06 मई, 2020

दिल्ली की कोरोना राजनीती

दिल्ली पूरी तरह रेड ज़ोन में होते हुए भी लॉकडाउन में छूट के नाम पर जो मज़ाक दिल्ली वालों के साथ दिल्ली के मालिक अरविंद केजरीवाल ने किया है उसकी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी ये समझना अभी मुश्किल है, केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली वालों को कोरोना के साथ जीना सीखना होगा, किन्तु किंतनी जानो की कीमत पर इसका आंकलन किंचित उन्होंने नही किया.. सही भी है, पूर्व में भी अनेकों बड़ी महामारियों के खिलाफ हमने ज़िंदा रहने की लड़ाइयां लड़ी हैं, और उसकी बहुमूल्य कीमत भी चुकाई है... किन्तु ये महामारी अभी जाँच के दायरे में ही है, पूरी दुनिया इससे लड़ रही है.. किन्तु यहाँ राजनीति का अलग ही स्वाद एवं अलग ही स्तर है.. दिल्ली जैसे छोटा सा शहर आंकड़ो में अपने पड़ोसी प्रतिद्वंदियों से पिछड़ रहा है, बस किंचित यही बात केजरीवाल को खाये जा रही है... और फिर ऊपर से प्रधानमंत्री की अंतराष्ट्रीय बनती छवि उसके सीने पर ज़ख्म दे रही है, इसीलिए जनाब अब अपनी इटालियन ताई के कहने पर दिल्ली को आग में झोंकने को तैयार है, कीमत वो भूरी ताई स्वयं तय करेगी.. अब दिल्ली में काम काज, दुकानें, व्यवसाय एवं शराब के ठेके खोलने के बाद जो अफरा तफरी का माहौल बन गया है उसकी कीमत कौन चुकाएगा.. अब ये अपनी द्वेष की आग को बुझाने के लिए जल्दी ही यूपी एवं हरियाणा के मुख्यमंत्री को उनके राज्यों की सीमाएं खोलने को कहेगा ताकि दिल्ली में काम करने वाले सीमा पार से आ जा सकें.. और उसकी आड़ में ये इन दोनों राज्यों का कोरोना के आंकड़ों का गणित बिगाड़ सके.. दिल्ली में मुफ्त राशन एवं लाखो लोगो को मुफ्त भोजन के नाम पर करोड़ो का घोटाला कर चुके केजरीवाल को पैसे के लिए अब केंद्र सरकार पर दबाव बनाना है जिसके लिए उसने हर हथकंडे अपना लिए हैं... यहां तक कि बिजली कम्पनी को दी जा के वाली सब्सिडी का पैसा भी ये खा गया है जिसकी भरपाई अब वो bses लोगो को प्रोविजनल बिल भेज कर कर रही है, और इसकी आड़ में खुल कर धांधली हो रही है, ये दिल्ली की बिगड़ती हालात के लिए दोषारोपण की कहानियां भी तैयार कर चुका है, मरकज़ के खिलाफ खुल कर कुछ नही बोला, रमज़ान में नाम पर पुरानी दिल्ली में कानून व्यवस्था की धज्जियां खुद इसके विधायक उड़ा रहे हैं और तो और मौलाना साद को भी अमानतुल्ला के पास ज़ाकिर नगर या शाहीन बाग़ में ही छुपाया हुआ है, इसकी ओछी राजनीति की बलि दिल्ली वाले ही चढ़ेंगे... टीवी पर बोलते हुए इसकी उंस कुटिल मुस्कान को मुस्कान को महसूस करना और सोचना क्या ये सही है...

हंदवाड़ा और पुलवामा हमला

कश्मीर में हमारे अपने नौ जांबाज़ योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए, दिल दुखता है.. दिल और ज़्यादा दुःखता है जब कुछ लोग इस बलिदान को अन्यथा लेते हैं, अपनी ओछी राजनीति करते हैं, अपनी पत्रकारिता की दुकान चलाते हैं, कुछ तो मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों की पैरवी करते हुए उन्हें गरीब मास्टर का भटका हुआ नौजवान बताते हैं.. करो जी भर के करो... पर इसका जवाब तुम्हारे आकाओं को दिया जाएगा, क्योंकि यदि चार दिन पहले तीनो सेनाध्यक्ष, CDS, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोवाल एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मिलते हैं, विचार विमर्श करते हैं तो वो केवल तीनो सेनाओं द्वारा कोरोना वारियर्स को सम्मान देने के लिए फूल बरसाने, सेना द्वारा बैंड बजाने, नौसेना द्वारा आतिशबाजी करने के लिए ही नही होता, बल्कि इसके पीछे की रणनीति को समझने की ज़रूरत है... वायु सेना ने देशव्यापी फ्लाई पास्ट किया जो कि एक रिहर्सल थी, या फिर यूँ कहूँ की पड़ोसी सूअर से रिश्तों में जमी बर्फ तो नही पिघली किन्तु पहाड़ो की बर्फ पिघलने लगी है, अब लोहा भी गरम होने लगा है, बस सही समय, सही जगह, सही ताकत से सही प्रहार करना है... मार दो हथौड़ा... जय हिंद, जय भारत..

