सिखों पर लक्षित) करके खेलेंगे और यह प्रकरण गृहयुद्ध में बदल जाएगा.. मोदी के लिए खेल खत्म हो जाएगा इसे 2-3 और सप्ताह दें.. क्योंकि विरोध प्रदर्शनों जितना भड़क रहा है, विरोधियों के लिए उतना पैसा है.. वैसे तो अनेक संगठन, राजनीतिक दल,और इनके नए नए यार बने हलाल छाप हर समय बिरयानी खिलाते रहते हैं.. अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस के लिए सबसे ज़्यादा कॉर्पोरेट लॉबिंग करने वाला भी गया, कांग्रेस का रेट कार्ड भी काफी नीचे आ चुका है, अब सोनिया गांधी अम्बानी पर पैसे के लिए दबाव बना रही है पर उसने नकार दिया तो आंदोलनकारी बेचारे जिओ की सिम जला रहे हैं, मोबाइल कंपनी ने किसान की फसल खरीदनी है क्या ? वामपंथी इस खिचड़ी के बीच मे अपना तड़का लगा रहे है कि लगे हाथों अपने आतंकियों को भी छुड़वा लो, आंदोलनकारी 45 दलों में से 37-38 तो पंजाब से ही हैं.. पर अपने कैप्टेन अम

26 नवंबर, 2020

विवाह समारोह

 कल देव उठनी एकादशी थी, विवाह एवं अन्य शुभ समारोह आरंभ हो गए... मैं आज तक जितनी शादियों में मैं गया हूँ, उनमें से करीब 90% में दूल्हा- दुल्हन की शक्ल तक नहीं देखी... उनका नाम तक नहीं जानता था... अक्सर तो विवाह समारोहों में जाना और वापस आना भी हो गया पर ख्याल तक नहीं आया और ना ही कभी देखने की कोशिश भी की, कि स्टेज कहाँ सजा है, युगल कहाँ बैठा है... भारत में लगभग हर विवाह में हम 75% फालतू जनता को invitation देते हैं... फालतू जनता वो है जिसे आपके विवाह में कोई रुचि नहीं.. जो आपका केवल नाम जानती है... जो केवल आपके घर की लोकेशन जानती है.. जो केवल आपकी पद- प्रतिष्ठा जानती है.. और जो केवल एक वक्त के स्वादिष्ट और विविधता पूर्ण व्यञ्जनों का स्वाद लेने आती है और गाहे बगाहे आपके लाखों रुपये के इंतजाम पर अपने स्वादानुसार नाक भौं सिकोड़ कर बुराई भी कर जाते हैं.. ये होती है फालतू जनता.. भाई विवाह कोई सत्यनारायण भगवान की कथा या लंगर का प्रसाद नहीं है कि हर आते जाते राह चलते को रोक रोक कर प्रसाद दिया जाए... केवल आपके रिश्तेदारों, कुछ बहुत नज़दीकी मित्रों के अलावा आपके विवाह में किसी को रुचि नहीं होती.. ये ताम झाम, पंडाल झालर, सजावट, सैकड़ों पकवान, आर्केस्ट्रा, DJ, दहेज का मंहगा सामान एक संक्रामक बीमारी का काम करता है.. लोग आते हैं इसे देखते हैं और "मैं भी ऐसा ही इंतजाम करूँगा, बल्कि इससे बेहतर".. और लोग करते हैं... चाहे उनकी चमड़ी बिक जाए.. लोग 75% फालतू की जनता को दिखावा करने में अपने जीवन भर की कमाई लुटा देते हैं.. लोन या उधार ले लेते हैं.. और उधर विवाह में आमंत्रित फालतू जनता, गेस्ट हाउस, पंडाल या बैंक्वेट के गेट से अंदर सीधे भोजन तक पहुंच कर, भोजन उदरस्थ करके, लिफाफा पकड़ा कर निकल लेती है.. आपके लाखों का ताम झाम उनकी आँखों में बस आधे घंटे के लिए पड़ता है, पर आप उसकी किश्तें जीवन भर चुकाते हो... इस कोरोना काल मे केवल 50 आमंत्रित मेहमानों एवं सीमित संसाधनों में ही विवाह प्रक्रिया को पूरा करने की मजबूरी को एक प्रचलन बनाया जा सकता है, कुछ लोग अभी भी इस पर आपत्ति कर रहे हैं क्योंकि उनके लिए विवाह समारोह मान प्रतिष्ठा एवं लोक लुभावन ज़्यादा है किन्तु इस भ्रामक दिखावे से बचा जा सकता है..इस अपव्यय और दिखावे को रोकना होगा.. विचार अवश्य करिये.....