25 अप्रैल, 2020

राजनीति के मच्छर (World Malaria Day)

आज World Malaria Day है, मलेरिया एक आपदा से कम नही है, हर साल लाखों लोग आज भी मच्छरों द्वारा मारे जाते हैं, दुनिया भर में इन मच्छरों की अनेक प्रजातियां पाई जाती है जो विभिन्न प्रकार की समस्याओं की जड़ हैं.. उन प्रजातियों में एक प्रजाति राजनीतिक मच्छरों की भी है, ये भिनभिनाते भी है और काटते भी हैं, अक्सर इन मच्छरों से लड़ते लड़ते हम अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, बॉलीवुड के एक मशहूर अभिनेता का एक डायलॉग भी है कि "एक मच्छर साला आदमी को हिजड़ा बना देता है".. इसका संदर्भ आपकी शारीरिक नपुंसकता से नही बल्कि उसको मारने के लिए किए गए आपके प्रयास के पीछे की मानसिक नपुंसकता के लिए है, केवल ताली बजाने, आल आउट या कछुआ अगरबत्ती जलाने से ये मच्छर नही मरता, इन मच्छरों को दरअसल हमने ही अपना खून पिला पिला कर इनकी इम्युनिटी इतनी बढ़ा दी है कि इनको कोई अस्त्र शस्त्र का कोई असर नही होता.. ये अक्सर भिनभिनाते है और मौका देखकर काट भी लेते है, आपको इनसे बचना होता है, शालीनता से, क्योंकि इसके काटने की क्रिया की प्रतिक्रिया में आप अंततः अपने को ही मार बैठते हैं.. ये मच्छर अपने पराए के भेद बिना उसी को अक्सर ज़्यादा काटते हैं जो इन्हें पानी पिलाता है, इन्हें अपने आस पास फलने फूलने का मौका देता है.. अब अगर खून पीना मच्छर का अधिकार है, भिनभिनाना उसकी अभिव्यक्ति की आज़ादी है तो उसको मारना यूँ तो मेरा भी नैतिक अधिकार है किंतु असहिष्णुता का हवाला देकर मुझसे लड़ने वाले बद्दुजीवी गैंग का क्या करूँगा, कहीं ये भी एक्सट्रीम देशद्रोह की श्रेणी में ना जाये, वैसे मच्छरों की भी अपनी मेहत्वकांगषाएँ है, सूक्ष्म जीवनकाल में ऊंची उड़ान के सपने हैं, हमारा क्या है हम तो एक सामान्य नागरिक है जिसको इन मच्छरों ने चूसना है, दरअसल इन पैरासाइट को पलने के लिए हमारे ही सहारे की ज़रूरत है, आम जनता आखिर कब तक सरकारों को उलाहना दे, अपने आस पास सफाई तो हमे ही रखनी है ना, इनको पालन पोसना नही है, नही तो मलेरिया देते देते ये कब डेंगू धारी बन जाते है पता नही चलता, फिर वो एक महामारी बन जाते हैं जिसका निदान शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक प्रताड़ना ही है... विश्व मलेरिया दिवस है, प्रण करते हैं साफ सफाई का, अपने क्षेत्र को, प्रदेश को, राज्य को और देश को मलेरिया मुक्त करने का...

18 अप्रैल, 2020

रामायण के वामपंथी असुर

अभी रामायण देखते हुए यकायक एक विचार आया, ये असुर शक्तियां प्राचीन काल से ही विपरीत एवं विध्वंसक वामपंथी मानसिकता एवं विचारधारा रखती थीं, इतनी वामपंथी की ना केवल राम रावण युद्ध मे बल्कि जितने भी असुर युद्ध मे आये सभी के तीर भी टीवी स्क्रीन पर लेफ्ट से ही आते थे, यूँ तो राइट विंग के राम लक्ष्मण उनके सभी वार प्रहारों को काट देते थे, किन्तु ये भी देखा कि कई बार यही आसुरी शक्तियां कुछ बाहरी शक्तियों का सहारा लेकर प्रबल होकर स्क्रीन के उसी लेफ्ट साइड से जोरदार प्रहार करने में भी सफल हो जाती हैं.. और यहां तक कि राम और लक्ष्मण सरीखे श्री जी अवतारों तक को आघात दे देती हैं... यही वामपंथी आसुरी शक्तियां चिरकाल से ही कुछ शरूपनखा एवं सुरसा रूपी राक्षसियों के अपने सायबर सेल की मदद से मायाजाल बुनती हैं.. यूँ तो ये वामपंथी असुर शिक्षा एवं अस्त्र शस्त्र विभाग में अक्सर प्रकांड पंडित होते है किंतु इनकी यही शिक्षा अक्सर इनको कंस्ट्रक्टिव माइंडसेट से डिस्ट्रक्टिव माइंडसेट की ओर ले जाती है, रावण ने सीता का हरण किया और बौद्धिक क्षीणता का शिकार हो गया, और उसी के चलते ये वामी राक्षस अपने निहित स्वार्थ एवं लोलुपता में अपने राष्ट्र के साथ साथ अपने कुल का भी विनाश करने पर आतुर हो जाता है... वर्तमान परिपेक्ष में भी यही वामपंथी राक्षस अपने साम दाम दंड भेद सभी का उपयोग करके राष्ट्र के अहित और अपनी कुंठित मानसिकता के चलते राष्ट्राध्यक्ष के विरुद्ध अपनी कुटिल चालो से आघात करने में लगे है, इन्हें आज कुछ और जिहादी शक्तियों का भी समर्थन प्राप्त है, कुछ विपक्षी आसुरी शक्तियां भी इस कोरोना युद्ध मे एकजुट होकर हमारा मनोबल तोड़ने में लगी है किंतु हम राष्ट्रवादी राइट विंग वाले भी कम नही है, हम अपने राष्ट्रधर्म के मार्ग पर चलते हुए घर बैठे ही इनके तीखे बाणों का रुख वापस मोड़ देंगे और अंततः विजय श्री प्राप्त करेंगे... यही तो नियति है, यही तो धर्मयुद्ध है...

04 अप्रैल, 2020

#9Baje9Minute आओ दीया जलायें

घर के मुखिया होने के नाते आप अपनी ज़िम्मेदारी के तहत अपनी संतान को केवल रहने के लिए घर, खाने के लिए खाना एवं पहनने के लिए कपड़े ही नही देते अपितु उन्हें जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं, संस्कार भी देते हैं, एक दूसरे के प्रति मान सम्मान, आपसी प्रेम एवं भाईचारे के साथ सामुदायिक सौहार्द भी सिखाते हैं, और समय आने पर यदि परिवार में कोई संकट आता है तो उसका मिल जुल कर सामना करना एवं उससे लड़ना भी सिखाते हैं.. जब यही सामाजिक समरसता राष्ट्र के प्रति हो तो वो एक बड़े परिवार का निर्माण करती है, और उसी से "वसुधैव कुटुम्बकम" का सृजन होता है... आज राष्ट्र के मुखिया ने अपने परिवार से इसी सामाजिक समरसता का फिर एक बार आह्वान किया है, रविवार 5 अप्रैल को रात्रि में 9 बजे अपने द्वार, छत, छज्जों में या खिड़कियों में राष्ट्र के नाम, उन वीर #CoronaWarriors के नाम, जो इस आपदा के समय अपना सर्वस्व त्याग कर अपने राष्ट्रीय परिवार के लिए दिन रात अपनी जान की बाज़ी लगा कर लड़ रहे हैं, एवं अपनी राष्ट्रीय समरसता के नाम पर एक दीया, या एक मोमबत्ती या मोबाइल टोर्च की रोशनी जलायें, अनगिनत टिमटिमाती रोशनियों के बीच जो अनुभव होगा वो अकल्पनीय है, खुशियों के यही छोटे छोटे पल मिलकर एक बड़ी ख़ुशी का निर्माण करते हैं, छोटे छोटे दीयों से ही बड़ी दीवाली होती है...
#9Baje9Minute